हरियाणा में हैट्रिक की ओर अग्रसर भाजपा, क्या कांग्रेस को अति-आत्मविश्वास की सवारी हो गई भारी?

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April 1, 2025

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हरियाणा में हैट्रिक की ओर अग्रसर भाजपा, क्या कांग्रेस को अति-आत्मविश्वास की सवारी हो गई भारी?

मानसी शर्मा /- हरियाणा में विधानसभा वोटों की गिनती जारी है। कांग्रेस भले ही शुरुआत में बढ़त बनाकर भाजपा को चौंका दी थी लेकिन अब बाजी हाथ से निकलती हुई दिखाई दे रही है। बता दें कि ताजा रुझानों में भाजपा ने न सिर्फ बहुमत पाया है बल्कि 50 के आंकड़े को भी छू चुकी है। वहीं कांग्रेस 30-32 सीटों पर अटकी हुई है। ऐसे में भाजपा हैट्रिक लगाती हुई नजर आ रही है।

अति आत्मविश्वाश ने कांग्रेस को डूबोया

बता दें कि हरियाणा चुनाव के दौरान कांग्रेस आसवस्त थी कि वो इस बार सत्ता में वापसी कर लेगी। उनके तमाम बड़े नेता राहुल गांधी, भूपेंद्र हुड्डा, कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला समेत तममा दिग्गज हुकांर भरते नजर आए। नतीजतन उन्होंने जनता के भूड को भांप नहीं सके और उन्हें चुनाव में पिछड़ना पड़ा। वहीं कांग्रेस में गुटबाजी भी भारी पड़ गई। बता दें कि चुनाव के दौरान कांग्रेस किसान और पहलवान पर ज्यादा निर्भर थी। कांग्रेस को उम्मीद थी कि किसान का पूरा वोट उन्हें मिलेगा। नतीजतन कांग्रेस वहां भी गच्चा खा गई।

नायब सिंह सैनी को कम आंकना

जाट और दलित वोट बैंक के चक्कर में कांग्रेस ने ओबीसी वोट पर ध्यान नहीं दिया। वहीं भाजपा समय रहते सचेत हो गई। ऐसा इसलिए क्योंकि नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। वहीं पंजाबी वोटर कहीं बुरा न मान जाए इसलिए मनोहर लाल खट्टर को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। माना जाता है कि 18-20 सीटों पर ओबीसी वोटर का दबदबा है। वहीं पीएम मोदी ने भी ज्यादा रैलियां नहीं की लेकिन उनका फोकस पूरा ओबीसी पर रहा। उन्होंने अपने रैली में कहा था कि कांग्रेस ने दलित और ओबीसी को ठगने का काम किया है। साथ ही उन्होंने कहा था कि कांग्रेस आरक्षण विरोधी है। आरक्षण का विरोध कांग्रेस के डीएनए में है।

कांग्रेस का आपस में उठा-पटक

चुनाव के दौरान कांग्रेस में उठा-पटक भी खूब देखने को मिली। कांग्रेस के दिग्गज आपस में सीएम पद की दावेदारी करते नजर आए। चाहे वो भूपेंद्र हुड्डा वो या फिर कुमारी शैलजा। सब सीएम पद के लिए लालयित रहे। यहां तक की कुमारी शैलजा ने चुनाव प्रचार करना छोड़ दिया था। इसका फायदा भाजपा को मिला। साथ ही टिकट बंटवारे के दौरान कांग्रेस में बगावत हुई और कांग्रेस के बागी नेताओं को भाजपा ने अपने खेमा में शामिल करा। अपना वोट बैंक मजबूत किया।

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