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  • कोरोना के चलते स्थगित हुई कांवड़ यात्रा

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    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/देहरादून/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोरोना महामारी के खौफ के चलते एहतियातन कावड़ यात्रा करने की अनुमति इस वर्ष नहीं मिलेगी. यह फैसला तीन राज्यों ने मिल कर किया है. जिसमें यूपी, उत्तराखंड और हरियाणा है। तीनो राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने आपसी बातचीत से फैसला लिया है. इस सावन में होने वाली कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया जाए, वहीँ अभी और राज्यों के सीएम से होगी इस पर बात।
                           उत्तराखण्ड सरकार ने शनिवार को कोरोना वायरस के चलते धार्मिक यात्रा कांवड़ यात्रा को स्थगित करने का निर्णय लिया। उत्तर प्रदेश, हरियाणा और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बैठक के बाद यह निर्णय लिया गया।वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई इस बैठक में कावड़ यात्रा को स्थगित करने पर सहमति बनी. साथ ही इसके लिए राजस्थान दिल्ली और पंजाब के मुख्यमंत्रियों से भी वार्ता कर सहमति लेने पर चर्चा हुई। यही नहीं सावन मास में अभिषेक करने के लिए भी गाइडलाइन जारी करने की बात हुई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ कांवड़ यात्रा के संबंध में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विस्तार से विचार विमर्श किया गया। बैठक में सामूहिक सहमति बनी कि इस वर्ष कोविड-19 की परिस्थितियों को देखते हुए कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया जाए।

                         वहीँ संत, महात्माओं ने भी यही कहा था. कांवड़ संघों और संत महात्माओं से भी यही प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। कोविड-19 को रोकने के लिए बहुत जरूरी है कि लोगों के बड़ी संख्या में इकट्ठे होने को रोका जाए। लोग जलाभिषेक स्थानीय स्तर पर निर्धारित गाइडलाइन का पालन करते हुए कर सकते हैं। जल्द ही इस बारे में राजस्थान, दिल्ली व पंजाब के मुख्यमंत्रियों से भी बात की जाएगी। वहीँ कावड़ यात्रा की अनुमति न होने का अंदेशा पहले से जताया जा रहा था. क्योँकि प्रदेशों में कोरोना के आंकड़े दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसे में भीड़ एकत्रित होती और उस समय बारिश भी रहती है. वायरस फैलने का खतरा   और ज्यादा बना रहता है। कोरोना महामारी से पहले ही लोग काफी परेशान दिखाई दे रहे हैं। लेकिन अब इस बिमारी का असर आम जनजीवन से लेकर धार्मिक कार्यों पर भी पड़ने लगा है। हालांकि इस साल अनेकों धार्मिक अनुष्ठान स्थगित हो गये है। और अब सावन के महीने में होने वाली कावड़ यात्रा भी स्थगित हो गई है। इस साल कावड़ यात्रा नही निकाली जायेगी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कावंड यात्रा पर चर्चा की। बैठक में, एक सामूहिक समझौता हुआ है कि इस वर्ष कोविद -19 की परिस्थितियों को देखते हुए कावड़ यात्रा को स्थगित कर दिया जाना चाहिए। इस वर्ष, कावड़ यात्रा 5 जुलाई से शुरू होनी थी। इस यात्रा में लगभग 5 करोड़ कांवड़िये शामिल होने की संभावना थी। जिससे कोरोना बिमारी का फैलने का खतरा अधिक बना हुआ था।
                            सावन के महीने में भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है। वसंत ऋतु में पड़ने वाली महाशिवरात्रि अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। कावंडिये इस दिन भगवान शिव को जल अर्पित करते हैं। कावड़ यात्रा में हरिद्वार से पानी लाना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। कावड़ यात्रा को ले जाने के लिए कई नियम हैं। कहा जाता है कि कावड़ लेते समय इसे नीचे नहीं रखा जाता है। हरिद्वार, उत्तराखंड में, लाखों भक्त कावड़ के साथ थिरकते हैं। पानी लेने के लिए दूर-दूर से लोग नंगे पैर आते हैं। कई जगहों पर कांवड़ियों का स्वागत किया जाता है। विभिन्न स्थानों पर कांवरियों के खाने-पीने की व्यवस्था है। उनके विश्राम के लिए टेंट लगाए जाते हैं।

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