• DENTOTO
  • मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    June 2025
    M T W T F S S
     1
    2345678
    9101112131415
    16171819202122
    23242526272829
    30  
    June 21, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर नए कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

    -याचिका में निष्पक्ष और स्वतंत्र चयन समिति के गठन की मांग

    नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई है। इसमें कोर्ट से केंद्र सरकार को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र चयन समिति के गठन का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। जनहित याचिका (पीआईएल) में कहा गया है कि केंद्र सरकार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पूरी तरह पारदर्शिता बरतनी चाहिए।

    गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से 28 दिसंबर को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसमें मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से जुड़े नए नियमों का उल्लेख किया गया है।

    क्या है नए कानून में प्रावधान?
    मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) कानून को लेकर शुक्रवार को एक सरकारी अधिसूचना जारी की गई थी। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और कार्यालय की अवधि) विधेयक, 2023 में मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सिफारिशें करने के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में एक चयन समिति का प्रावधान है।
    मुख्य चुनाव आयुक्त/आयुक्त के वेतन के संबंध में खंड 10 में संशोधन किया है। आयुक्तों को अभी सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर वेतन मिलता है, लेकिन नए कानून के तहत उसमें आयुक्तों का वेतन कैबिनेट सचिव के बराबर कर दिया गया। कैबिनेट सचिव का वेतन जजों के बराबर है, लेकिन भत्तों व अन्य सुविधाओं में खासा अंतर है। सेवा शर्तों से जुड़े खंड-15 में संशोधन के साथ खंड 15(ए) जोड़ा गया है, जो चुनाव आयुक्तों को कानूनी संरक्षण से जुड़ा है। खंड-15 में आयुक्तों के यात्रा भत्ते, चिकित्सा, एलटीसी व अन्य सुविधाओं को जिक्र है, जबकि 15 (ए) में कहा है कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त जो फैसले लेंगे, उसके खिलाफ प्राथमिकी नहीं हो सकेगी, न ही फैसलों को कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।

    चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर हटाया जा सकेगा
    चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित खंड में संशोधन किया  है, जिसमें आयुक्तों के सर्च पैनल का स्वरूप तय किया है। संशोधन के बाद अब आयुक्त की नियुक्ति से पहले देश के कानून मंत्री और भारत सरकार में सचिव स्तर के दो अधिकारी मिलकर पांच व्यक्तियों का पैनल तैयार करेंगे। इसी पैनल से अगला आयुक्त नियुक्त होगा। खंड 11 में मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्त हटाने की प्रक्रिया तय की है। मुख्य आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के जज की प्रक्रिया से ही हटाया जा सकेगा, जबकि चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त की सिफारिश पर हटाया जा सकेगा।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox