लव-कुश रामलीला में पूनम पांडे बनीं मंदोदरी, रामलीला में विवाद जारी                                        

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December 28, 2025

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लव-कुश रामलीला में पूनम पांडे बनीं मंदोदरी, रामलीला में विवाद जारी                                        

-लव-कुश रामलीला: पूनम पांडे की भूमिका पर बहस जारी -रामलीला में पूनम पांडे का नया अवतार, धार्मिक संगठनों ने जताई आपत्ति

नई दिल्ली/उमा सक्सेना/-  दिल्ली के लाल किला ग्राउंड में होने वाली प्रसिद्ध लव-कुश रामलीला में बॉलीवुड एक्ट्रेस और इंटरनेट सेंसेशन पूनम पांडे को रावण की पत्नी मंदोदरी की भूमिका निभाने के लिए चुना गया है। इस निर्णय की खबर सामने आते ही विवाद खड़ा हो गया। विश्व हिंदू परिषद (VHP) सहित कई धार्मिक संगठनों ने इस फैसले पर सवाल उठाए और रामलीला कमिटी से पुनर्विचार की अपील की। हालांकि, लव-कुश रामलीला कमिटी के अध्यक्ष अर्जुन कुमार ने स्पष्ट कर दिया है कि पूनम पांडे इस भूमिका में नजर आएंगी और उनका चयन अंतिम है।

कमिटी का पक्ष और समय के साथ बदलाव
अर्जुन कुमार ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में बदलाव का अवसर आता है। उन्होंने यह भी कहा कि समाज में सुधार लाने के लिए हमें अपने नजरिए को भी बदलना होगा। अर्जुन कुमार ने पूनम पांडे से इस मुद्दे पर बात की और कहा कि उनका अतीत चाहे जैसा भी रहा हो, रामलीला में भूमिका निभाने से उनका दृष्टिकोण बदल सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि पूनम पांडे इस भूमिका के माध्यम से अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएंगी।

विवाद जारी, धार्मिक संगठनों का विरोध
हालांकि, विवाद अभी भी थमा नहीं है। विश्व हिंदू परिषद ने रामलीला कमिटी को खत भेजा है, लेकिन कमिटी का कहना है कि उन्हें फिलहाल कोई आधिकारिक पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। कई साधू संतों ने भी कमिटी के निर्णय पर सवाल उठाए और सुझाव दिया कि जो जैसा है, उसे वैसा ही रोल दिया जाना चाहिए। उनका मानना है कि पूनम पांडे मंदोदरी की भूमिका के बजाय किसी अन्य किरदार, जैसे सूर्पनखा, के लिए अधिक उपयुक्त हैं।

रामलीला में बदलाव और सामाजिक संदेश
कमिटी का मानना है कि समय के साथ बदलाव आवश्यक हैं और रामलीला में कलाकारों के माध्यम से सामाजिक संदेश देने का अवसर मिलता है। इस विवाद के बीच, पूनम पांडे की भूमिका को लेकर चर्चा लगातार बढ़ रही है। कलाकारों का चयन केवल परंपरा या अतीत के आधार पर नहीं, बल्कि वर्तमान संदर्भ और उनके व्यक्तित्व के आधार पर होना चाहिए।

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