
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- 2010 में हरकेश नगर निवासी चंदन उर्फ राहुल नाम के स्कूली छात्र का अपहरण कर हत्या के मामले की गुत्थी सुलझाने में दिल्ली पुलिस को 13 साल लग गए। छात्र की हत्या कर शव को हादसे का रूप देने के लिए रेलवे लाइन पर रख दिया गया था। जिसके बाद दक्षिण जिला पुलिस व रेलवे थाना पुलिस सही दिशा में मामले की जांच करने के बजाए टालमटोल करती रही। यहां तक कि पुलिस ने साकेत कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर आरोपितों का पता न चलने की दलील देते हुए केस बंद करने की भी कोशिश की, लेकिन कोर्ट द्वारा पुलिस को दोबारा से जांच के आदेश देने पर जब इस मामले को क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर किया गया तब गुत्थी सुलझ पाई।
विशेष आयुक्त क्राइम ब्रांच रवींद्र सिंह यादव के मुताबिक अपहरण व हत्या की यह वारदात कालकाजी इलाके में हुई थी। किसी बात पर झगड़ा होने पर आरोपितों ने छात्र को मौत के घाट उतार दिया था। शव रेल की पटरी पर फेंक दिया था। मामले में क्राइम ब्रांच की टीम ने पिछले हफ्ते भरत लाल को बिहार के शिवहर से गिरफ्तार किया था। उससे पूछताछ के बाद दूसरे आरोपित गुरनाम सिंह उर्फ रंगीला को पकड़ा गया। ब्लू लाइन बस के चालक व दो परिचालकों ने वारदात की थी। पुलिस ने तीनों पर 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। जिस दिन राहुल का शव मिला उसी समय कालकाजी थाना पुलिस ने तीनों को दबोचा लिया था, लेकिन आरोप है कि बस मालिक ने लेनदेन कर तीनों को छुड़ा लिया था। पुलिस ने बस मालिक को अब तक आरोपित नहीं बनाया। उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की है, जिनकी लापरवाही से जांच गलत दिशा में चली गई। पुलिस भले जांच नहीं कर रही थी, लेकिन मां ने बच्चे के लिए न्याय की आस नहीं छोड़ी। छात्र की मां न्यायालय से लेकर दिल्ली पुलिस अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटती रही। जिसके बाद दबाव में आकर जब क्राइम ब्रांच से जांच कराई, तब 3 आरोपितों की पहचान की गई। तीनों ब्लू लाइन बस के कर्मचारी थे। जांच के लिए किसी के न आने पर तीनों को सकेत कोर्ट ने भगोड़ा घोषित कर दिया। 19 फरवरी को क्राइम ब्रांच ने शिवहर से भारत लाल को दबोच लिया था। वह वहां नाम बदलकर रह रहा था। टीम ने पुणे से गुरनाम सिंह को दबोच लिया। वह पंजाब का रहने वाला है।
2010 में दर्ज हुआ था मुकदमा, पुलिस ने ठीक से नहीं की जांच
इंदु देवी ने कालकाजी थाने में 27 अगस्त 2010 को शिकायत कर बताया था कि उनकी बेटी ज्योति भारद्वाज को एक बस कंडक्टर ने फोन करके बताया था कि उनके बेटे चंदन का स्कूल बैग उसके पास पड़ा है। वह उससे पास से बैग ले जाए। कुछ देर बाद उक्त नंबर पर संपर्क करने पर वह मोबाइल बंद मिला था। शाम तक चंदन के घर नहीं लौटने पर जब स्वजन कालीकाजी थाने गए तो पता चला कि ओखला और तुगलकाबाद रेलवे स्टेशनों के बीच रेलवे ट्रैक पर उनके बेटे चंदन की लाश मिली है। थाना पुलिस ने कभी ठीक तरीके से जांच नहीं की, जिसके मामला लंबे समय तक बंद पड़ा रहा।
अब देखना यह है कि क्ैया कोर्ट दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही का आदेश देती है या नही और साथ ही ब्लू लाईन बस के मालिक के खिलाफ अब पुलिस कोई कार्यवाही करेगी या नही। अगर ऐसा नही हुआ तो अभी भी मृतक के परिवार को पूरा न्याय नही मिल पायेगा। हालांकि पुलिस तीसरे आरोपी को तलाशने में जुटी है।
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