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    May 18, 2025

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    डिजिटल अरेस्ट के ‘खेल’ में महिला ने ऐसे गंवाए 20 करोड़

    -साइबर ठग खुद को किसी जांच एजेंसी के अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करते हैं।

    नई दिल्ली/प्रियंका सिंह/- जिसमें डिजिटल अरेस्ट की मदद से एक महिला को 20 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ। यह ठगी अब एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है और इसके प्रभाव से न केवल आम जनता बल्कि अधिकारी भी परेशान हैं। आइए, इस मामले को विस्तार से समझें।

    डिजिटल अरेस्ट एक नया तरीका है जिसमें साइबर ठग खुद को किसी जांच एजेंसी के अधिकारी के रूप में प्रस्तुत करते हैं। इसके बाद वे पीड़ित को यह विश्वास दिलाते हैं कि उनका आधार कार्ड, सिम कार्ड, या बैंक खाता किसी गैरकानूनी गतिविधि में इस्तेमाल हो रहा है। फिर, उन्हें डराया धमकाया जाता है कि अगर वे कार्रवाई नहीं करेंगे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। यही नहीं, ठग परिवार के अन्य सदस्य को भी गिरफ्तारी की धमकी देते हैं। इसी तरह, इस महिला को भी दो महीनों तक मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। उसे घर में ही रहकर ठगों की बातों का पालन करना पड़ा और इस दौरान ठग लगातार उसकी लोकेशन ट्रैक करते रहे।

    साइबर ठगों ने न केवल इस महिला से पैसे ऐंठे, बल्कि उनके आसपास के लोग भी ठगी का शिकार हो सकते थे। खास बात यह है कि साइबर ठग अब नए तरीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं जैसे कि डिजिटल वॉलेट और एटीएम के जरिए ठगी की गई राशि को निकालना, जिससे पुलिस के लिए जांच करना और स्रोत का पता लगाना मुश्किल हो जाता है।

    इसके अलावा, दिल्ली में साइबर अपराधों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसमें धोखाधड़ी के अन्य रूप भी सामने आ रहे हैं जैसे कि ऑनलाइन निवेश के नाम पर पैसे ऐंठना, क्रिप्टोकरेंसी के नाम पर ठगी, और डेटिंग ऐप्स के जरिए लोगों को फंसाना। ठग अब इन नए तरीकों से अपने शिकारों को अपने जाल में फंसा रहे हैं।

    इस मामले में अगर आप भी किसी साइबर ठगी का शिकार होते हैं या ऐसे किसी कॉल का सामना करते हैं तो तुरंत पुलिस को सूचित करें या 1930 नंबर पर शिकायत दर्ज कराएं। साइबर ठगों से बचने के लिए हमें अपनी जानकारी को सुरक्षित रखना बेहद जरूरी है और किसी भी संदिग्ध कॉल या संदेश का तुरंत जवाब नहीं देना चाहिए।

    यह मामला एक चेतावनी है कि साइबर अपराधों से बचने के लिए हमें सतर्क और जागरूक रहना चाहिए।

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