नई दिल्ली/- मोदी उपनाम वाले मामले में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को इस मामले में निचली अदालत से मिली सजा पर रोक लगा दी है। साथ ही उनकी दोषसिद्धि भी स्थगित कर दी गई है। इससे राहुल गांधी के दोबारा केरल की वायनाड सीट से सांसद घोषित होने और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भी उतरने का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कांग्रेस में खुशी की लहर दौड़ गई है। राहुल गांधी को इस मामले में गुजरात के सूरत की अदालत ने दो साल की सजा सुनाई थी। यह सजा राहुल गांधी के खिलाफ गुजरात के पूर्व मंत्री व मौजूदा विधायक पूर्णेश मोदी की तरफ से दाखिल मानहानि के मुकदमे में सुनाई गई थी। इसके चलते राहुल गांधी को अपनी संसद सदस्यता और सांसद के तौर पर मिला घर गंवाना पड़ा था।
अब राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्पीकर तक पहुंचाएंगे और वह इसी सत्र से संसद में दिखाई दे सकते हैं। फैसला देते हुए पीठ ने सवाल उठाया कि वह जानना चाहता है कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर जज 1 साल 11 महीने की सजा देते तो वह (राहुल गांधी) अयोग्य घोषित नहीं होते। जस्टिस बी आर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा कि यह सही है कि इस तरह के बयान अपमानजनक और मानहानि के हैं। गौर करने वाली बात यह है कि पीठ ने अपने फैसले का आधार यह दिया है कि बयान राहुल गांधी ने दिया तो उसकी सजा आम जनता (वायनाड की) क्यों भुगते और उनकी आवाज संसद तक क्यों न पहुंचे। ऐसे समय में जबकि संसद का सत्र चल रहा है।
आइए 5 पॉइंट्स में आपको बताते हैं कि यह मामला क्या था, इसमे अब तक क्या हुआ और सजा पर रोक के बाद अब क्या हो सकता है-
1. पहले जान लें सुप्रीम कोर्ट सुनवाई में क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और संजय कुमार की बेंच ने सुनवाई की। करीब 3 घंटे लंबी बहस में राहुल गांधी की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी, जबकि पूर्णेश मोदी की तरफ से महेश जेठमलानी ने दलीलें पेश कीं। सिंघवी ने राहुल को दी गई सजा को उन्हें 8 साल के लिए खामोश रखने की साजिश बताया। उन्होंने कहा, यह जमानत देने वाला मामला था, गंभीर अपराध नहीं। राहुल गांधी के खिलाफ केवल भाजपा से जुड़े लोगों ने ही मुकदमे दर्ज कराए हैं। मोदी समुदाय से कोई भी सामान्य आदमी उनके खिलाफ सामने नहीं आया। इस पर सुप्रीम कोर्ट को सिंघवी और जेठमलानी को टोकना पड़ा कि इसे राजनीतिक मुद्दा मत बनाइए। यह बहस संसद के लिए बचाकर रखिए। जेठमलानी ने कहा, राहुल के बयान की वीडियो क्लिपिंग्स चुनाव आयोग के पास जमा हैं। उनका मकसद मोदी सरनेम वाले हर आदमी का अपमान करना था।
2. दो साल की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बताया गलत
राहुल गांधी को सूरत की कोर्ट ने इस मामले में दो साल की सजा सुनाई है। इस सजा को सुप्रीम कोर्ट ने गलत बताया। बेंच ने कहा, हमें जानना है कि जज ने अधिकतम सजा क्यों दी? यदि राहुल को 1 साल 11 महीने की सजा दी जाती तो वह डिस्क्वालिफाई नहीं होते। अधिकतम सजा से एक सीट बिना प्रतिनिधित्व के हो गई। यह महज एक व्यक्ति (राहुल गांधी) के नहीं बल्कि उस सीट के वोटरों के अधिकार से भी जुड़ा मसला है। ट्रायल कोर्ट के जज ने अपने फैसले में अधिकतम सजा सुनाने को लेकर कुछ नहीं कहा।
3. क्या कहा है सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में
सु्प्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, राहुल गांधी की 2 साल की सजा पर रोक लगाई जा रही है, लेकिन उम्मीद है कि राहुल गांधी आगे भाषण देते वक्त सावधानी बरतेंगे। राहुल गांधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई पूरी होने तक उनकी दोषसिद्धि पर रोक रहेगी।
4. इस फैसले का प्रभाव?
राहुल गांधी सजा मिलने से पहले केरल की वायनाड संसदीय सीट से सांसद थे। सूरत की अदालत से उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी। इसके चलते वे जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत सांसद बने रहने के लिए अयोग्य हो गए थे। इस कारण लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया था। इस सीट पर अभी तक उपचुनाव नहीं हुए हैं। अब उनकी दोषसिद्धि पर रोक लग गई है। ऐसे में अब राहुल अपनी सदस्यता बहाल करने का आवेदन लोकसभा सचिवालय से कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो राहुल गांधी दोबारा संसद की कार्यवाही में भी हिस्सेदारी कर सकेंगे। इसके अलावा उनके अगले साल लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारी करने की राह भी खुल गई है। उन्हें मिली सजा के आधार पर वे अगले 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित हुए थे, लेकिन अब यह अयोग्यता फिलहाल स्थगित हो गई है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए राहुल की सदस्यता बहाल कराने के लिए स्पीकर को पत्र लिखने की बात कही है।
5. क्या है पूरा मामला, जिसने कांग्रेस की राजनीति हिला दी
राहुल गांधी पर 11 अप्रैल, 2019 में बेंगलुरू के कोलार में चुनावी रैली के दौरान मोदी उपनाम वालों का अपमान करने का आरोप है। राहुल ने कहा था कि सब चोरों का नाम मोदी, मोदी, मोदी कैसे है. ललित मोदी, नीरव मोदी और थोड़ा ढूंढ़ोगे तो और सारे मोदी निकल आएंगे। भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने इस पूरे मोदी समुदाय का अपमान बताते हुए मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। करीब चार साल सुनवाई के बाद गुजरात के सूरत की सांसद-विधायक विशेष अदालत ने इस साल 23 मार्च को उन्हें दोषी ठहराया था और 2 साल की सजा सुनाई थी। इस सजा के कारण वे चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित हो गए थे। इसके खिलाफ राहुल ने पहले गुजरात हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। वहां से राहत नहीं मिलने पर वे 15 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट गए थे।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला ऐसे समय में आया है जब विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेर रहा है। मोदी सरनेम केस में संसद से अयोग्य ठहराए गए राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि संसद को राहुल गांधी की जरूरत है।
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