स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरसते, दम तोड़ते हजारों पैरामिलिट्री फोर्स के परिवार

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स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए तरसते, दम तोड़ते हजारों पैरामिलिट्री फोर्स के परिवार

-सरकार का ध्यान खींचने के लिए कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन के महासचिव ने उठाई आवाज

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- केंद्रीय अर्धसेनिक बलों के बीस लाख परिवारों के नौनिहाल जो कि पुरे देश की कानून व्यवस्था को बनाए रखने, लम्बी सरहदों की चाक-चौबंद चौंकिदारी, महत्वपूर्ण औधोगिक संस्थानों, सरकारी भवनों, मैट्रो, बंदरगाहों, हवाई अड्डों परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सतर्क निगाहों से सुरक्षा, राज्यों की कानून व्यवस्था बनाए रखने में विशेष भूमिका, समाज में आपसी भाईचारा एवं सामाजिक सौहार्द बनाए रखने, माईनस 50 डिग्री पारे में बर्फीले हिमालियन सरहदों एवं 50 डिग्री तपते रेगिस्तान (बाड़मेर जैसलमेर सैक्टर) में चाक-चौबंद चौकसी, बाढ भुकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं में आम जान-माल की सुरक्षा, देश में होने वाले चुनावों में निष्पक्ष भुमिका, नक्सलवाद, उग्रवाद, आतंकवाद की भिड़ंत में आए दिन शहीद होते केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों की राष्ट्र के प्रति निभाई गई विशेष भुमिका को नकारा नहीं जा सकता। लेकिन जहां तक सुरक्षा बलों के लाखों पैरामिलिट्री परिवारों को केंद्रीय सरकार द्वारा स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का सवाल है ना के बराबर यानी ऊंट के मुंह में जीरा।
               महासचिव रणबीर सिंह के अनुसार पैरामिलिट्री फोर्स के सेवारत जवानों, खासकर सेवा निवृत्त परिवारों को केंद्रीय सरकार सीजीएचएस डिस्पेंसरी के तहत स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है लेकिन जब 100-150 किलोमीटर दूर दूर तक कोई सीजीएचएस डिस्पेंसरी ही नहीं तो इलाज के लिए जाएं कहां। अब गृह मंत्रालय द्वारा पैरामिलिट्री जवानों के लिए एक नई आयुष्मान सीएपीएफ स्वास्थ्य योजना शुरू की गई है जिसके तहत 35 लाख कार्ड वितरित किए जाएंगे जिसके तहत 5 लाख तक कैशलेस इलाज कराया जा सकेगा। सवाल यह है कि कितने सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल है जो आयुष्मान कार्ड को मान्यता देते हैं। जब उच्च किस्म के साजो सामान, यंत्रों, आधुनिक मशीनों व मेडिकल सुविधाओं से लैस हॉस्पिटल को आयुष्मान पैनल में नामांकित नहीं किया जाता यह योजना बेमानी है।
               रणबीर सिंह आगे कहते हैं कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान व हरियाणा के हर दसवें-बारहवें घर से अर्धसेनिक बलों के सेवारत व सेवानिवृत परिवार निवास करते है। आज पैरामिलिट्री चौकीदार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के ना होने से तिल-तिल कर मरने को मजबूर हैं। हरियाणा के रेवाड़ी, नारनौल, झज्जर, महेंद्रगढ़, भिवानी, हिसार,जींद, सिरसा पंजाब के भटिंडा, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर, अबोहर फाजिल्का संगरूर, फतेहगढ़ साहिब , पटियाला, व चाइना सरहद से सटे उत्तराखंड राज्य के पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, चम्पावत, चमोली, बागेश्वर, हल्द्वानी, हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर, बिलासपुर, कुल्लू, कांगड़ा, चम्बा, मंडी , पाकिस्तान से सटे राजस्थान के जैसलमेर बाड़मेर, बीकानेर, सीकर, झुनझुनु, नागोर, चुरू, अलवर, जोधपुर  ओर इसी तरह जम्मू-कश्मीर के पुंछ, मैंढर, सांभा, ओर राजौरी, अखनूर मध्यप्रदेश के भिंड, मुरैना, दतिया, गुना, रींवा, सतना  व अन्य जिले इत्यादि । उपरोक्त जिलों में स्थाई निवास करने वाले लाखों पैरामिलिट्री फोर्स के परिवार आजादी से लेकर आज तक मेडिकल सुविधाओं को पाने के लिए के लिए तरस रहे हैं। लाजिमी है कि यही हाल बेहाल बाकि अन्य राज्यों के पैरामिलिट्री परिवारों का भी होगा।
                  पिछले 7 सालों में रणबीर सिंह महासचिव के नेतृत्व में पुर्व अर्धसेनिकों के प्रतिनिधि मंडल द्वारा महामहिम राष्ट्रपति जी, ग्रह मंत्री श्री अमित शाह जी, पहले के ग्रह मंत्री अब रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह जी, ग्रह राज्य मंत्री श्री नित्यानंद राय, स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन जी, वित मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण, केंद्रीय गृह सचिव व सभी फोर्सेस डीजी, वार्ब चेयरमैन से मुलाकात कर बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं व सीजीएचएस डिस्पेंसरियों के विस्तार को लेकर ज्ञापन सौंपा जा चुका है लेकिन आज तक सरकार के कान में जूं नहीं रेंगी ओर ना ही कोई संज्ञान नहीं लिया। प्रतिनिधि मंडल ने सीजीएचएस डिस्पेंसरियों के विस्तार हेतु देश भर में सर्वेक्षण कराया जाने वास्ते उपरोक्त केंद्रीय मंत्रीगणों को कई बार गुहार लगाई कि जिन जिलों में बहुतायत संख्या में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के परिवार स्थाई निवास करते है वहां डिस्पेंसरियां खोली जाएं। सालों साल से चले आ रहे भेदभाव का उदाहरण है कि सरकार सैनिक परिवारों के लिए जिला स्तरीय ईसीएचएस स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराती है लेकिन वास्तविक सरहदों के पैरामिलिट्री चौकीदारों के परिवारों को पूरी तरह से अनदेखा कर रही है जो कि देश के सामने एक गंभीर सवाल ?
                अखबार व मिडिया के माध्यम से देश वासियों को याद दिलाना चाहेंगे जब माननीय प्रधानमंत्री जी ने मार्च 2018 मन की बात कार्यक्रम के दौरान हर तीन जिलों में एक मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी ओर अभी पिछले 2020 के बजट में माननीय वित्त मंत्री साहिबा ने हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोल कर ऑनलाइन शिक्षा देने की बात कही गई थी।  माननीय प्रधानमंत्री जी मेडिकल कॉलेज खोलने की तो दूर की बात कम से कम सरहदी चौकीदारों के लिए जिला स्तर पर मौहल्ला क्लीनिक की तर्ज पर सीजीएचएस डिस्पेंसरियों का विस्तार किया जाए ताकि अर्धसेनिक बलों के जवानों व उनके परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सके, इन डिस्पेंसरियों के खुलने से ना केवल अर्धसेनिक बलों को बल्कि प्रदेशों में स्थाई तौर पर निवास करने वाले केंद्रीय सरकार के लाखों सिविलियन कर्मचारियों को भी स्वास्थ्य सुविधा का लाभ मिल सकेगा। जिला स्तर पर आयुष्मान सीएपीएफ योजना को लागू कराने के लिए उच्च मेडिकल सुविधाओं से लैस सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों को पैनल में नामांकित किया जाए तभी इसका लाभ दुर दराज के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले पैरामिलिट्री चौकीदार बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे। बेहतर शिक्षा-स्वास्थ्य, पुरानी पैंशन बहाली व अन्य सुविधाओं को लेकर 14 फरवरी 2022 को राजघाट पर बापू की शरण में पुर्व अर्धसैनिक धरना प्रदर्शन करेंगे।

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