दिल्ली/ नजफगढ़/शिव कुमार यादव/- दिनांक: 19 – 22 मार्च, 2025 को के वि के परिसर में प्याज की उन्नत उत्पादन तकनीकी एवं कटाई उपरांत प्रबंधन विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

यह प्रशिक्षण कार्यक्रम राष्ट्रीय बागवानी अनुसन्धान एवं विकास प्रतिष्ठान, दिल्ली द्वारा प्रायोजित, एकीकृत बागवानी विकास मिशन के अंतर्गत, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में केंद्र के अध्यक्ष डॉ डी के राणा ने सभी प्रशिक्षुकों का स्वागत करते हुए अपने संबोधन में बताया की प्याज की खेती अगर हम उतरी भारत में करते है तो हमें वर्षभर प्याज की उपलब्धता के साथ किसानो की आये भी बढ़ेगी I

इसके साथ ही उन्होंने यह बताया की प्याज में लगने वाले किट व बीमारियों के काफी नुकसान होता है, इसके लिए उन्होंने बचाओ के सभी उपायों से अवगत कराया । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिल्ली एवं आस पास के गांव के 30 किसानो ने भाग लिया । इस प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य यह था कि भारत के उत्तरी राज्य में प्याज का कलस्टर विकसित करना है, जिससे उत्तरी भारत में प्याज की वर्षभर उपलब्धता बनी रहे एवं किसानों की आमदनी भी बढे ।

इस प्रशिक्षण के दौरान किसानो को उन्नत बीज की प्रजातियां जैसे एन. एच. आर. डी. एफ. रेड, एन. एच. आर. डी. एफ. लाइन -920, एन. एच.आर.डी.एफ. रेड-2. एन.एच.आर.डी.एफ. रेड, एन.एच.आर.डी.एफ. रेड-4 एवं एग्रीफॉउन्ड लाइट रेड आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई । डॉ राकेश कुमार बागवानी विशेषज्ञ कृषि विज्ञान केंद्र, दिल्ली ने प्याज की नर्सरी तैयार करने के तरीके, रोपाई से पहले खेत की तैयारी, सिंचाई एवं खरपतवार प्रबंधन की जानकारी किसानो को दी।
इस प्रशिक्षण के दौरान डॉ रजनीश मिश्रा उप निदेशक, राष्ट्रीय बागवानी अनुसन्धान एवं विकास प्रतिष्ठान, दिल्ली ने प्याज की भारत में क्षेत्रवार प्याज उत्पादन की स्थिति प्रमुख बाजार आदि विषयों पर किसानों को विस्तृत जानकारी दी। साथ ही साथ उन्होंने प्याज की कटाई उपरांत प्रबंधन की भी जानकारी दी। इस अवसर पर डॉ जितेंदर कुमार सहायक प्रोफेसर HAU,हिसार ने प्याज में लगने वाले खरपतवार की पहचान एवं उसके नियंत्रण की जानकारी दी । कार्यक्रम के दौरान किसानों एवं विशेषज्ञ के बीच सवाल जवाब एवं प्रक्षेत्र भ्रमण भी कराया गया। कार्यक्रम के अंत में केंद्र के कृषि प्रसार विशेषज श्री कैलाश में किसानी की आज कृषि के बदलते सवरूप एवं बाजार के हिसाब से खेती करने की सलाह दी साथ ही साथ उन्होंने कार्यक्रम में भाग ले रहे सभी किसानो, विशेषज्ञोंको अपना समय देने के लिए धन्यवाद दिया।


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