जयपुर/- राजस्थान को जैविक व विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भारतीय जैविक किसान उत्पादक संघ के एक प्रतिनिधि मंडल ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। संघ के अध्यक्ष डॉ अतुल गुप्ता के नेतृत्व में प्रतिनिधि मंडल ने धनखड़ को राजस्थान को जैविक प्रदेश बनाने की संभावनाओं से अवगत कराया और रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों के बारें में भी जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल ने राजस्थान को जैविक प्रदेश बनाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा देकर केंद्रीय बजट में विशेष विशेष पैकेज दिए जाने की उपराष्ट्रपति से मांग की।
श्री गुप्ता ने कहा कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बचाने के लिए जैविक खाद व कीटनाशकों के इस्तेमाल को बढ़ाना होगा। इससे प्रदेश में जैविक खाद उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। वही बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। जिसे देखते हुए प्रदेश में जैविक खेती का उद्योग का दर्जा मिलना चाहिए। डॉक्टर अतुल गुप्ता ने कहा कि कृषि को एमएसएमई में शामिल कर उद्योग का दर्जा दिया जाना चाहिए ताकि गांव में कृषि आधारित औद्योगिक इकाइयां स्थापित कर गांव से पलायन रोका जा सके। नवाचारी किसानों को उनके उत्पाद के निर्यात हेतु लाइसेंस दिए जाने चाहिए। साथ ही राजस्थान में कृषि उद्योग आयोग गठित किया जाना चाहिए। जैविक खाद व कंपोस्ट खाद के लिए जरूरी है कि प्रदेश में गोवंश की दुर्दशा में सुधार कर पशुपालन व्यवसाय को बढ़ावा दिया जाए।
प्रदेश में जैविक आदानो की हो व्यवस्था/-
जिस प्रकार रासायनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए 60 से 70 के दशक में उर्वरकों के कारखाने लगाए गए और गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए किसान सहकारी समितियां बनाई गई। राष्ट्रीय स्तर पर इफको व कृभको जैसी संस्थाएं बनाई गई। ठीक उसी प्रकार के प्रयास जैविक खेती के उत्थान के लिए किए जाने चाहिए। आज किसान जैविक खेती अपनाने को तैयार है किंतु उसे अच्छी गुणवत्ता वाली खाद, जीवाणु खाद व जैविक कीटनाशक ग्राम स्तर पर उपलब्ध नहीं है। इस दौरान जयपुर के जेपीआइएस स्कूल के 13 वर्षीय छात्र श्रेष्ठ मंगल ने 1000 विद्यार्थियों के हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन भी उपराष्ट्रपति दिया जिसमें प्रदेश के 100 फीसदी जैविक फूड व स्वच्छ वायु युक्त वातावरण उपलब्ध करवाने के लिए राजस्थान को जैविक प्रदेश बनाने की मांग की गई है।
जैविक खेती के आदानों पर मिले सब्सिडी/-
रासायनिक उर्वरकों पर प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ यानी 100 बिलियन रुपए रासायनिक खेती के आदानों की सब्सिडी पर खर्च हो रहा है। दनके अलावा कीटनाशक, ट्रैक्टर व दूसरे संसाधनों पर खरबों की सब्सिडी दी जाती है। इसी प्रकार जैविक खेती के लिए भी सब्सिडी दी जाए ताकि देश में जैविक खेती को बढ़ावा मिले और देश में लोगों को शुद्ध व स्वच्छ खाद्य पदार्थ मिल सके।
प्रतिनिधिमंडल में हनीमैन चैरिटेबल मिशन सोसायटी की सचिव मोनिका गुप्ता, भारतीय जैविक महिला किसान उत्पादक संघ की राष्ट्रीय अध्यक्षा संगीता गौड, सामाजिक कार्यकर्ता शिखा मंगल च कृषि पत्रकार गुरजंट सिंह धालीवाल भी शामिल थे।
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