नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/उत्तर प्रदेश/शिव कुमार यादव/- उत्तर प्रदेश चुनाव में पश्चिम यूपी की कैराना विधानसभा हॉट सीट बन गई है। इसके साथ ही यह भाजपा के अलावा सपा और रालोद के लिए भी नाक का सवाल बन चुकी है। यहां से सपा और रालोद गठबंधन ने नाहिद हसन को उतारा है, जो गैंगस्टर एक्ट में जेल में बंद हैं लेकिन किसान आंदोलन के बाद से जाट बिरादरी की भाजपा से नाराजगी को भुनाने के लिए एकजुट हुए सपा और रालोद की मुश्किलें इससे बढ़ती दिख रही हैं। दरअसल कैराना विधानसभा में सपा और रालोद को वैसा माहौल नहीं दिख रहा है, जैसी उन्हें उम्मीदें थीं। एक तरफ अमित शाह ने डोर-टू-डोर कैंपेन कर पलायन के मुद्दे को फिर से उठाया है तो वहीं जाट बिरादरी का एक वर्ग ऐसा है, जो नाहिद हसन को वोट न देने की बात कर रहा है। भाजपा ने यहां से मृगांका सिंह को उतारा है, जो दिग्गज नेता रहे हुकुम सिंह की बेटी हैं।
यही नहीं कुछ वायरल वीडियो भी सामने आए हैं, जिसके चलते कैराना में एक बार फिर से ध्रुवीकरण की आशंकाएं जताई जाने लगी हैं। ऐसे ही एक वीजियो में एक मुस्लिम युवक यह कहता दिख रहा है कि यदि उस वार्ड में जाटों ने नाहिद हसन के साथ हरकत की तो फिर यहां तो हम 90,000 हैं और हम उनका इलाज बांध देंगे। इस वीडियो की पुष्टि नहीं की जा सकती है, लेकिन यह तेजी से शेयर हो रहा है। भाजपा के भी कई नेताओं ने इसे शेयर पर लिखा है कि यदि चुनाव से पहले यह स्थिति है तो फिर बाद में क्या होगा। साफ है कि पलायन के मुद्दे के बाद इन वीडियोज ने भाजपा को हमला करने का एक मौका दे दिया है।
पहले से ही भाजपा नाहिद हसन का इतिहास याद दिलाते हुए वोटर्स के बीच जा रही है। अब इन वीडियोज ने एक बार फिर से उसका काम आसान कर दिया है। दरअसल विवाद रालोद और सपा समर्थकों के बीच प्रतिनिधित्व को लेकर भी है। मेरठ की सिवालखास, मथुरा की मांट और शामली की कैराना समेत कई सीटों पर सपा और रालोद समर्थकों के बीच खींचतान की स्थिति है। सिवालखास की सीट पर जाट बिरादरी ने ऐतराज जताया है और यहां से रालोद प्रत्याशी हाजी गुलाम मोहम्मद को हटाने की मांग की जा रही है। दरअसल गुलाम मोहम्मद सपा के नेता हैं और उन्हें रालोद के सिंबल पर टिकट मिला है। इसे लेकर रालोद समर्थकों में रोष है।
इस बीच कैराना में जिस तरह से वीडियो वायरल हो रहे हैं और भाजपा ने पलायन के मुद्दे को उठा दिया है, उससे एक बार फिर से ध्रुवीकरण की आशंकाएं तेज हैं। यदि ऐसा होता है तो यह सपा और रालोद की उम्मीदों पर पानी फिरने जैसा होगा। दोनों दलों को उम्मीद है कि मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जो जाट और मुस्लिम गठजोड़ टूटा था, वह एक बार फिर से बनेगा।


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