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    दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मुंबई से पकड़ी ड्रग्स की अब तक की सबसे बड़ी खेप, 

    -22 टन हेरोइन बरामद, बाजार कीमत 1725 करोड़, पाकिस्तान, अफगानिस्तान व दुबई का निकला कनेक्शन

    मुंबई/नई दिल्ली/- दिल्ली पुलिस स्पेशल की सेल ने एक बड़े ड्रग रैकेट का खुलासा करते हुए अब तक की सबसे बड़ी ड्रग कंसाइनमेंट बरामद की है। पकड़ी गई ड्रग को मुंबई के नवा शेवा पोर्ट के एक कंटेनर में छिपाकर रखा गया था। ये अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी बताई जा रही है। जब्त हेरोइन का वजन करीब 22 टन है जो लीकोरिस से लेपी गई थी। जब्त की गई हेरोइन की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 1,725 करोड़ रुपए है। उन्होंने बताया कि इसको भेजने वाला अफगान नागरिक है जो पाकिस्तान में है। इस ड्रग को भेजने वाली कंपनी अफगानिस्तान की है और कंसाइनिंग कंपनी दुबई की है। स्पेशल सेल की यह कार्रवाई हाल के दिनों में पकड़े गए ड्रग तस्करों और स्पेसिफिक इनफॉरमेशन के आधार पर छानबीन के बाद की गई है।
                 दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के सीपी एच एस धालीवाल ने बताया कि गत दिनों दिल्ली से गिरफ्तार किए गए दो अफगानी मूल के ड्रग्स तस्करों की निशानदेही पर 312.4 किलो मेथामफेटामाइन व 10 किलो हेरोइन की बरामदगी की थी। यह बरामदगी लखनऊ स्थित काकोरी में बनाए गोदाम व दिल्ली के बदरपुर में खड्डा कालोनी स्थित फैक्ट्री से की गई है। दिल्ली पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करों के कब्जे से यह अब तक की सबसे बड़ी बरामदगी होने का दावा किया है।
                 बरामद सिंथेटिक ड्रग्स की कीमत 1200 करोड़ रुपये होने का दावा किया गया है। कहा जा रहा है कि इस तरह के सिंडिकेट द्वारा ड्रग्स तस्करी से जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाता है। ड्रग्स बेचकर जुटाए गए पैसे हवाला के माध्यम से तुर्की, पुर्तगाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान आदि देशों में भेजा जाता है।

    अफगानिस्तान, पाकिस्तान फिर ईरान पहुंचता है ड्रग
    अफगानिस्तान से यह ड्रग्स पहले पाकिस्तान फिर ईरान भेजा जाता था। ईरान के बंदरगाह से पानी के जहाज के जरिए बोरे में भरकर ड्रग्स चेन्नई लाया जाता था। चेन्नई से सड़क मार्ग के जरिए तस्कर देश के विभिन्न राज्यों में अपने ठिकाने पर ले जाते थे। पिछले माह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश पर यूएपीए कानून के तहत नार्को टेररिज्म पर दर्ज की गई प्राथमिकी की जांच के दौरान स्पेशल सेल को इस सिंडिकेट के बारे में जानकारी मिली।

    रिफाइन करने के लिए लगाए गए उपकरण
    खड्डा कालोनी में ड्रग्स को रिफाइन करने के लिए कई उपकरण भी लगाए गए थे। उक्त उपकरण को भी जब्त कर लिया गया है। विशेष आयुक्त एचजीएस धालीवाल के मुताबिक डीसीपी प्रमोद सिंह कुशवाहा, एसीपी ललित मोहन नेगी,हृदय भूषण, इंस्पेक्टर विनोद कुमार बडोला, अरविंद कुमार के नेतृत्व में एसआइ सुंदर गौतम, यशपाल भाटी की टीम ने दो दिन पहले मीठापुर रोड, कालिंदी कुंज मेट्रो स्टेशन के पास मुस्तफा स्टानिकजई व रहीमुल्ला रहीमी को गिरफ्तार किया था।
                  दोनों अफगानिस्तान के मूल निवासी हैं। मुस्तफा, खड्डा कालोनी, जैतपुर पार्ट-दो में रहता था और रहीमुल्ला रहीमी ग्रेटर नोएडा में रहता था। स्पेशल सेल की टीम ने 2019 में 330 किलो, 2020 में 57.2 किलो और 2021 में 354 किलो अफगान हेरोइन की बरामदगी की थी। पुलिस का कहना है कि एफेड्रा के पौधे अफगानिस्तान के मध्य हाइलैंड्स में होते हैं। मेथामफेटामाइन के निर्माण के लिए इफेड्रिन का स्रोत यह पौधा होता है। एफेड्रा पौधों से इफेड्रिन निकालने और बनाने के लिए मध्य और दक्षिण पश्चिम में कई संयंत्र हैं जहां मेथामफेटामाइन का निर्माण किया जाता है।

    रहीमुल्ला और मुस्तफा देंगे और जानकारी
    तीन अगस्त को सेल ने रहीमुल्ला और मुस्तफा को स्कोडा सुपर्ब कार से कालिंदी कुंज मेट्रो स्टेशन की तरफ जाने के दौरान दबोच लिया था। तलाशी लेने पर मुस्तफा के कब्जे से 1.360 किलो व रहीमुल्ला के कब्जे से 1.040 किलो हेरोइन बरामद की गई थी। इनसे पूछताछ के बाद एसडीएमसी टोल, कालिंदी कुंज के पास महिंद्रा पिकअप से 16 बोरे मिले। तलाशी लेने पर उसमें सफेद क्रिस्टलीय पदार्थ मिला।
                 उक्त संदिग्ध रसायन की नारकोटिक फील्ड टेस्टिंग किट से जांच करने पर पता चला कि 16 में से नौ बोरे में मेथामफेटामाइन ड्रग्स है। मेथामफेटामाइन और सिलिका को सिलिका के निशान वाले बोरे में छुपाया गया था जो दिखने में एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं। जिसकी पहचान कर पाना असंभव होता है। बाद में दोनों की निशानदेही पर यूपी में कई जगहों पर अलग-अलग मात्रा में उक्त ड्रग्स बरामद किए गए।

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