कभी कैदखाना था आज पर्यटकों के लिए जन्नत है ईरान का होर्मुज़ जज़ीरा

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कभी कैदखाना था आज पर्यटकों के लिए जन्नत है ईरान का होर्मुज़ जज़ीरा

-भूवैज्ञानिकों का डिज्नीलैंड भी है रेनबो द्वीप जिसकी ख़ूबसूरती से अनजान है दुनिया

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- सुनहरी नहरें, सुर्ख साहिल समंदर और मोहक नमक की खदानों के साथ, ईरान का जज़ीरा होर्मुज़ जन्नत के नज़ारे पेश करता है। इसे ’भूवैज्ञानिकों का डिज़्नीलैंड’ भी कहा जाता है जो कभी कैदखाना था लेकिन आज पर्यटकों के लिए जन्नत से कम नही है। इसके रेनबों द्वीप की खूबसूरती से अभी तक दुनिया अंजान है लेकिन अब विश्वभर के पर्यटक इस ओर आकर्षित हो रहे है।
              दक्षिणी ईरान में होर्मुज द्वीप के तट पर रंग-बिरंगे पहाड़, जिनकी छाया से सुर्ख साहिल होता समुंद्र का रंग और स्वादिष्ट नमक की खदानों का बड़ा ही रहस्यमयी और खनिजों से भरे दृश्य सभी को आश्चर्यचकित कर रहे हैं। ईरान के तट से आठ किलोमीटर दूर फारस की खाड़ी के नीले पानी के बीच में होर्मुज़ जज़ीरा आसमान से आंसू जैसा दिखता है। पहाड़ नमक के टीले हैं जिनमें विभिन्न पत्थर, मिट्टी और लोहे से भरपूर ज्वालामुखी की चट्टानें हैं जो लाल, पीले और नारंगी रंगों में चमकती हैं। यहां 70 से अधिक तरह के खनिज पाए जाते हैं. 42 वर्ग किलोमीटर के इस द्वीप का हर इंच इसकी संरचना की कहानी कहता है।


                 डॉक्टर कैथरीन गोडाईनोव ने अतीत में ईरान में काम किया है और अब वो ब्रिटिश भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के प्रधान भूविज्ञानी हैं। उनके मुताबिक लाखों साल पहले फारस की खाड़ी में उथले समुद्रों ने नमक की मोटी परतों का निर्माण किया था। ये परतें खनिजों से भरी ज्वालामुखीय चट्टानों से टकराईं और उनके संयोजन ने एक रंगीन भूभाग का निर्माण किया।
                डॉक्टर गोडाइनोव कहती हैं, “पिछले 50 करोड़ सालों के दौरान नमक की सतहें ज्वालामुखी की परतों में दब गईं.।“ चूंकि नमक पानी की सतह पर तैर सकता है इसलिए वक़्त के साथ ये नमक चट्टानों में मौजूद दरारों से बाहर निकलता रहा और इसने सतह पर पहुंच कर नमक के टीले बना लिए। उनका कहना है कि फारस की खाड़ी के ज्यादातर हिस्सों में जमीन के नीचे नमक की मोटी परतें मौजूद हैं। इसी भौगोलिक प्रक्रिया ने सुनहरी धाराएँ, लाल समुद्र तट और मोहक नमक की खदानें बनाई हैं।


                होर्मुज़ को वास्तव में रेनबो आइलैंड कहा जाता है और यही वजह है कि यह असामान्य रंगों का एक सुंदर संयोजन है और आप ये भी जान लीजिए कि ये दुनिया का एकमात्र पहाड़ है जिसे खाया जा सकता है। इसलिए ही टूर गाइड इसका स्वाद चखने की सलाह दी थी। इस पहाड़ की सुर्ख़ मिट्टी जिसे गेलिक कहते हैं, हेमेटाइट की वजह से ऐसी दिखती है। ऐसा माना जाता है कि यह द्वीप की ज्वालामुखीय चट्टानों में पाए जाने वाले आयरन ऑक्साइड के कारण है।
                यह न केवल औद्योगिक उद्देश्यों के लिए एक क़ीमती खनिज है बल्कि यह स्थानीय व्यंजनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका इस्तेमाल खाने में मसाले के तौर पर किया जाता है. यह करी में मिट्टी जैसा लगता है और स्थानीय डबल ब्रेड तोमशी के साथ बहुत स्वादिष्ट होता है। तोमशी का अर्थ है ’किसी चीज का बहुत अधिक होना’. फरज़ाद की पत्नी मरियम कहती हैं, “लाल मिट्टी का इस्तेमाल चटनी के तौर पर किया जाता है।“इस चटनी को सुर्ख़ कहते हैं और डबल रोटी पकने के दौरान उस पर फैला दिया जाता है। भोजन में इस्तेमाल होने के अलावा, स्थानीय कलाकार इस लाल मिट्टी का पेंटिंग में भी इस्तेमाल करते हैं। लोग इससे अपने कपड़ों को रंगते हैं और सेरामिक और सौंदर्य प्रसाधन बनाने के लिए भी इसका इस्तेमाल करते हैं।


                  इस लाल पहाड़ के अलावा होर्मुज़ द्वीप में देखने लायक कई चीजें हैं। द्वीप के पश्चिम में एक शानदार नमक पर्वत है जिसे ’नमक देवी’ कहा जाता है। एक किलोमीटर में फैले पहाड़ की खड़ी दीवारें और गुफाएं नमक के चमचमाते क्रिस्टल से भरी हुई हैं, जो संगमरमर के महल के बड़े स्तंभों से मिलती जुलती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस नमक में नकारात्मक प्रवृत्तियों और विचारों को जज़्ब और ख़त्म करने की ताक़त रखता है। मेरे टूर गाइड ने मुझे यहां चलने के लिए अपने जूते उतारने की सलाह दी ताकि मेरे पैर नमक को छू सकें। उसने मुझसे कहा, “यहाँ के नमक का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।“
               यह द्वीप कभी क़ैदखाना था, अब जन्नत है। इस घाटी में समय बिताने के बाद आप बहुत उत्साहित महसूस करते हैं और इसीलिए इस घाटी को ताक़त की घाटी भी कहा जाता है। इसी तरह, द्वीप के दक्षिण-पश्चिम में ’इंद्रधनुष द्वीप’ है जहाँ बहुरंगी मिट्टी हैं और वहाँ लाल, पीले और नीले पहाड़ हैं। चलते-चलते मैंने देखा कि यहाँ विभिन्न ज्यामितीय आकृतियों के पत्थर धूप के संपर्क में आने पर चमकते हैं। पास की ’मूर्तियों की घाटी’ में चट्टानों का आकार हजारों सालों से हवाओं के कारण बेहतरीन शक़्ल में बदल चुके हैं.
               मैं पक्षियों, ड्रेगन और पौराणिक कथाओं के जीवों को देख सकता था. ऐसा लगता है कि मानों यह पृथ्वी की अपनी कला दीर्घा की प्रशंसा करने जैसा हो। नखचिवनः दुनिया का ’सबसे आत्मनिर्भर देश’ और वहां की ज़िंदगी। द्वीप के असाधारण और अकल्पनीय रंगों के बावजूद कई पर्यटक इससे अनजान हैं। ईरान के पोर्ट्स एंड मैरीटाइम ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक 2019 में यहां सिर्फ 18,000 पर्यटक आए थे। एक स्थानीय निवासी इरशाद शान ने मुझे बताया कि “ऐतिहासिक और प्राकृतिक तौर पर पर्यटन में दिलचस्पी के तमाम पहलुओं के बाजवूद इस प्राकृतिक परिदृश्य को एक पूर्ण पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित नहीं किया जा सका है।“ उन्होंने कहा, “यदि होर्मुज़ के बुनियादी ढांचे के विकास पर अधिक ध्यान दिया जाता है तो ये जगह पर्यटन का एक ख़ास केंद्र हो सकता है।“ यहां स्थानीय लोग घूमने आने वाले पर्यटकों को उनके घर का बना खाना और दर्शनीय स्थलों की यात्रा के लिए अपनी मोटरबाइक और रिक्शा उपलब्ध करवाते हैं। शान कहते हैं, “हमें लगता है कि होर्मुज़ के लिए ऐसा करना हमारी ज़िम्मेदारी है।“वो कहते हैं, “ये एक बहुत दुर्लभ बात है और हमारी पहचान का हिस्सा है। हम इस पर्यावरणीय विरासत की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं।.“ जब मैंने यहां की मछली, लाल प्याज, नींबू और माल्ट खाया, तो सुगंधित और मसालेदार करी ने मुझे यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि होर्मुज़ निस्संदेह ’भूवैज्ञानिकों का डिज्नीलैंड’ है और यह खाने योग्य मिट्टी है जो यहां रहने वाले लोगों की नसों में चलती है और उन्हें बहुत ख़ास बना देती है।

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