नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- 2022 में बाली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन से एक वीडियो सामने आया था जिसमें पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग गर्मजोशी से हाथ मिलाते दिख रहे हैं। मुलाकात के आठ महीने बाद अब दोनों ही देशों ने इसे लेकर बयान जारी किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इसी हफ्ते दावा किया कि पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत हुई थी। चीन ने दावा किया कि दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता लाने पर सहमति बनी थी। अब भारत ने इस पर स्पष्टीकरण दिया है।
गुरुवार को एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ’प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की तरफ से आयोजित डिनर के बाद शिष्टाचार मुलाकात की थी। दोनों नेताओं ने हमारे द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की जरूरत को लेकर भी बात की थी। जैसा कि आप सब जानते हैं, हम मजबूती से यह बात कहते रहे हैं कि इस पूरे मुद्दे के समाधान की कुंजी भारत-चीन सीमा के वास्तविक नियंत्रण रेखा स्थिति को हल करना और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करना है।
जी-20 बाली का जो वीडियो सामने आया था उसमें डिनर के बाद के अंत में पीएम मोदी और शी जिनपिंग हाथ मिलाते दिखे थे। वीडियो में देखा गया था कि जैसे ही राष्ट्रपति जिनपिंग पीएम मोदी की तरफ बढ़ते हैं, दोनों नेता एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं और हाथ मिलाते हैं। दोनों नेता सहजता से एक-दूसरे से बात करते दिखे थे हालांकि, इससे यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि दोनों के बीच भारत-चीन के रिश्तों को लेकर कोई बात हुई थी या नहीं। दोनों देशों की तरफ से यह स्पष्टीकरण पीएम मोदी और जिनपिंग की मुलाकात के आठ महीनों बाद आया है। चीन ने दोनों नेताओं के बीच बातचीत को लेकर इसी हफ्ते बयान जारी किया था।
चीनी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया था, ’पिछले साल के अंत में बाली में राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच रिश्तों में स्थिरता लाने के मुद्दे पर महत्वपूर्ण सहमति बनी थी।’
गलवान झड़प के बाद पहली बार मिले थे पीएम मोदी और शी जिनपिंग
भारत और चीन के बीच साल 2020 से ही तनाव का माहौल है। 15-16 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में एलएसी पर भारत चीन के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस झड़प में चीन के सैनिक भी हताहत हुए थे।
भारत और चीन के बीच गलवान झड़प के बाद तनाव चरम पर पहुंच गया था और उसके बाद से दोनों देशों ने कई बार एक-दूसरे पर अतिक्रमण का ओराप लगाया है हालांकि, तनाव के बावजूद दोनों देशों ने बातचीत के दरवाजे खुले रखे हैं।
एनएसए डोभाल और वांग यी की मुलाकात के बाद चीन ने जारी किया था बयान
चीन की तरफ से दोनों राष्ट्राध्यक्षों के बीच बातचीत को लेकर बयान ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की दक्षिण अफ्रीका में आयोजित बैठक के बाद आया। इस बैठक में एनएसए अजीत डोभाल और चीन के शीर्ष राजनयिक वांग यी के बीच मुलाकात हुई थी। दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता में आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ाने पर बात हुई।
विदेश मंत्रालय ने दोनों नेताओं के बीच वार्ता को लेकर जारी एक बयान में कहा, ’’बैठक के दौरान एनएसए ने बताया कि 2020 से भारत-चीन सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी पर स्थिति ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक विश्वास और रिश्ते को कम किया है। एनएसए ने समस्या को सुलझाने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल करने के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों पर जोर दिया ताकि द्विपक्षीय संबंधो की बेहतरी के रास्ते में आने वाली मुश्किलों को दूर किया जा सके।’ बयान में आगे कहा गया, ’दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए हैं कि भारत-चीन द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि क्षेत्र और दुनिया के लिए भी महत्वपूर्ण है।’
इसके बाद चीनी विदेश मंत्रालय ने भी मुलाकात को लेकर एक बयान जारी किया था जिसमें कहा गया कि वांग यी ने डोभाल से रणनीतिक आपसी भरोसे को बढ़ाने और आम सहमति और सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने वाली नीतियों को बढ़ावा देने आह्वान किया।
’चाहे हम एक-दूसरे का समर्थन करें या एक-दूसरे को खत्म….’
बयान के मुताबिक, वांग यी ने एनएसए डोभाल से कहा कि चाहे चीन और भारत एक-दूसरे का समर्थन करें या एक-दूसरे को खत्म कर दें, इसका सीधा असर उनके विकास के साथ-साथ विश्व पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को इस बात को समझना होगा कि वे एक-दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं पैदा करते हैं और एक-दूसरे के विकास के लिए अवसर पेश करते हैं। चीनी बयान में आगे कहा गया था, ’बातचीत के दौरान डोभाल ने स्वीकार किया कि दोनों देश एक-दूसरे से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं और दोनों के बीच रणनीतिक आपसी भरोसे को फिर से कायम करना जरूरी है।’
बयान में एनएसए अजीत डोभाल के हवाले से कहा गया कि भारत आपसी समझ और आपसी सम्मान की भावना से सीमा का मुद्दा सुलझाने के लिए चीनी पक्ष के साथ काम करने की इच्छा रखता है।
विदेश मंत्री जयशंकर और वांग यी की भी हुई थी मुलाकात
इसी महीने की शुरुआत में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने वांग यी से मुलाकात की थी जिसमें सीमा पर तनाव को लेकर चल रहे लंबित मुद्दों पर भी बात हुई थी। दोनों नेताओं के बीच यह मुलाकात आसियान क्षेत्रीय मंच (एआरएफ) की मंत्रिस्तरीय बैठक के मौके पर हुई थी। बैठक के बाद जयशंकर ने ट्वीट किया था, ’अभी वांग यी के साथ एक मुलाकात हुई। हमने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए लंबित मुद्दों पर चर्चा की।’
इस साल मार्च में विदेश मंत्री जयशंकर ने चीन के तत्कालीन विदेश मंत्री किन गांग से मुलाकात की थी। किन गांग को इसी हफ्ते विदेश मंत्री के पद से हटा दिया गया है और उनकी जगह वांग यी को चीन का नया विदेश मंत्री नियुक्त किया गया है। विदेश मंत्री जयशंकर और किन गांग की मुलाकात दिल्ली में आयोजित जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर हुई थी। उस दौरान जयशंकर ने भारत-चीन के द्विपक्षीय रिश्तों को ’असामान्य’ बताया था।
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