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मानसी शर्मा/- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के लिए 29 जनवरी 2025 खास रहा है। ISROने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट के जरिए नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-2 का सफल प्रक्षेपण किया। यह ISRO का 100वां लॉन्चिंग मिशन था। ISRO प्रमुख वी नारायणन ने कहा कि भले ही 46 साल में 100वां मिशन पूरा कर पाएं हैलेकिन अगला शतक आने वाले 5 सालों में लगेगा। वी नारायणन का कहना है कि आने वाले 5 सालों में 100 प्रक्षेपण करना संभव है। उन्होंने आगे कहा कि ISROवह समय भी देखा है जब रॉकेट के पुर्जों को साइकिल और बैलगाड़ी पर ले जाए जाते थे। ISROने उस दौर से लेकर चंद्रमा तक अपनी पहुंच बनाने का इतिहास रचा। अब यह दुनिया की सबसे प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसियों में से एक है।
ISRO ने की 6 पीढ़ियां विकसित अध्यक्ष वी नारायणन ने बताया कि अब तक ISROने अंतरिक्ष यानकी 6 पीढ़ियां विकसित की हैं। पहली पीढ़ी 1979 में प्रोफेसर सतीश धवन के मार्गदर्शन में और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की परियोजना निदेशक के रूप में विकसित हुई थी। श्रीहरिकोटा से पहला बड़ा रॉकेट 10 अगस्त, 1979 को छोड़ा गया था,जब इसरो ने सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल लॉन्च किया था।
नारायणन ने कहा कि 46 साल बाद इसरो ने 548 उपग्रहों को कक्षाओं में कायम किया गया है। इसमें 120 टन का पेलोड और 433 विदेशी उपग्रहों का 23 टन शामिल है। अध्यक्ष ने बताई अगले मिशन की योजना ISROअध्यक्ष ने उपग्रह एनवीएस 2 की सफलता के बाद भविष्य के मिशन की बात की। उन्होंने कहा कि कुछ महीनों में NASAके सहयोग से निसार मिशन को प्रक्षेपित किया जाएगा। वहीं अंतरिक्ष एजेंसी एनजीएलवी कई परियोजना पर काम कर रही है।
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