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    किसानों के गढ़ नजफगढ़ देहात में नही दिखा भारत बंद का असर

    किसानों के गढ़ नजफगढ़ देहात में नही दिखा भारत बंद का असर, किसान संगठनों के लिए नही शुभ संकेत

    -नजफगढ़ में रोजाना की तरह बाजार रहे खुले, लोगों का रहा होली की खरीदारी पर जोर
    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- 26 मार्च को किसान संगठनों के ऐलानी भारत बंद का दिल्ली के किसानों के गढ़ नजफगढ़ देहात में ही भारत बंद का असर नही दिखाई दिया। जहां किसान खेतों में काम करते दिखाई दिये वहीं नजफगढ़ में सभी बाजार रोजाना की तरह खुले रहे और लोगों ने होली के त्यौहार की जमकर खरीददारी की। आज दिल्ली की सीमाओं पर किसानों को बैठे 120 दिन हो गये हैं। फिर भी किसान केंद्र सरकार पर दबाव नही बना पा रहे है। नजफगढ़ किसान आंदोलन के बेसर होने से किसान संगठनों के लिए षुभ संकेत नही माना जा रहा है।

    बता दें कि 26 मार्च को किसान संगठनों ने पूरे देश में भारत बंद का ऐलान किया था। हालांकि हरियाणा, पंजाब व उत्तरप्रदेश में इस बंद का कई जगह असर दिखाई दिया लेकिन जहां तक पूरे देश की बात है तो यह बंद बेअसर ही दिखा। वहीं दिल्ली किसानों का गढ़ माने जाने वाले नजफगढ़ देहात में ही बंद पूरी तरह से फीका रहा। यहां सबसे बड़ी बात ये है कि भारतीय किसान यूनियन की प्रदेश कार्यकारिणी नजफगढ़ के ढांसा बार्डर पर प्रदर्शन कर रही है। अब यह सोचने का सवाल है कि क्या दिल्ली के किसान इस मामले से अपने आप को अलग रखना चाहते है या फिर दिल्ली के आसपास चल रहा किसान आंदोलन सिर्फ पंजाब, हरियाणा व यूपी के कुछ किसान संगठनों या नेताओं को होकर रह गया है। जिस तरह से आम आदमी अब इस आंदोलन से परेशानी झेल रहा है उसका भी बड़ा असर किसान आंदोलन पर दिख रहा है। जिसे देखते हुए कई जगह अब किसानों व आम आदमी में झड़प की बाते भी सामने आ रही है।

    26 जनवरी के बाद से किसान संगठन अपने वजूद को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन जहां कभी मजमे लगते थे वहां अब सन्नाटा पसरा पड़ा है। हालांकि अब इक्का-दुक्का किसान फिर से दिखाई देने लगे है। लेकिन हर जगह से स्थानीय लोग अब इस आंदोलन से किनारा कर रहे हैं। नजफगढ़ देहात में जहां किसान खेतों में अपनी तैयार खड़ी फसल को घर लाने के लिए कटाई का काम करते दिखाई दिये वहीं होली के त्यौहार को लेकर आम आदमी भी किसान संगठन से अंजान होकर बाजारों में खरीददारी करता दिखा। दूकानदारों की माने तो कोरोना काल के दौरान उनका बहुत घाटा हुआ है और अब अगर किसान आंदोलन के बहकावे में आ गये तो वो पूरी तरह से बर्बाद हो जायेंगे। ऊपर से होली का त्यौहार ऐसा त्यौहार जिसमें लोग जमकर खरीददारी करते है जिसे व्यापारी व दूकानदार छोड़ना नही चाह रहे है। जिसकारण आज का बंद बेअसर ही साबित हुआ।
    नजफगढ़ देहात में खासकर दिल्ली में भारत बंद का बेअसर होना किसान संगठनों के लिए शुभ संकेत नही है। जिसे देखते हुए किसान संगठन अब एक बार फिर नई रणनीति बनाने पर माथा पच्ची कर रहे है। किसान नेताओं का मानना है कि अगर स्थानीय लोग उनके साथ नही आये तो आंदोलन पर विपरीत असर पड़ सकता है। जिसे लेकर किसान नेता काफी चिंतित दिखाई दे रहे है।

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