नजफगढ़ मैट्रो/जम्मू-कश्मीर :- राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने जीएमसी कठुआ के उद्घाटन और दौ सौ बेड के अस्पताल के शिलान्यास के बाद कहा कि दिल्ली से जो मांगोगे वो मिलेगा। कोई भी चीज ऐसी नहीं जो प्रधानमंत्री नहीं दे सकते हों।
राज्यपालमलिक ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश के कारण यदि नेताओं को लगता है कि कुछ खोया है, तो ज्यादा से ज्यादा पाने की कोशिश करें। केंद्र ने हाथ खोल रखे हैं और जम्मू कश्मीर के विकास में तेजी लाई जा रही है। राज्यपाल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन करते समय ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी मंदिर का शुभारंभ कर रहा हूं। इन संस्थानों से डॉक्टर, नर्स, नर्सिंग के रूप में निकलने वाले लोगों को भगवान की प्रतिमूर्ति मानता हूं। अनंतनाग, बारामूला, राजौरी, कठुआ और डोडा को पांच कॉलेज मिले हैं। कुपवाड़ा, हंदवाड़ा और लेह के लिए भी नए कॉलेज मिले हैं। देश में किसी भी राज्य को इतने मेडिकल कॉलेज नहीं मिले हैं, जिन्हें अब हमें मिलकर कामयाब बनाना है। डॉक्टरों की कमी थी, जिसके लिए शुक्रवार को ही 800 डॉक्टरों की नियुक्ति का निर्णय लिया गया है और राज्य में अब 45 सौ डॉक्टर हो जाएंगे।
जीएमसी के उद्घाटन अवसर पर पीएमओ राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कठुआ शिक्षा का केंद्र बनता जा रहा है। मेडिकल कॉलेज से कुछ ही दूरी पर इंजीनियरिंग कॉलेज है, जो केंद्रीय राशि से रूसा के तहत निर्माणाधीन है। दूसरी ओर विश्वविद्यालय कैंपस निर्माणाधीन है। केंद्रीय विद्यालय की नई इमारत तैयार हुई है। हाईवे पर जम्मू की ओर जाते एम्स निर्माणाधीन है। उन्होंने कहा कि पिछले दौरे में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि यह इलाका एजूकेशन सिटी के रूप में विकसित हो। कहा कि वह इस क्षेत्र के दामाद भी थे और मेडिकल कॉलेज का यह उद्घाटन समारोह किसी हद तक उनको श्रद्धांजलि स्वरूप भी है। डॉ सिंह ने कहा कि कठुआ देश का एकमात्र ऐसा लोकसभा क्षेत्र है जहां मोदी सरकार ने तीन मेडिकल कॉलेज मंजूर किए है। कठुआ की तरह डोडा को भी इसी सत्र से चलाने की कोशिश थी, लेकिन नहीं हो पाया। उधमपुर में भी मेडिकल कॉलेज बनने जा रहा है। प्रदेश की ओर से राज्यपाल शासन में दिए गए डिग्री कॉलेजों में से 25 इन्हीं इलाकों में हैं। कठुआ का मेडिकल कॉलेज इसलिए भी महत्वपूर्ण है चूंकि यह पंजाब और हिमाचल से सटा है। पीएमओ मंत्री ने कहा कि देश बड़े बड़े स्वास्थ्य संस्थानों से फैकल्टी लाने की कोशिश की गई, लेकिन मामला अटक जाता था, जिसकी बड़ी वजह अनुच्छेद 370 था। विशेषज्ञ डॉक्टरों को उनके दोस्त बताते थे कि जम्मू कश्मीर में जाकर नौकरी कर लें, किराए के मकान में 30 से 35 साल रहें, बच्चों को पढ़ाएं। फिर न तो बच्चों को यहां नौकरी मिलेगी और न ही जगह। ऐसे में फिर देश के किसी कौने में जाकर अपना घरौंदा बसाएं। उन्होंने कहा कि अनुछेद 370 हटने के बाद इस स्थिति के भी बेहतर होने की उम्म
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