देहरादून/उत्तराखंड/- देश के हिमालयी क्षेत्र में 9597 ग्लेशियर हैं। वर्ष 1935 से 2022 के बीच 87 साल में देश के बड़े ग्लेशियरों में से एक उत्तराखंड का गंगोत्री ग्लेशियर 1.7 किमी पीछे खिसक गया है। कमोबेश यही हाल हिमालयी राज्यों में स्थित 9575 ग्लेशियरों में से ज्यादातर का है। ये खुलासा देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों के ताजा शोध में किया है।
क्यों सिमट रहा ग्लेशियर?
– ग्लेशियरों में पहले सिर्फ बर्फबारी होती थी अब बारिश भी होने लगी।
– पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ने के कारण भी पिघल रहे हैं ग्लेशियर।
– संवेदनशील क्षेत्रों में इंसानी दखल बढ़ने के कारण भी हो रहा नुकसान।
– ग्लोबल वार्मिंग भी हिमालय के ग्लेशियर पिघलने की है वजह।
ये हैं देश के कुछ प्रमुख बड़े ग्लेशियर
आर्कटिक और अंटार्कटिका क्षेत्र से बाहर दुनिया का सबसे बड़ा ग्लेशियर सियाचिन है। इसके अलावा गंगोत्री ग्लेशियर, जेमू ग्लेशियर, बड़ा सीकरी, पिंडारी, काफनी, सुंदरढूंगा, अलम, नामिक, मिलन, चौराबाड़ी, हरिपर्वत, पराक्विक, नूनकुन आदि देश के कुछ बड़े ग्लेशियर हैं।
जानें देशभर के ग्लेशियरों के बारे में
– 37465 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले हैं ग्लेशियर।
– 2735 ग्लेशियर हैं हिमाचल में।
– 449 ग्लेशियर हैं सिक्किम में।
– 162 ग्लेशियर हैं अरुणाचल में।
– 1.6 सेल्सियस तापमान बढ़ा पिछली एक शताब्दी में।
– 142 क्यूबिक किमी बर्फ ग्लेशियरों में है ।
– 968 ग्लेशियर हैं सिर्फ उत्तराखंड में ।
– 618 फीसदी ग्लेशियर हैं जम्मू कश्मीर और लद्दाख में।
दिख रहा बारिश का नया पैटर्न
उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बारिश का नया पैटर्न दिख रहा है। पहले ग्लेशियर में सिर्फ बर्फबारी होती थी, लेकिन अब वहां बारिश होने लगी है जिससे बर्फ के पिघलने की रफ्तार बढ़ गई है।
-डॉ. राकेश भ्रांबरी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, वाडिया इंस्टीट्यूट
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