• DENTOTO
  • कुछ कोरोना वैक्सीन दे सकती है जीवनभर सुरक्षा, ताउम्र होते रह सकता है टी-कोशिकाओं का निर्माण

    स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

    शिव कुमार यादव

    वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

    संपादक

    भावना शर्मा

    पत्रकार एवं समाजसेवी

    प्रबन्धक

    Birendra Kumar

    बिरेन्द्र कुमार

    सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

    Categories

    July 2025
    M T W T F S S
     123456
    78910111213
    14151617181920
    21222324252627
    28293031  
    July 27, 2025

    हर ख़बर पर हमारी पकड़

    कुछ कोरोना वैक्सीन दे सकती है जीवनभर सुरक्षा, ताउम्र होते रह सकता है टी-कोशिकाओं का निर्माण

    -ऑक्सफोर्ड व कई विश्वविद्यालयों के शोध में आये चौंकाने वाले तथ्य सामने -कोविशील्ड व जानसन एंड जॉनसन वैक्सीन जीवनभर सपोर्ट करने वाली, डेल्टा वैरिएंट्स पर भी असरदार

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/स्विट्जरलैंड/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना के बदलते स्वरूप व महामारी में प्रचलित दवाओं तथा वैक्सीन को लेकर अब नये-नये शोध सामने आ रहे है। हालांकि इसमें कोई अतिशोयक्ति नही की सभी कोरोना वैक्सीन अपने आप में कारगर है लेकिन कुछ ऐसी वैक्सीन भी है जो कोरोना वायरस पर असरदार होने के साथ-साथ उसके बदलते स्वरूप पर भी असर दिखा रही है। ऐसे ही एक अध्ययन में सामने आया है कि कोविशील्ड व जानसन एंड जॉनसन वैक्सीन जीवनभर सपोर्ट करने वाली है और ताउम्र टी-कोशिकाओं का निर्माण कर सकती है। ऑक्सफोर्ड सहित कई विश्वविद्यालयों के एक संयुक्त अध्ययन में खुलासा हुआ है कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और जॉनसन एंड जॉनसन जैसे एडेनोवायरस वैक्सीन शरीर को इस प्रकार से प्रशिक्षित कर देते हैं जिससे लंबे समय तक भी शरीर में महत्वपूर्ण टी-कोशिकाओं की स्वाभाविक रूप से निर्माण होते रहता है। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि संभवतः इस तरह से टी-कोशिकाओं का निर्माण पूरी उम्र भर होता रह सकता है। इस आधार पर कोविशील्ड और जॉनसन एंड जॉनसन वैक्सीन को लाइफलांग सपोर्ट वाली वैक्सीन माना जा रहा है।
                            स्विट्जरलैंड के कैंटोनल अस्पताल में शोधकर्ता प्रोफेसर बुर्कहार्ड लुडविग कहते हैं, अध्ययन के दौरान हमने पाया है कि यह टी-कोशिकाएं काफी प्रभावशाली भी हो सकती हैं, जो कोरोना के अत्यधिक संक्रामक वैरिएंट्स से भी सुरक्षा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। अध्ययन के निष्कर्षों के अनुसार, एडेनोवायरस में लंबे समय तक जीवित रहने वाली कोशिकाओं के निर्माण करने की भी क्षमता है। इन कोशिकाओं को फाइब्रोब्लास्टिक रेटिकुलर सेल भी कहा जाता है, जो टी-सेल के रूप में कार्य करती हैं। जानकारी के लिए बता दें कि टी-कोशिकाओं को किलर कोशिकाओं के रूप में भी जाना जाता है जो शरीर में संक्रमित कोशिकाओं को ढूंढकर उन्हें नष्ट कर देती हैं, इससे संक्रमण पूरे शरीर में नहीं फैलने पाता है।
                             इससे पहले के कुछ अध्ययनों में वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि एमआरएनए वैक्सीन फाइजर और मॉडर्न की तुलना में ऑक्सफोर्ड -एस्ट्राजेनेका वैक्सीन टी-कोशिकाओं को उत्पन्न करने में अधिक प्रभावी हो सकते हैं। ऑक्सफोर्ड के नफिल्ड डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन के प्रोफेसर पॉल क्लेनरमैन ने कहते हैं, दुनिया भर में लाखों लोगों को एडेनोवायरस के टीके लगाए जा चुके हैं।
    इन टीकों का मुख्य लक्ष्य एंटीबॉडी और टी-कोशिकाओं दोनों का उपयोग करके दीर्घकालिक प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित करना है। इस अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि दुनिया की एक बड़ी आबादी में कोरोना वायरस के खिलाफ लाइफ-लॉग इम्यूनिटी विकसित हो सकती है।
                              दुनियाभार के लिए चिंता का कारण बने डेल्टा वैरिएंट्स पर भी ऑक्सफोर्ड -एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के प्रभावी होने का दावा किया जा रहा है। पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड के वैज्ञानिकों के मुताबिक इस वैक्सीन की दो खुराक डेल्टा वैरिएंट से 92 फीसदी तक सुरक्षा दे सकती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि कोरोना वायरस के अल्फा और डेल्टा वैरिएंट के सिम्टोमैटिक मामलों के खिलाफ इस वैक्सीन की प्रभावशीलता क्रमशः 74 और 64 फीसदी हो सकती है।

    About Post Author

    Subscribe to get news in your inbox