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    छात्रों व नौकरी पेशा के लिए नेटवर्क मार्केटिंग बन सकती है एक्स्ट्रा इनकम का जरिया

    -पढ़ाई व जॉब के साथ कर सकते हैं नेटवर्क मार्केटिंग पर काम

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- नेटवर्क मार्केटिंग, जिसे मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) के रूप में भी जाना जाता है। कई दशकों से एक लोकप्रिय बिजनेस मॉडल बनती जा रही है। इसका एक लंबा इतिहास रहा है जो 20वीं सदी की शुरुआत में शुरू हुआ था। जब कंपनियों ने ग्राहकों तक पहुंचने के लिए डायरेक्ट सेलिंग तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू किया था। पिछले कुछ वर्षों में, नेटवर्क मार्केटिंग विकसित हुई है और आधुनिक व्यापार परिदृश्य का एक अभिन्न अंग बन गई है। अब यही नेटवर्क मार्केटिंग छात्रों व कामकाजी लोगों के लिए पढ़ाई व जॉब के साथ-साथ एक्स्ट्रा इनकम का जरिया बन सकती है। आज का करियर फंडा भी यही है कि यदि ईमानदार कंपनी हो, नीयत साफ हो और आप मेहनती हों, तो नेटवर्क मार्केटिंग में अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।
                      यह एक व्यवसाय मॉडल है, जो उत्पादों या सेवाओं को बेचने के लिए वितरकों यानी डिस्ट्रीब्यूटर के नेटवर्क पर निर्भर करता है। इसमें वितरकों की एक टीम बनाना शामिल है, जो सीधे ग्राहकों को उत्पाद बेचते हैं और उनकी बिक्री पर कमीशन लेते हैं। डिस्ट्रीब्यूटर्स को नेटवर्क में अधिक लोगों को भर्ती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे पिरामिड जैसी संरचना बनती है। (पिरामिड शब्द सुनते ही आपके मन में पॉन्जी स्कीम आया होगा।)

    करियर फंडा में स्वागत!
    मुझे यकीन है, पिछले बीस-बाइस वर्षों में हम में से हर किसी को इस तरह का अनुभव कम-से-कम एक बार तो जरूर हुआ होगा। आज के करियर फंडा में हम ’नेटवर्किंग मार्केटिंग’ को स्टूडेंट्स के लिए करियर ऑप्शन के रूप में एनालाइज करने की कोशिश करेंगे।

    नेटवर्क मार्केटिंग क्या है
    नेटवर्क मार्केटिंग, जिसे मल्टी-लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) के रूप में भी जाना जाता है। कई दशकों से एक लोकप्रिय बिजनेस मॉडल रहा है। इसका एक लंबा इतिहास है जो 20वीं सदी की शुरुआत में शुरू हुआ था।
                   जब कंपनियों ने ग्राहकों तक पहुंचने के लिए डायरेक्ट सेलिंग तकनीक का इस्तेमाल करना शुरू किया था। पिछले कुछ वर्षों में, नेटवर्क मार्केटिंग विकसित हुई है और आधुनिक व्यापार परिदृश्य का एक अभिन्न अंग बन गई है।
                   यह एक व्यवसाय मॉडल है, जो उत्पादों या सेवाओं को बेचने के लिए वितरकों यानी डिस्ट्रीब्यूटर के नेटवर्क पर निर्भर करता है। इसमें वितरकों की एक टीम बनाना शामिल है, जो सीधे ग्राहकों को उत्पाद बेचते हैं और उनकी बिक्री पर कमीशन लेते हैं।
                   डिस्ट्रीब्यूटर्स को नेटवर्क में अधिक लोगों को भर्ती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे पिरामिड जैसी संरचना बनती है। (पिरामिड शब्द सुनते ही आपके मन में पॉन्जी स्कीम आया होगा।)

    एवोन नेटवर्क मार्केटिंग
    इसके शुरुआती उदाहरणों में से एक है एवोन, जिसे 1886 में स्थापित किया गया था। एवोन का बिजनेस मॉडल डोर-टू-डोर बिक्री की अवधारणा पर आधारित था, जहां प्रतिनिधि सीधे ग्राहकों को ब्यूटी प्रोडक्ट बेचते थे। बाद में न्यूट्रिलाइट, टपरवेयर, एमवे, हर्बालाइफ और मैरी के इत्यादि कई कंपनियों ने इस मॉडल से सफलता प्राप्त की।

    ध्यान रखी जाने वाली बातें
    भारत में आई ये सभी कंपनियां विदेशी थीं। फिर भारत की कुछ कंपनियों ने जैसे आरसीएम, वेस्टीज, मोदीकेयर इत्यादि ने भी इस मॉडल को अपनाया, जिसके मिश्रित परिणाम रहे हैं। इस फील्ड में करियर बनाने वाले या अतिरिक्त आय के लिए इस फील्ड में काम करने की इच्छा रखने वाले स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स को नीचे दी गई बातों का ध्यान रखना चाहिए।

    अब भारतीयों के लिए कुछ सुझाव और वॉर्निंग को पढ़ते हैं…

    भारत में मिसफिट
    विश्व-स्तर पर, खासतौर से अमेरिका और यूरोप में नेटवर्क मार्केटिंग की सफलता का श्रेय इसके अनूठे बिजनेस मॉडल को दिया जा सकता है, जो डिस्ट्रीब्यूटर्स को उनकी बिक्री के साथ-साथ उन लोगों की बिक्री पर कमीशन अर्जित करने की अनुमति देता है जिन्हें वे नेटवर्क में भर्ती करते हैं।
                    यह डिस्ट्रीब्यूटर्स को अपना नेटवर्क बनाने और विकसित करने के लिए एक शक्तिशाली प्रोत्साहन देता है, क्योंकि वे अपनी टीम की बिक्री से निष्क्रिय आय अर्जित कर सकते हैं। लेकिन इसे आंख मूंद कर भारत में लागू करना मूर्खता होगी।
                    यूरोप और अमेरिका में लोग उपभोक्तावादी है, और केवल प्रोफेशनल बेनिफिट के लिए रिलेशन बनाना वहां आम है, लेकिन ’पूर्व’ में नहीं।
                    हमारे यहां के तो प्रमुख धर्म जैसे हिन्दू, बौद्ध और जैन तीनों ही कम से कम सिद्धांत में त्याग और मिनिमलिस्म की बात करते हैं। ऐसे में हर वक्त व्यापार, नेटवर्क मार्केटिंग, पैसे, प्रोडक्ट की बात करने वाले व्यक्ति को पसंद नहीं ही किया जाएगा।

    नेगेटिव इमेज
    भारत में, नेटवर्क मार्केटिंग अक्सर पॉन्जी योजनाओं और धोखाधड़ी गतिविधियों से जुड़ी होती हैं।
                   पॉन्जी योजनाएं अवैध और धोखाधड़ी वाली निवेश योजनाएं हैं जो निवेशकों को उच्च रिटर्न का वादा करती हैं, लेकिन मौजूदा निवेशकों को भुगतान करने के लिए नए निवेशकों के पैसे का उपयोग करती हैं। यह एक पिरामिड जैसी संरचना बनाता है जो अंततः तब ढह जाती है जब नए निवेशक योजना में शामिल होना बंद कर देते हैं।
                    इसलिए आज भारत के समाज में इस तरह की नेटवर्क मार्केटिंग योजनाओं में शामिल होने वाले व्यक्ति की एक नेगेटिव इमेज ही बनती है। लोग ऐसे व्यक्तियों के बारे में सोचते हैं कि और कुछ बिज़नेस नहीं चला सका या जीवन में और कुछ नहीं कर सका तो घर-घर सामान बेच रहा है। पीठ पीछे ऐसे व्यक्तियों का मजाक तक उड़ाया जाता है।
                    यहां ये बता दूं कि मेहनत कर अपनी रोटी कमाना बिल्कुल बुरी बात नहीं, और गांधी जी ने तो शारीरिक श्रम की गरिमा पर कितना कुछ कहा भी है, लेकिन बात धोखाधड़ी की हो रही है।

    पॉन्जी योजनाओं और वैध नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों के बीच अंतर
    पॉन्जी योजनाओं और वैध नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों के बीच अंतर करना महत्वपूर्ण है। वैध नेटवर्क मार्केटिंग कंपनियों के पास एक उत्पाद या सेवा होती है जो सीधे ग्राहकों को बेची जाती है, और वितरक उनकी बिक्री पर कमीशन कमाते हैं। इसके विपरीत, पॉन्जी योजनाओं के पास वैध उत्पाद या सेवा नहीं होती है और मौजूदा निवेशकों को भुगतान करने के लिए केवल नए निवेशकों की भर्ती पर निर्भर करती है।

    2021 के नए सरकारी नियम
    दिसंबर 2021 में, भारत सरकार ने उपभोक्ताओं की सुरक्षा के उद्देश्य से डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों के लिए नए “उपभोक्ता संरक्षण नियम“ जारी किए।
                    ये नए नियम डायरेक्ट सेलिंग (प्रत्यक्ष बिक्री) के माध्यम से खरीदी या बेची गई सभी वस्तुओं और सेवाओं पर लागू हैं, और इसमें शामिल हैं भारत में उपभोक्ताओं को वस्तुओं और सेवाओं की पेशकश करने वाली सभी प्रत्यक्ष बिक्री कंपनियां, जिसमें वो कंपनियां भी होंगी जो भारत में नहीं है, लेकिन उपभोक्ताओं को सामान या सेवाएं प्रदान करती है।

    नए नियमों में सभी डायरेक्ट सेलिंग कंपनियों और विक्रेताओं को इससे प्रतिबंधित कर दिया गया है
    (1) डायरेक्ट सेलिंग व्यवसाय के नाम पर किसी पिरामिड योजना को बढ़ावा देना या ऐसी योजना में किसी व्यक्ति को नामांकित करना या ऐसी व्यवस्था में भाग लेना, और
    (2) डायरेक्ट सेलिंग व्यवसाय करने की आड़ में मनी सर्कुलेशन स्कीम चलाना।
                     तो अब भारत में, डायरेक्ट सेलिंग कंस्यूमर्स को इस आधार पर खरीदारी करने के लिए प्रेरित नहीं कर सकते कि वे और संभावित ग्राहकों को समान खरीद के लिए डायरेक्ट सेलर्स को रेफर करके कीमत कम कर सकते हैं, या पूरी ही वसूल कर सकते हैं। डायरेक्ट सेलिंग संस्थाओं के लिए अब यह अनिवार्य है कि वे राज्य सरकारों के साथ खुद को पंजीकृत करें और भारत के भीतर कम से कम एक भौतिक स्थान को अपने पंजीकृत कार्यालय के रूप में रखें।

    निष्कर्ष-
    भारत में नेटवर्क मार्केटिंग से जुड़े नकारात्मक अर्थों के बावजूद, इसमें व्यवसाय बनाने या अतिरिक्त आय अर्जित करने के इच्छुक छात्रों और पेशेवरों के लिए एक अच्छा रास्ता होने की क्षमता है। ये व्यवसाय मॉडल व्यक्तियों को न्यूनतम निवेश के साथ अपना व्यवसाय शुरू करने और वितरकों का एक नेटवर्क बनाने की अनुमति देता है जो उन्हें अपना व्यवसाय बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।
                     छात्रों के लिए, नेटवर्क मार्केटिंग पढ़ाई के दौरान अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर प्रदान कर सकती है। यह उन्हें लचीले घंटे काम करने और बिक्री, विपणन और नेतृत्व जैसे मूल्यवान व्यवसायिक कौशल बनाने की अनुमति देता है।
                     पेशेवरों के लिए, नेटवर्क मार्केटिंग उनकी अतिरिक्त आय का एक तरीका हो सकता है।
    केवल दो बातों का ध्यान रखेंः प्रोडक्ट्स की क्वालिटी खराब न हो और पूरी मार्केटिंग स्कीम फेयर हो यानी धोखाधड़ी से भरी न हो। इसके अलावा प्रोफेशनल और निजी रिलेशन को अलग-अलग रखें, हर किसी को ’प्रोडक्ट टिकाने’ का एटीट्यूड न रखें। आज का करियर फंडा यह है कि यदि ईमानदार कंपनी हो, नीयत साफ हो और आप मेहनती हों, तो नेटवर्क मार्केटिंग में अच्छा पैसा कमाया जा सकता है।

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