हे महेश पुनः शिवगंगा बहा दो”
माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति का आज है अभूतपूर्व दिन।
सृष्टि अधूरी है शिव-शक्ति के आशीर्वाद बिन॥
हे ध्यानमग्न नटराज, पाशविमोचन, रुद्र शिव शंकर।
अदृश्य वाइरस ने रूप रचा है भयंकर॥
हे कालो के काल, उमामहेश्वर महाँकाल।
धरा है कोरोना ने रूप मृत्यु का विकराल॥
कोरोना त्रासदी में शवो की लगी कतार।
हे नीलकंठ, त्रिपुरारी तुम अब करो बेड़ा पार॥
तुम तो बने थे इस दिन माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति के जनक।
छूकर बना दो हम सबका जीवन भी कनक॥
हे त्रिपुरारी, महेश्वर, कमलेश्वर करो खुशियों का शंखनाद।
तुमने दूसरों के लिए त्याग किया सदैव निर्विवाद॥
हे मृत्युंजय इस अदृश्य विषाणु का करो संहार।
मंदिर खुले और शिवालयों में हो तुम्हारी जय-जयकार॥
कोरोना काल में भयभीत और व्यथित हुआ संसार।
हे भोलेनाथ, शम्भूनाथ सुनो हम भक्तजन की पुकार॥
माहेश्वरी की 72 खापों के तुम हो उत्पत्तिकर्ता।
कोरोना रूपी दानव से मुक्ति दो दुरूखहर्ता॥
शिवगंगा तो हुई प्राणीमात्र के कल्याण के लिए अवतरित।
भोलेनाथ की स्तुति प्रार्थना तो फलदायी होती त्वरित॥
हे अविनाशी, गंगाधर, जगतगुरु तुम्हारी महिमा हे अपरंपार।
इस कोरोना काल से तारो, डॉ. रीना करती प्रार्थना बारंबार॥
डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)


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