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    सेना में सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक मामले में हाईकोर्ट ने कही ना

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- दिल्ली हाईकोर्ट ने सेना में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध पर अपना रूख स्पष्ट करते हुए कहा कि अगर सोशल मीडिया से देश की सुरक्षा को खतरा है तो हाईकोर्ट इसके लिए कोई हस्तक्षेप करने को तैयार नही है। भारत सरकान ने सेना में 89 सोशल मीडिया एप्लिकेशन पर प्रतिबंध के खिलाफ जम्मू और कश्मीर के लेफ्टिनेंट कर्नल की याचिका खारिज कर दी। इससे पहले हाईकोर्ट ने कर्नल को चेतावनी भी दी थी कि अगर उन्हें फेसबुक ज्यादा पसंद है तो वह सेना से इस्तीफा दे सकते हैं।
    न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉ और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने कहा कि अगर सरकार ने यह निर्णय लिया है कि सैन्य कर्मियों द्वारा फेसबुक और इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटों के इस्तेमाल से दुश्मन देशों को फायदा पहुंचता है तो अदालत इस फैसले में हस्तक्षेप देने की अनिच्छुक है। पीठ ने कहा कि वर्तमान दौर में युद्ध कौशल केवल ‘भूभाग कब्जा करने’ तक सीमित नहीं है। पीठ ने आदेश सुनाते हुए लेफ्टीनेंट कर्नल पी के चैधरी से कहा, ‘‘क्षमा करिए, हम याचिका खारिज कर रहे हैं, धन्यवाद।’’ पीठ ने कहा कि संपर्क के अन्य माध्यम अब भी याचिकाकर्ता अधिकारी के पास मौजूद हैं और यह प्रतिबंध सिर्फ कुछ सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के संबंध में ही है।
    कर्नल ने खुफिया महानिदेशक की ओर से 6 जून की नई नीति वापस लेने के संबंध में अदालत से अनुरोध किया था। इस नई नीति के अनुसार सेना के सभी कर्मियों को फेसबुक और इंस्टाग्राम एवं 87 अन्य सोशल मीडिया मंचों से अपने अकाउंट डिलीट करने को कहा गया था। पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में अगर सरकार ने पूरे आकलन के बाद यह निर्णय लिया है कि उसके सुरक्षा बलों के कर्मियों द्वारा कुछ निश्चित सोशल मीडिया मंचों के इस्तेमाल से दुश्मन देश को फायदा पहुंचता है तो अदालत इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
    वहीं केंद्र का पक्ष रखने वाले स्थायी वकील अजय दिग्पाल ने कहा कि यह नीतिगत निर्णय लिया गया क्योंकि यह पाया गया कि फेसबुक बग है और यह साइबर हथियार के रूप में घुसपैठ कर रहा था। ऐसे कई मौके आए जब कर्मियों को निशाना बनाया गया। कर्नल ने अपनी याचिका में कहा था कि वह फेसबुक के सक्रिय उपयोगकर्ता हैं और इसका इस्तेमाल वे अपने दोस्तों, परिवार और अपनी बड़ी बेटी से संपर्क करने के लिए करते हैं क्योंकि ये सभी विदेश में रहते हैं।

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