नई दिल्ली/नंगली डेयरी/उमा सक्सेना/- नंगली वार्ड के निवासियों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार शनिवार को बहुचर्चित बायोगैस प्लांट का शुभारंभ कर दिया गया। यह संयंत्र नगली डेरी कॉलोनी की 2.72 एकड़ भूमि पर बनाया गया है और स्थानीय जनजीवन में सकारात्मक बदलाव लाने की उम्मीद जगाता है।

उद्घाटन में कई दिग्गज रहे मौजूद
इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, पश्चिम दिल्ली की सांसद कमल जीत सेहरावत, नगर निगम नजफगढ़ जोन की अध्यक्ष एवं नगली वार्ड की पार्षद सविता पवन शर्मा और सीड कंसल्टेंट्स एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक एवं सीईओ प्रिंस गांधी मुख्य रूप से उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री का बयान: ग्रामीणों के लिए बड़ा तोहफ़ा
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इसे सिर्फ मटियाला विधानसभा ही नहीं बल्कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी एक बेहतरीन उपहार बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रोजेक्ट न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अहम कदम हैं, बल्कि ग्रामीण और कृषि परिवेश को संवारने का भी एक अवसर देते हैं।

सीड कंपनी का दृष्टिकोण: अपशिष्ट से ऊर्जा की क्रांति
सीड कंसल्टेंसी एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ प्रिंस गांधी ने कहा कि यह केवल एक परियोजना नहीं, बल्कि परिवर्तन की क्रांति है। अब तक बेकार समझे जाने वाले पशु अपशिष्ट (गोबर) को ऊर्जा उत्पादन और आर्थिक सहयोग के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने स्थानीय लोगों से अपील की कि वे अधिक से अधिक सहयोग दें और गोबर को इस संयंत्र तक पहुंचाएं।

निगम पार्षद का संदेश: डेयरी मालिकों को आर्थिक लाभ
नजफगढ़ जोन की अध्यक्ष और वार्ड पार्षद सविता पवन शर्मा ने कहा कि इस परियोजना से डेयरी मालिकों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा। उन्होंने डेयरी संचालकों से अनुरोध किया कि वे अपने पशुओं का गोबर संयंत्र को उपलब्ध कराएं, जिसके बदले उन्हें निश्चित राशि दी जाएगी।

सीड कंसल्टेंट्स एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और संस्थापक प्रिंस गांधी का योगदान
मटियाला विधानसभा क्षेत्र के नगली वार्ड में आज बहुप्रतीक्षित बायोगैस प्लांट का उद्घाटन कर दिया गया। यह प्लांट सीड कंसल्टेंट्स एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी द्वारा विकसित किया गया है। इस परियोजना के संस्थापक और सीईओ प्रिंस गांधी ने कहा कि यह सिर्फ एक परियोजना नहीं बल्कि ऊर्जा और ग्रामीण विकास में एक नई क्रांति की शुरुआत है।
प्रिंस गांधी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि अब तक जिसे अपशिष्ट समझा जाता था, वह आर्थिक और ऊर्जा उत्पादन में सहायक साबित होगा। उन्होंने स्थानीय निवासियों से भी अपील की कि वे इस परियोजना में सहयोग दें और अपने डेयरी के गोबर को इस प्लांट तक पहुंचाएं।
इस तरह, सीड कंसल्टेंट्स एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और उसके संस्थापक प्रिंस गांधी ने नगली वार्ड में न केवल पर्यावरण की दिशा में कदम बढ़ाया है बल्कि स्थानीय डेयरी मालिकों के लिए आर्थिक अवसर भी प्रदान किए हैं।

भविष्य की चुनौती: जागरूकता बढ़ाना
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्लांट की सफलता स्थानीय लोगों की भागीदारी पर निर्भर करेगी। पहले जहां डेयरी मालिक गोबर को नालियों और सीवर में बहा देते थे, अब आर्थिक लाभ मिलने से वे इसे संयंत्र तक पहुंचाने के लिए प्रोत्साहित होंगे। हालांकि, इसके लिए लोगों को जागरूक करना सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी, जिसमें कंपनी, स्थानीय प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व को मिलकर काम करना होगा।


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