मानसी शर्मा / – रामलला के स्वागत के लिए अयोध्या नगरी सज धज के तैयार हो चुकी है। आज दोपहर साढ़े 12बजे के आसपास रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। राम भक्त कई सालों से इस शुभ घड़ी का इंतजार कर रहे थे। ऐसे में आइए जानते हैं राम मंदिर प्राण प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी कुछ प्रमुख बातें। अयोध्यानगरी में कई स्तर की सुरक्षा व्यवस्था की गई है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, शहर में 10,715 आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित कैमरों से नजर रखी जा रही है। NSGकी दो स्नाइपर टीमें तैनात की गई हैं। इसके साथ ही एंटी-माइन ड्रोन तैनात किए गए हैं। शहर की सुरक्षा में 13 हजार जवान तैनात किए गए हैं।
प्राण प्रतिष्ठा का ये है शुभ मुहूर्त
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा दोपहर 12:15 बजे से 12:45 के बीच होने की संभावना है। इसी बीच 84 सेकेंड का शुभ मुहूर्त है, जो 12 बजकर 29 मिनट 8 सेकंड से शुरू होकर 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकंड तक रहेगा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद पीएम मोदी प्रमुख हस्तियों, राजनेताओं, अभिनेताओं, खिलाड़ियों की सभा को संबोधित करेंगे।
‘मंगल ध्वनि’ का होगा भव्य वादन
इसके साथ ही श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X के माध्यम से बताया कि, ”भक्ति भाव से विभोर अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर होने वाली प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रातःकाल 10 बजे से ‘मंगल ध्वनि’ का भव्य वादन होगा। 50 से अधिक मनोरम वाद्ययंत्र, विभिन्न राज्यों से, लगभग 2 घंटे तक इस शुभ घटना का साक्षी बनेंगे। अयोध्या के यतीन्द्र मिश्र इस भव्य मंगल वादन के परिकल्पनाकार और संयोजक हैं, जिसमें केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली ने सहयोग किया है। यह भव्य संगीत कार्यक्रम हर भारतीय के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर का प्रतीक है, जो प्रभु श्री राम के सम्मान में विविध परंपराओं को एकजुट करता है।”
अयोध्या पहुंचे विशेष उपहार
प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम से पहले अयोध्यानगरी में भारी संख्या आगंतुक और साधु-संत शहर में आ रहे हैं। इस भव्य आयोजन को लेकर देश के हर कोने से रामलला के लिए उपहार पहुंचे हैं। जहां कन्नौज से विशेष इत्र, अमरावती से 500 किलो कुमकुम, दिल्ली में राम मंदिर में एकत्र किया गया अनाज, भोपाल से फूल और मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा से 4.31 करोड़ बार भगवान राम लिखे कागज, 108 फुट की अगरबत्ती, 2,100 किलो की घंटी 1,100 किलो वजनी एक विशाल दीपक, 56 किस्म के ‘पेठा’, सोने की चप्पल, 10 फुट ऊंचा ताला और चाभी और एक साथ आठ देशों का समय बताने वाली एक घड़ी, 500 किलो लोहे-तांबा का नगाड़ा और ‘ओनाविलु’ धनुष उपहार के रूप में पहुंचे हैं।
यही नहीं मंदिर को नेपाल के जनकपुर में माता सीता के जन्मस्थान से 3000 से ज्यादा उपहार भेजे गए हैं। एक श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल रामायण में वर्णित अशोक वाटिका नामक उद्यान से एक विशेष उपहार लेकर पहुंचा है।
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