बीजिंग/शिव कुमार यादव/- चीन में एकबार फिर एक नई महामारी पैर पसार रही है। चीनी मीडिया ने स्कूलों में एक रहस्यमय बीमारी फैलने की बात कही है। इसके चलते चीन की राजधानी बीजिंग और उसके करीब 800 किमी के दायरे में सभी अस्पताल मरीजों से भरे हैं। बीमारी को फैलने से रोकने के लिए स्कूलों की छुट्टी कर दी गई है। पीड़ित बच्चों में फेफड़ों में जलन, तेज बुखार, खांसी और जुकाम जैसे लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
इसको लेकर चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने 13 नवंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने भी बताया कि चीन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सांस से जुड़ी एक बीमारी फैलने की जानकारी दी है। ये बीमारी बच्चों को अपनी चपेट में ले रही है।
दुनियाभर में अलर्ट जारी
प्रो-मेड नाम के एक सर्विलांस प्लेटफॉर्म ने चीन में निमोनिया को लेकर दुनियाभर में अलर्ट जारी किया है। ये प्लेटफॉर्म इंसानों और जानवरों में फैलने वाली बीमारियों की जानकारी रखता है। प्रो-मेड ने कोरोना को लेकर भी दिसंबर 2019 में एक अलर्ट जारी किया था।
प्रो-मेड की रिपोर्ट के मुताबिक, ये अभी तक पता नहीं चल पाया है कि इस बीमारी ने कब फैलना शुरू किया। प्लेटफॉर्म ने ये भी नहीं बताया कि ये बीमारी सिर्फ बच्चों तक सीमित है या युवाओं और बुजुर्गों को भी अपनी चपेट में ले रही है।
महामारी कहना जल्दबाजी
पिछले हफ्ते चीन के नेशनल हेल्थ कमीशन ने निमोनिया फैलने की वजह कोरोना पाबंदियों का हटना बताया था। डब्ल्यूएचओ ने बीमारी की जांच के लिए चीन में हाल फिलहाल में फैले सभी तरह के वायरस की सूची मांगी है। वहीं, लोगों से कहा है कि वो मास्क पहन कर रखें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
डब्ल्यूएचओ ने अभी तक रहस्यमयी बीमारी के महामारी होने पर कोई जानकारी नहीं दी है। वहीं, सर्विलांस प्लेटफॉर्म प्रो-मेड ने भी कहा कि इसे महामारी कहना गलत और जल्दबाजी होगा। इस वक्त चीन में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। तापमान जीरो डिग्री के करीब पहुंचने की संभावनाएं हैं।
कोरोना पर अब भी डब्ल्यूएचओ-चीन में मतभेद
कोरोना महामारी पर अब तक चीन और डब्ल्यूएचओ में मतभेद चल रहा है। महामारी के दौरान डब्ल्यूएचओ लगातार चीन की आलोचना कर रहा था। डब्ल्यूएचओ ने आरोप लगाया था कि चीन ने समय रहते दुनिया को कोरोना महामारी की जानकारी नहीं दी और सहयोग भी नहीं किया। कोरोना महामारी को 3 साल से ज्यादा समय बीत चुका है। अब तक इसके ओरिजिन को लेकर बहस जारी है। वैज्ञानिक 2 थ्योरी पर बंटे हुए हैं।
पहली थ्योरी मानने वाले वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब से लीक हुआ, जहां वायरस पर स्टडी की जा रही थी। वहीं, दूसरी थ्योरी में यकीन करने वाले वैज्ञानिकों को लगता है कि कोविड किसी जानवर के जरिए लोकल मार्केट में फैला और फिर महामारी का रूप लिया।
डब्ल्यूएचओ का ये भी कहना है कि चीन के पास काफी डेटा है, जिससे कोरोना वायरस के ओरिजिन को समझा जा सकता है। हालांकि, चीन इसे साझा नहीं कर रहा है।
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