
नई दिल्ली/सिमरन मोरया/- भगवान जगन्नाथ मंदिर का दुर्लभ खजाना कल खोला जा चुका है। इस खजाने को इससे पहले साल 2018 में खोलने की कोशिश की गई थी, लेकिन फिर बाद में इस कोशिश को बंद कर दिया गया था। इस तहखाने को आखिरी बार साल 1985 में खोला गया था। इस दौरान राजाओं के मुकुट से लेकर खजाने तक भरी विशाल तिजोरियां नजर आईं। दरअसल, रत्न भंडार में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के कीमती आभूषण और खाने के बर्तन रखे जाते हैं। इस खजाने की खोज के बाद लोगों के होश उड़ गए हैं।
बता दें कि कल दोपहर शुभ मुहूर्त पर इस रत्न भंडार का 46 साल बाद गेट खोला गया। इस दौरान सरकार के प्रतिनिधि समेत 11 लोग मौजूद रहे थे। खजाना खोलने से पहले पुरी प्रशासन ने 6 विशेष बड़े बक्सों का ऑर्डर दिया था. इस दौरान भारी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किये गये थे. जानकारी के लिए बता दें कि जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार गर्भगृह के बगल में बनाया गया है। रत्न भंडार के दरवाजे आखिरी बार 1985 में खोले गए थे। ओडिशा सरकार का कहना है कि ऑडिट में 149.6 किलोग्राम से अधिक सोने के आभूषण, 258.3 किलोग्राम चांदी के बर्तन और कीमती पत्थरों से जुड़ी अन्य वस्तुएं शामिल थीं।
मंदिर के मुख्य प्रशासक ने कहीं ये बात
इसके साथ ही श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाधी का कहना है कि उन्होंने रविवार को एसओपी के अनुसार सभी काम किए। सबसे पहले रत्न भंडार के बाहर वाले कमरे को खोला और वहां रखे सभी आभूषणों और किमती सामानों को मंदिर के अंदर अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया। इसके बाद स्ट्रांग रूम को सील किया गया है।
तालों को तोड़ा गया
गौरतलब है कि आंतरिक कक्ष के तीन तालों को तोड़ा गया क्योंकि इन तालों की जो चाबियां दी गई थी वो काम नहीं कर रही थी,जिसके बाद ताला तोड़ने का फैसला लिया गया। टीम के सदस्यों ने समय की कमी को देखते हुए आंतरिक कमरे के अंदर रखे लकड़ी के बक्से को नहीं खोला गया। यहां रखे आभूषणों और जवाहरात को किसी दूसरे दिन मंदिर परिसर के अंदर एक अस्थायी स्ट्रांग रूम में शिफ्ट कर दिया जाएगा।
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