नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- कृषि विज्ञान केन्द्र, दिल्ली के तत्वावधान में दिनांक 05 अगस्त से 13 अगस्त 2025 तक केंचुआ खाद (वर्मी कम्पोस्ट) उत्पादन तकनीकी विषय पर एक व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण में दिल्ली एवं आस-पास के राज्यों से आए कुल 22
प्रतिभागियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम का उद्घाटन कृषि विज्ञान केन्द्र, दिल्ली के अध्यक्ष डॉ. डी.के. राणा द्वारा किया गया। अपने उद्घाटन भाषण में डॉ. राणा ने बताया कि भारत एक युवा प्रधान देश है, जहां अधिकांश युवा ग्रामीण क्षेत्रों एवं कृषक परिवारों से आते हैं। ऐसे में वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन न केवल जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने वाला साधन है, बल्कि यह स्वरोजगार के लिए भी एक उत्कृष्ट विकल्प प्रस्तुत करता है। डॉ. राणा ने रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की ओर भी प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने बताया कि रसायनों के अंश खाद्य उत्पादों में मिलने से मानव स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। इसके विपरीत, केंचुआ खाद के उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है तथा सुरक्षित एवं पोषक उत्पाद प्राप्त होते हैं। उन्होंने जैविक कृषि की आवश्यकता, उपयोगिता और इसके दीर्घकालिक लाभों पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा सभी प्रतिभागियों को वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन को एक व्यावसायिक अवसर के रूप में अपनाने हेतु प्रेरित किया।

प्रशिक्षण की प्रमुख गतिविधियाँ एवं विशेषज्ञों के सत्र: श्री बृजेश यादव (विशेषज्ञ, मृदा विज्ञान) ने प्रशिक्षण संचालन करते हुए वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग,महत्व, उत्पादन में प्रयुक्त केंचुआ प्रजातियाँ, उत्पादन स्थल का चयन, वर्मी बेड निर्माण की विधियाँ,बेड में कार्बनिक पदार्थों की चरणबद्ध भराई, रखरखाव एवं आवश्यक सावधानियों की जानकारी सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक रूप में दी। डॉ. समरपाल सिंह (विशेषज्ञ, सस्य विज्ञान) ने जैविक उत्पादों जैसे पंचगव्य, जीवामृत, वर्मीवास आदि की प्रयोगात्मक जानकारी प्रदान की, तथा किसानों को इन उत्पादों की खेती में उपयोगिता से अवगत कराया। डॉ. राकेश कुमार (बागवानी विशेषज्ञ) ने शहरी और परिनगरीय क्षेत्रों में बागवानी में वर्मी कम्पोस्ट के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि यह उत्पाद नगरीय कृषि के लिए किस प्रकार उपयोगी हो सकता है। डॉ. जय प्रकाश (विशेषज्ञ, पशु विज्ञान) ने पशुपालन, टीकाकरण तथा पशु अपशिष्ट से खाद निर्माण की

प्रक्रिया को विस्तार से समझाया। डॉ. बाबू लाल (पादप सुरक्षा विशेषज्ञ) ने वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के दौरान कीट प्रबंधन, जैव उर्वरकों के उपयोग तथा सुरक्षित उत्पादन विधियों की जानकारी दी। श्री कैलाश (कृषि प्रसार विशेषज्ञ) ने बाजार में वर्मी कम्पोस्ट के वितरण, ब्रांडिंग, गुणवत्ता युक्त पैकेजिंग, उत्पाद प्रचार-प्रसार एवं डिजिटल मार्केटिंग की तकनीकों से प्रशिक्षुओं को अवगत कराया। श्री राम सागर (फार्म प्रबंधक) ने वर्मी कम्पोस्ट की छंटाई, पैकिंग और फसलों में अनुप्रयोग की प्रक्रिया का सजीव प्रदर्शन किया। प्रशिक्षण का समापन एवं मूल्यांकन: प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन प्रतिभागियों का मूल्यांकन किया गया और उनसे उनकी प्रतिक्रिया ली गई। प्रशिक्षुओं ने प्रशिक्षण की उपयोगिता, प्रायोगिक सत्रों की जानकारी एवं विशेषज्ञों के योगदान की सराहना की तथा भविष्य में वर्मी कम्पोस्ट को स्वरोजगार के रूप में अपनाने की रुचि जताई।


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