नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- अभी तक कोरोना वायरस के लक्षणों पर शोध चल रहा था और हर बार के शोध में कोरोना के नये-नये लक्षण सामने आ रहे थे जिससे विशेषज्ञ भी काफी असमंजस में पड़े हुए थे लेकिन अब एक नये शोध में यह खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस हर व्यक्ति पर अलग तरीके से अटैक करता है। जिसकारण विशेषज्ञ अब इसे बहरूपिया वायरस की भी संज्ञा दे रहे है। राजधानी के राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान के छात्रों ने यह शोध किया है। इसको यूरोप की प्रतिष्ठित शोध पत्रिका जर्नल ऑफ क्लीनिकल वायरोलॉजी में भी प्रकाशित किया गया है। शोध पत्र में कहा गया है कि मानव शरीर में फैलने वाले कोरोना वायरस की जीनोम संरचना चमगादड़ की जीनोम संरचना से काफी मिलती-जुलती है।
इस विषय पर शोध करने वाले राष्ट्रीय पादप जीनोम अनुसंधान संस्थान के एक शोधार्थी मनीष तिवारी ने बताया कि कोराना के जीनोम में परिस्थितियों के हिसाब से अनुकूलन क्षमता है, जिस कारण ये संक्रमण बहुत तेजी से फैल रहा है। कोरोना की जीनोमिक संरचना में कुछ न्यूक्लोटाइड्स का बदलाव पाया गया। इसके कारण अमिनो एसिड बदल जाता है। ऐसे ही कुछ अमिनो एसिड के परिवर्तन से जीका वायरस, एचआईवी और ईबोला में एंटी वायरल थेरेपी और निरोधात्मक दवाओं के खिलाफ प्रतिरोध पाया गया। यही कारण है कि कोरोना वायरस के इलाज में एचआईवी प्रतिरोधक कुछ दवाइयों के इस्तेमाल को सुझाया गया है। यह दवाइयां छोटे स्तर पर कामयाब हैं, लेकिन बड़े स्तर पर फेल हो गई हैं।
शोध के अनुसार, जीनोमिक संरचना को समझकर इलाज की प्रक्रिया अपनाने से और भी बेहतर परिणाम मिल सकते हैं। इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस के इलाज के लिए कई सारी दवाइयों के मिश्रण का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। पूरा शोध पत्र विभिन्न देशों के 591 मानव कोरोना वायरस के जीनोम के विश्लेषण के बाद तैयार किया गया है।
जीनोम संरचना के कारण कोरोना वायरस का असर हर व्यक्ति में अलग तरीके होता है। यह इंसान की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर निर्भर करता है, जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी है उसके शरीर में जाकर वायरस कमजोर हो जाता है। इसी कारण ऐसे लोगों के अंदर इसके लक्षण नहीं आते हैं और कुछ ही दिनों में शरीर एंटी बॉडी बनाने लगता है। जिन लोगों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी नहीं होती है उनके शरीर में जाते ही वायरस अपना रूप बदल लेता है और उनको प्रभावित करके बीमार करने लगता है। यही कारण है कि बुजुर्ग लोगों के लिए यह ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है।
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