तियानजिन/शिव कुमार यादव/- रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सोमवार को तियानजिन में आयोजित 25वें एससीओ राष्ट्राध्यक्ष परिषद शिखर सम्मेलन में रूस-यूक्रेन युद्ध को सुलझाने के लिए भारत और चीन के प्रयासों की सराहना की। पुतिन ने अपने संबोधन में व्हाइट हाउस के सलाहकार और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक शीर्ष सहयोगी पीटर नवारो के इस दावे का खंडन किया कि यूक्रेन ’मोदी का युद्ध’ है। पुतिन ने इस संघर्ष की जड़ों के लिए नाटो और पश्चिमी हस्तक्षेप को जिम्मेदार ठहराया।

चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग परिषद (एससीओ) के सदस्यों के सत्र को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, ’मैं अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अपनी अलास्का बैठक के विवरण द्विपक्षीय बैठकों के दौरान नेताओं को बताऊंगा।’ उन्होंने मॉस्को के इस रुख को दोहराया कि यूक्रेन में संकट किसी आक्रमण के कारण नहीं, बल्कि यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों की ओर से समर्थित कीव में तख्तापलट के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के साथ अलास्का शिखर सम्मेलन में हुई सहमति यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करती है।

उन्होने कहा कि कीव को नाटो में शामिल करने के पश्चिम के निरंतर प्रयास यूक्रेनी संघर्ष के मुख्य कारणों में से एक हैं। पुतिन ने दावा किया कि यह संकट मुख्य रूप से 2014 में कीव में हुए तख्तापलट की वजह से उपजा, जिसे पश्चिम ने उकसाया था। उन्होंने कहा, ’संकट का दूसरा कारण यूक्रेन को नाटो में शामिल करने के पश्चिम के निरंतर प्रयास हैं। जैसा कि हमने बार-बार जोर दिया है, यह रूस की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा है।’
नवारो के किस दावे खंडन किया?
दरअसल, नवारो ने भारत पर सस्ते तेल खरीद के जरिए रूस के युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। नवारो ने कहा कि अगर भारत रूसी तेल खरीदना बंद कर देता है तो उसे अमेरिकी टैरिफ में सीधे 25 फीसदी की छूट मिल जाएगी। व्हाइट हाउस के शीर्ष अधिकारी ने यह भी कहा था कि यूक्रेन में शांति का रास्ता कुछ हद तक नई दिल्ली से होकर जाता है। उन्होंने कहा था कि मेरा मतलब है, यह मूलतः मोदी का युद्ध है, क्योंकि शांति का रास्ता कुछ हद तक नई दिल्ली से होकर जाता है।

2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पद से हटाया गया
फरवरी 2014 में राजधानी कीव में प्रदर्शनकारियों और सरकारी बलों के बीच घातक झड़पों के परिणामस्वरूप तत्कालीन राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को पद से हटा दिया गया था। रूसी राष्ट्रपति के अनुसार, 2014 में हुए तख्तापलट के बाद देश के उस राजनीतिक नेतृत्व को हटा दिया गया, जिसने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने का समर्थन नहीं किया था।
रविवार को चीन पहुंचे थे पुतिन
पुतिन 10 सदस्यीय एससीओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रविवार को चीन पहुंचे हैं। उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की ओर से आयोजित उद्घाटन भोज में भाग लिया था। एससीओ शिखर सम्मेलन में उनकी उपस्थिति ने रूस-यूक्रेन संघर्ष, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से युद्धविराम के असफल प्रयासों और रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर भारी शुल्क लगाने के दबाव पर ध्यान केंद्रित किया।
15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी स्थापना
एससीओ की स्थापना 15 जून, 2001 को शंघाई में हुई थी। शुरुआत में इसमें छह देश शामिल थे- रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, चीन, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान। भारत और पाकिस्तान 2017 में इसमें शामिल हुए। इसके बाद 2023 में ईरान और 2024 में बेलारूस इसमें शामिल हुए।


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