नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- कश्मीर धारा 370 हटने के बाद से बड़ा बदलाव नजर आ रहा है। एक समय था जब कश्मीर के युवा सेना की गाड़ियां व वर्दी पहने किसी जवान को देखते थे तो हाथ में पत्थर उठा लेते थे और उनका विरोध करने की कोशिश करते थे। लेकिन हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं। आज वही युवक न केवल आर्मी के प्रशंसक बन चुके है बल्कि उन्हें गले लगाते हैं, शाल ओढाते हैं, टोकन आफ लव देते हैं और जब किसी सैन्य अफसर का तबादला होता है तो उनकी गाड़ी को खींचकर विदाई देते हैं।
यह बदलाव रातो रात नहीं आया है बल्कि इसके पीछे सेना का कश्मीर में आम लोगों के साथ बढ़ता संवाद और अनुच्छेद 370 हटाने के बाद कश्मीर के लोगों का सरकार के प्रति बढ़ता विश्वास है। आम लोगों और सेना के बीच बढ़ती नजदीकी का ताजा मामला श्रीनगर में सोमवार को देश के सबसे महत्वपूर्ण प्रतिष्ठित और सैन्य कोर चिनार 15 कोर में देखने को मिला। लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पांडे के चिनार कोर के जीओसी के पद से तबादला होने पर कश्मीर के युवाओं ने उन्हें तोहफे के रूप में हाथ से बनी शॉल भेंट की। एक सादे समारोह में युवाओं ने यह साल लेफ्टिनेंट जनरल का ओढाई। इस पर एक दिल बना था जिसके साथ लिखा था टोकन आफ लव और नीचे लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पांडे का नाम लिखा था। साथ ही चिनार के पेड़ का पत्ता बनाकर कढ़ाई की गई थी। यही नहीं जब डी पी पांडे को कोर से विदा किया गया तो फूलों से सजी उनकी गाड़ी खींचने वाले सैन्य अधिकारियों के साथ-साथ कश्मीरी युवक भी थे। यह दृश्य आतंकवादियों और सीमा पार पाकिस्तान में बैठे उन आतंकियो व उनके आकाओं को समझाने के लिए काफी है कि अब कश्मीर का युवा क्या चाहता है। पाकिस्तान के साथ लगती नियंत्रण रेखा की सुरक्षा का जिम्मा संभालने और कश्मीर में आतंक रोधी अभियान में मुख्य भूमिका निभाने वाली चिनार कोर के कमांडर डी पी पांडे ऊपर से जितने सख्त हैं वहीं आम लोगों विशेषकर कश्मीरी युवाओं के साथ उतने ही नम्र भी रहे हैं। अकसर डी पी पांडे बिना ज्यादा सुरक्षा के ट्रेन में लोगों के साथ सफर करते नजर आए हैं तो कभी लाल चौक में लोगों के साथ पकोड़े खाते नजर आते हैं। उधर पांडे की जगह लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह ने नए जनरल ऑफिसर कमांडिंग का कार्यभार संभाल लिया है।
इस संबंध में कश्मीर मामलों के जानकार साजिद यूसूफ बताते है कि कश्मीर में यह बदलाव यूं ही नहीं आया है इसके पीछे कभी मौसम की विपरीत परिस्थितियों के बीच देवदूत बनकर सेना का लोगों की मदद के लिए पहुंचना तथा किसी हादसे के बाद राहत अभियान चलाना गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाने से लेकर कश्मीर के युवाओं को मुख्यधारा के साथ जोड़ने के लिए चलाए गए अनेक कार्यक्रम हैं। सच में एक सैन्य अफसर के तबादले पर उन्हें ऐसी विदाई देने का अपने आप में यह अनोखा मामला है।


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