महाराष्ट्र/सिमरन मोरया/- महाराष्ट्र के मालेगांव में 2008 के बम विस्फोट मामले में विशेष एनआईए कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सात आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। 29 सितंबर 2008 को हुए इस धमाके में 6 लोगों की मौत और 95 से अधिक लोग घायल हुए थे। कोर्ट ने जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ठोस सबूत पेश नहीं कर सका। इस फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर “भगवा आतंकवाद” का आरोप लगाकर सनातन धर्म को बदनाम करने का इल्जाम लगाया, जबकि कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।
जितेंद्र आव्हाड का सनातन धर्म पर विवादित बयान
फैसले के बाद एनसीपी (एससी) विधायक जितेंद्र आव्हाड ने सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की, जिसने सियासी तूफान खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की विचारधारा विकृत है और इसने छत्रपति शिवाजी महाराज, ज्योतिराव फुले, सावित्रीबाई फुले, साहू महाराज और डॉ. आंबेडकर जैसे महान व्यक्तियों को अपमानित किया। अव्हाड़ ने मनुस्मृति को सनातन परंपरा से जोड़ा और इसे देश के लिए हानिकारक बताया। उनके इस बयान पर बीजेपी ने कड़ा ऐतराज जताया और कांग्रेस पर हिंदू धर्म को निशाना बनाने का आरोप लगाया।
कोर्ट का पीड़ितों को मुआवजे का निर्देश
कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को ब्लास्ट के पीड़ितों को मुआवजा देने का आदेश दिया, जिसमें मृतकों के परिवारों को 2 लाख और घायलों को 50 हजार रुपये देने के निर्देश शामिल हैं। मामले में 323 अभियोजन और 8 बचाव पक्ष के गवाहों की सुनवाई हुई। इस फैसले ने 17 साल पुराने मामले को बंद कर दिया, लेकिन सनातन धर्म और “भगवा आतंकवाद” जैसे शब्दों पर राजनीतिक बहस को फिर से हवा दे दी है।


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