नई दिल्ली/शिवकुमार यादव/- डीपीएस द्वारका के अभिभावकों ने सोमवार को डीडीई एसडबल्यू बी, नजफगढ़ को मौन विरोध प्रदर्शन किया लेकिन अधिकारियों द्वारा उनको कोई राहत नहीं मिली न ही 26 छात्रों के नाम स्कूल में वापस लिखा गया। इसी के चलते लगभग 70 अभिभावक आज शिक्षा निदेशालय के मुख्यालय पर पहुंच आज फिर विरोध प्रदर्शन किया एवं अपना रोष व्यक्त किया।
अभिभावक सुबह 10 बजे निदेशक के कार्यालय पहुंचे लेकिन पहले तो गार्डों द्वारा गेट बंद कर उन्हे निदेशक से मिलने नही दिया गया लेकिन इस गर्मी एवं बारिश में बिना खाने/पानी के भी अभिभावक ने ठान रखी थी कि निदेशक से बिना मिले वह आज वापस नहीं जाएंगे।
जब अभिभावक वहां से नहीं गए तब निदेशक ने किन्ही 2 अभिभावकों को 4 घंटे के लंबे इंतजार के बाद बुलाया एवं इतने इंतजार के बाद हुई मुलाकात में भी आज भी अभिभावकों को सिर्फ आश्वासन के कुछ नही प्राप्त हुआ।
आइए जानते है कि यह मसला किया है और यह अभिभावक रोजाना कभी डीडीई, डी ओ ई, एल जी आदि ऑफिसों के रोजाना क्यों चक्कर काट रहे है क्यो अभिभावक अपने काम/नौकरी को ताक पर रख रोजाना इन अधिकारियों के चक्कर काट रहे है क्योंकि यह अभिभावक अपने एवं आपके बच्चो के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए रोजाना सब कुछ दांव पर लगा रहे है क्योंकि डीपीएस स्कूल द्वारका के द्वारा मांगी गई मनमानी फीस न देने की वजह से 26 बच्चों के नाम काट दिए गए एवं उन बच्चो (क्लास 2 से 10 तक) के स्कूल पहुंचने पर उन्हें अन्य छात्रों के साथ बैठने नहीं देकर स्कूल लाइब्रेरी में बंद कर दिया, यहां तक कि उन्हें शौचालय जाने की अनुमति न देकर प्रताड़ित किया है।
इन छात्रों के माता-पिता 22.05.2024 के डीआई आदेश का पालन कर रहे हैं और स्वीकृत फीस का भुगतान कर रहे हैं। हालांकि, छह साल से अधिक हो गए हैं और डीआई ने अपने आदेश को लागू करने में असफल रहा है और शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि मूकदर्शक बने हुए हैं, जबकि माता-पिता और बच्चे लगातार पीड़ित हो रहे हैं।
2020-21 से लेकर आज तक डीआई, एलजी, दिल्ली के शिक्षा मंत्री, केंद्रीय शिक्षा मंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री को अनगिनत शिकायतें दर्ज कराई गई हैं, लेकिन आज तक भी कोई राहत नहीं मिली है। बल्कि डीपीएस द्वारका जैसे निजी स्कूलों को अनाधिकृत फीस वसूलने के लिए स्वतंत्र छोड़ दिया गया है, माता-पिता को धमकी दी जा रही है कि अगर फीस नहीं दी गई तो उनके बच्चों को प्रताड़ित किया जाएगा।
डीपीएस सोसाइटी (डीपीएसएस), जो दिल्ली के डीपीएस स्कूलों का प्रबंधन करती है, एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसे समाज में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रसार के लिए बनाया गया था, लेकिन पिछले 8 वर्षों में, डीपीएसएस और डीओई के बीच कथित नेक्सस ने डीपीएस सोसाइटी को एक गंभीर भ्रष्टाचार का अड्डा बना दिया है, जिसे कभी किसी ने सवाल नहीं किया।
डीपीएस द्वारका ने अपने वेबसाइट पर अनुपालन नोट पोस्ट किया है, जिसमें स्पष्ट रूप से चेतावनी दी है कि वे 22.05.2024 के डीओई आदेश का पालन नहीं करेंगे और यह भी उल्लेख किया है कि अनाधिकृत फीस का भुगतान न करने पर माता-पिता और बच्चे स्वयं जिम्मेदार होंगे।
समाजसेवी एवम फेडरेशन ऑफ साउथ एंड वेस्ट डिस्ट्रिक्ट वेलफेयर फोरम के सचिव महेश मिश्रा ने बताया की डीपीएस द्वारका प्रत्येक बच्चे के लिए 2.25 लाख (लगभग) वापस करने का जिम्मेदार है और डीओई के आदेश के बावजूद स्कूल अपनी मनमानी से छात्रों के नाम हटा रहा है और एक सरकारी आदेश की पूरी तरह से अनदेखी कर रहा है साथ ही
दिल्ली की शिक्षा प्रणाली और दिल्ली सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने मौन धारण किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि हम एक कानूनहीन समाज में रह रहे हैं।
यह एक गंभीर चिंता का विषय है जिसके लिए हम डीपीएस द्वारका के अभिभावक, सभी मीडिया हाउस एवं दिल्ली के सभी अभिभावकों से अपील करते हैं कि वे हमारा समर्थन करें और देश की राजधानी शहर में शिक्षा प्रणाली में व्याप्त इस गहरे भ्रष्टाचार को उजागर करने में मदद करें।
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