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    खर्राटे व पीठ दर्द में सोने की स्थिति का पड़ता है प्रभाव, सही सोने पर मिलेगा लाभ

    नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/सेहत/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- शरीर को स्वस्थ और सक्रिय बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में नींद लेना बेहद आवश्यक माना जाता है। नींद पूरी न होना या फिर नींद आने में समस्या महसूस होना, स्वास्थ्य संबंधी कई सारी दिक्कतों का कारण बन सकता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि नींद पूरी न होने के कारण लोगों को ब्लड-प्रेशर की दिक्कत हो सकती हैं जो कई तरह के हृदय रोगों का कारण बन सकती है। इतना ही नहीं नींद की कमी प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी, मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के साथ कामेच्छा की दिक्कतों को भी बढ़ा सकती है, यही कारण है कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ सभी लोगों को रोजाना 6-8 घंटे की अच्छी नींद जरूर लेने की सलाह देते हैं।
                               स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना की विपरीत परिस्थितयों के कारण लोगों के नींद की गुणवत्ता काफी प्रभावित हुई है। इसके अलावा यह जीवनशैली और आहार जैसे कारकों पर भी निर्भर करती है। जितना आवश्यक रोजाना पर्याप्त मात्रा में नींद लेना है, उतना ही आवश्यक है सोने की सही स्थिति को सुनिश्चित करना। आइए आगे की स्लाइडों में सोने की कुछ स्थितियों के बारे में और जानते हैं कि हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करती हैं?

    पर्याप्त नींद लेना क्यों आवश्यक है?
    स्वस्थ जीवन के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। नींद पूरी न होने से आपकी इम्युनिटी भी प्रभावित हो सकती है। जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार रात की नींद अच्छी लेने वालों में टी-कोशिकाएं को काफी सक्रिय पाया गया। टी कोशिकाएं शरीर में संक्रमण को कम करने और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बेहतर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग बेहतर नींद लेते हैं उनकी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया, नींद पूरी न कर पाने वाले लोगों की तुलना में बेहतर होती है। कोरोना के ऐसे विकट समय में जब लोग अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करने के प्रयास में लगे हुए हैं, ऐसे में नींद की महत्ता समझना सभी के लिए आवश्यक है।

    पीठ के बल सोना
    पीठ के बल सोना सबसे आम स्लीपिंग पोजीशन में से एक है। इस तरह से सोने से कई तरह के फायदे हो सकते हैं। यह स्थिति शरीर की संरचना में सुधार कर सकती है जिससे रीढ़, जोड़ और मांसपेशियां स्वस्थ बनी रहती हैं। हालांकि जिन लोगों को पीठ दर्द, स्लीप एपनिया और खर्राटों की समस्या है वह इस स्थिति में सोने से असहज महसूस कर सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सोने की यह स्थिति घुटने और कूल्हे के दर्द को कम करने में सहायक मानी जाती है।

    पेट के बल सोना
    ज्यादातर लोग पेट के बल सोना पसंद करते हैं जबकि कुछ लोगों को ऐसे सोने में असहजता महसूस हो सकती है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पेट के बल सोने से खर्राटों की समस्या पर काबू पाया जा सकता है। इसके अलावा स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों को भी इस पोजीशन में सोने से फायदा मिल सकता है। सोते समय सहजता बहुत आवश्यक होती है, किसी भी प्रकार का असहजता की स्थिति से गर्दन और पीठ में दर्द हो सकता है। जिन लोगों को कमर दर्द की समस्या रहती हो उन्हें पेट के निचले हिस्से पर तकिया रखकर पेट के बल सोने से लाभ मिल सकता है।

    कमर की तरफ से घुमावदार स्थिति में सोना
    अक्सर बच्चों और बूढ़ों को इस तरह से सोते हुए देखा जा सकता है। स्वाभाविक रूप से इस तरह की स्थिति को पीठ के निचले हिस्से के दर्द में मददगार माना जा सकता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी इस तरह से सोना फायदेमंद हो सकता है। जिन लोगों को खर्राटे की समस्या है उन्हें भी इस पोजीशन से लाभ मिल सकता है। हालांकि इस स्थिति में आप तभी सोएं जब पूरी तरह से सहजता का अनुभव हो। कमर की तरफ से सोने में यदि आपको असहजता महसूस हो रही है तो स्थिति बदल लें, वरना इससे शरीर में दर्द हो सकता है और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का कारक बन सकती है।

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