नई दिल्ली/- सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हिजाब बैन पर फैसला सुरक्षित रख लिया। कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर लगातार 10 दिन से सुनवाई चल रही थी। गुरुवार को भी जस्टिस हेमंत गुप्ता व जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच ने कर्नाटक सरकार और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद कहा कि हमने आप सभी को सुना है। अब हमारा होमवर्क शुरू होता है।
सुनवाई के शुरुआती 6 दिन मुस्लिम पक्ष की दलीलों के बाद कर्नाटक सरकार ने अपना पक्ष रखा। जिसमें हिंदू, सिख, ईसाई प्रतीकों को पहनकर आने की तरह ही हिजाब को भी परमिशन दिए जाने की मांग की गई थी।
कोर्ट में मुस्लिम पक्ष की दलील- बैन करके क्या हासिल होगा
10 दिनों की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, कर्नाटक सरकार के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज, एडवोकेट आर वेंकटरमानी ने दलीलें रखी थी। गुरुवार को सीनियर एडवोकेट अहमदी ने दलील दी कि हिजाब पहनने वाली लड़कियों का प्रतिशत भले ही कम हो, लेकिन इस तरह के अनुशासन को लागू करने से आपको क्या हासिल होता है?
एडवोकेट कामत ने हिंदू प्रतीकों का उदाहरण दिया
कामत ने कहा कि मान लीजिए मैं अपनी जेब में कृष्ण का फोटो रखता हूं। और राज्य कहता है कि तुम नहीं रख सकते। जब मैं इसे चुनौती देता हूं, तो कोर्ट को यह पूछना चाहिए कि प्रतिबंध क्यों है और क्या मुझे फोटो रखने का अधिकार नहीं है।
1958 की तरह दलील खारिज करे सुप्रीम कोर्ट
बकरीद पर गोकशी की तरह स्कूलों में हिजाब पहनना मुलसमानों का मौलिक अधिकार नहीं है। कर्नाटक सरकार ने बुधवार को अपनी दलीलों में कहा कि जिस तरह बकरीद में गाय काटना मुसलमानों का मौलिक अधिकार नहीं है। उसी तरह स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनना अभिव्यक्ति की आजादी या धार्मिक स्वतंत्रता से जुड़ा अधिकार नहीं है।
इसके पहले 1958 में मुसलमानों ने बकरीद पर गाय काटने को मौलिक अधिकार बताया था, अब हिजाब को बता रहे हैं। तब भी सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था, वही अब भी करना चाहिए।
23 याचिकाओं पर पिछले 10 दिन से हो रही सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में 23 याचिकाओं का एक बैच लिस्टेड है। इनमें से कुछ मुस्लिम छात्राओं की हैं, जिन्हें हिजाब पहनने के अधिकार की मांग करते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट में दायर किया गया था। बाकी स्पेशल लीव पिटीशन हैं, जो कर्नाटक हाईकोर्ट के 15 मार्च के फैसले को चुनौती देने दायर की गईं। कर्नाटक हाईकोर्ट ने स्कूल कॉलेज में हिजाब बैन को बरकरार रखा था।
हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट में आठवें दिन सुनवाई
हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को आठवें दिन सुनवाई हुई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कुछ ऐसे इस्लामिक देश हैं, जहां हिजाब का विरोध हो रहा है और महिलाएं इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। कोर्ट ने पूछा- किस देश में? इस पर बोले- ईरान में। इससे साबित होता है कि हिजाब पहनना इस्लाम में जरूरी नहीं है।
बैन से लड़कियां स्कूल छोड़ मदरसे में जाने को मजबूर होंगी
कर्नाटक हिजाब विवाद पर पांचवे दिन सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच में सुनवाई हुई। बुधवार की सुनवाई में सीनियर एडवोकेट राजीव धवन और हुजेफा अहमदी ने पक्ष रखा। अहमदी ने कहा कि लड़कियां मदरसा छोड़कर स्कूल में पढ़ने आई थीं, लेकिन अगर आप हिजाब बैन कर देंगे तो फिर मजबूर होकर मदरसा चली जाएंगी। इस पर जस्टिस धुलिया ने कहा है कि ये कैसी दलील है?
एससी में 6 दिनों की रोचक दलीलें
मुस्लिम लड़कियां स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहन सकती हैं या नहीं, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 6 दिन जबर्दस्त बहस हुई। करीब 19 घंटे की पूरी जिरह को हमने पढ़ा और समझा। इस बहस में तिलक, पगड़ी और क्रॉस का भी जिक्र आया। कुरान का भी जिक्र आया और संविधान का भी। अभी इस टॉपिक पर तस्वीर साफ नहीं हो पाई है। आज दोपहर 2 बजे से एक बार फिर दलीलें दी जाएंगी। पढ़ें पूरी खबर…
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