
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे अब एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश में जुट गये हैं। एकनाथ शिंदे की नई चाल से अब ठाकरे परिवार में हलचल मच गई है और उद्धव ठाकरे इसका तोड़ निकालने के लिए शिवसेना के नेताओं का सहारा ले रहे है। आज शाम उन्होने शिवसेना के सांसदों की बैठक बुलाई है ताकि अपना वजन तोल सकें। हालांकि एक दिन पहले ही उद्धव ठाकरे ने विधायकों की बैठक बुलाई थी जिसमें सिर्फ 13 विधायक ही शामिल हुए थे जिससे ठाकरे परिवार पर शिवसेना पर वर्चस्व बनाये रखने का संकट भी आ गया है। क्योंकि एकनाथ शिंदे ने कहा कि शिवसेना हमारी है क्योंकि बहुमत उनके पास हैं। वहीं अगर भाजपा एकनाथ शिंदे के साथ आती है तो उद्धव ठाकरे को सत्ता से भी हाथ धोना पड़ सकता है। हालांकि बागी एकनाथ शिंदे व सीएम उद्धव ठाकरे बड़ी ही सोच समझकर चाले चल रहे हैं।
महाराष्ट्र का सियासी संकट अब एक रोमांचक मोड़ पर खड़ा है। शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे ने अपने साथ 49 विधायकों की तस्वीर जारी कर दी है। दूसरी तरफ शिवसेना के संजय राउत ने कहा है कि हम एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने के लिए तैयार हैं। बस शिंदे मुंबई आकर उद्धव से बात करें। इसके अलावा खबर है कि बीजेपी ने शिंदे को सरकार बनाने का ऑफर भेज दिया है।
महाराष्ट्र की सियासी उठापटक में इस वक्त का सबसे बड़ा सवाल है कि अब आगे क्या होगा?
शिवसेना पर दावा ठोक सकते हैं शिंदे
एकनाथ शिंदे गुवाहाटी में ही शिवसेना विधायक दल का नेता बन सकते हैं। इसके बाद विधानसभा स्पीकर को ई-मेल या चिट्ठी लिखकर विधानसभा में अपने गुट को असली शिवसेना घोषित करने की मांग कर सकते हैं। इस सिनेरियो की संभावना सबसे ज्यादा है।
महाराष्ट्र विधानसभा में 8 महीने से स्पीकर का पद खाली है। उनकी जगह एनसीपी के नरहरि सीताराम झीरवाल डिप्टी स्पीकर हैं। अगर एनसीपी उद्धव के साथ डटी रहती है, तो शिंदे के शिवसेना पर दावा ठोकने की अपील के लटकने की संभावना ज्यादा है।
सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं शिंदे
एकनाथ शिंदे राज्यपाल के सामने बीजेपी के समर्थन से सरकार बनाने का दावा ठोक सकते हैं। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी कोरोना से जूझ रहे हैं। वो उद्धव सरकार को फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दे सकते हैं। अगर फ्लोर टेस्ट हुआ तो गेंद फिर स्पीकर के पाले में चली जाएगी और स्पीकर शिवसेना की अपील पर शिंदे खेमे को दलबदल कानून में फंसा सकते हैं।
विधायकों को मुंबई बुलाने की कवायद कर सकते हैं ठाकरे
उद्धव के खेमे में सिर्फ 13 विधायक बचे हैं। इन विधायकों के साथ बैठक के बाद संजय राउत ने कहा कि हम एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन तोड़ने के लिए तैयार हैं। बस शिंदे मुंबई आकर उद्धव से बात करें। बागी विधायकों को मुंबई बुलाने के पीछे उद्धव खेमे का छिपा मकसद हो सकता है। वो बागियों को किसी तरह मुंबई बुलाकर उन्हें अपने पाले में तोड़ने की कोशिश कर सकते हैं। उद्धव खेमे की यही आखिरी उम्मीद भी नजर आती है।
गोवा के राज्यपाल के पास पहुंच सकता है मामला
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को कोरोना है। ऐसे में केंद्र सरकार महाराष्ट्र के राज्यपाल का कार्यभार गोवा के राज्यपाल श्रीधरन पिल्लई को सौंप सकते हैं। इससे दो मकसद हल होंगे। पहला- कोरोना प्रोटोकॉल को तोड़े बिना राज्यपाल शिंदे समर्थक विधायकों की परेड करा सकेंगे और दूसरा ये सब उठा-पटक पणजी में होगी। इससे बागी विधायकों के साथ उद्धव खेमे से संपर्क की संभावना कम हो जाएगी।
अदालत के पास पहुंच सकता है मामला
फ्लोर टेस्ट या सरकार बनाने की कवायद विधानसभा में उलझते ही शिंदे या बीजेपी अदालत का रुख कर सकते हैं। इस तरह के मामलों में आम तौर पर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट निश्चित शर्तों के साथ निश्चित समय में फ्लोर टेस्ट करने के निर्देश देती है। महाराष्ट्र के मामले में भी यही संभावना सबसे मजबूत है।
बीजेपी खुद सरकार बनाने का दावा ठोक सकती है
बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस शिंदे और बागी विधायकों के समर्थन के साथ खुद सीधे राज्यपाल के पास सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। इस मामले में भी राज्यपाल फ्लोर टेस्ट का आदेश दे सकता है। फ्लोर टेस्ट में उद्धव के पास पर्याप्त संख्या नहीं होगी। इस स्थिति में वो विश्वासमत खो देंगे। इसके बाद शिंदे के बागी विधायकों के साथ मिलकर बीजेपी सरकार बना सकती है।
उद्धव इस्तीफा दे सकते हैं
ऊपर बताए गए सभी सिनेरियो तभी संभव होंगे, जब उद्धव इस्तीफा नहीं देंगे। हालांकि, उद्धव के इस्तीफा देने की संभावना फिलहाल कम है। अगर उद्धव इस्तीफा देते हैं तो शिंदे और बीजेपी की राह आसान हो जाएगी। राज्यपाल नई सरकार बनाने के लिए सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को न्योता भेजेंगे। शिंदे खेमे के साथ मिलकर बीजेपी नई सरकार बना लेगी।
इन सबके चलते एक और संभावना भी दिखाई दे रही है। शिंदे खेमे को शिवसेना के सांसदों का भी समर्थन है। इन सबको लेकर वो चुनाव आयोग के पास जाकर शिवसेना के सिंबल पर दावा ठोक सकते हैं। जिसके चलते गेंद चुनाव आयोग के पाले में चली जायेगी और वो इस सिंबल पर रोक भी लगा सकते हैं। यानी हर परिस्थिति में नुकसान उद्धव ठाकरे का ही है। अब शिवसेना के कुछ नेता एनसीपी व शरद पवार पर भी उंगली उठा रहे हैं। जिससे महाराष्ट्र की सियासी राजनीति में और हलचल बढ़ गई है। अगर उद्धव ठाकरे ने शिवसेना में बगावत को शांत नही किया तो फिर कांग्रेस व एनसीपी भी उनकों नही बचा पायेगी। क्योंकि अब भाजपा भी सीधे तौर पर बागियों के साथ आती दिख रही है और भाजपा ने एकनाथ शिंदे को समर्थन देने की बात भी कह दी है।
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