मानसी शर्मा /- इजराइल और फिलिस्तीनी हमास के बीच युद्ध जारी है। युद्ध को लगभग आठ दिन हो गए हैं। जैसे-जैसे युद्ध आगे बढ़ता है। इसी तरह कई नए खुलासे भी हो रहे हैं। इजराइल हमले से जुड़ी एक और बात सामने आई है। इजराइल पर हमले में सबसे बड़ी भूमिका हमास संगठन ने निभाई है। इसे इज़ अल-दीन अल-क़सम ब्रिगेड के नाम से जाना जाता है। ये हमास की सशस्त्र सेना है। इसका एक घातक विंग है नुकभा और इस बार हमले में इसने अहम भूमिका निभाई है।
वह पहले भी इजराइल से लड़ता रहा है, लेकिन इस बार उसका हमला इजराइल पर काफी घातक साबित हुआ। इसे आसान भाषा में समझने के लिए हम इसकी तुलना किसी भी देश की सेना और कमांडो से कर सकते हैं। इनकी ट्रेनिंग बिल्कुल किसी दूसरे देश के सेना के जवानों की तरह ही होती है। हमास के ये नुक्भा लड़ाके उसी कड़ी ट्रेनिंग से गुजरते हैं, इनकी भर्ती प्रक्रिया बेहद कठिन होती है। हमास एक आतंकवादी संगठन है और नुक्भा लड़ाके आतंकवादी संगठन हमास की लड़ाकू शाखा के सदस्य हैं।
हमास नुकभा लड़ाकों की भर्ती कैसे करता है?
हमास आमतौर पर केवल अपने सुरक्षा संगठन इज़ अल-दीन अल-क़सम ब्रिगेड के लिए ही भर्ती करता है। उन्हीं में से घातक लड़ाकों का चयन किया जाता है। फिर उन्हें देश और विदेश में भी प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है। उन्हें विस्फोटकों को संभालने, आधुनिक हथियारों और तकनीक का ज्ञान है। ये पानी में भी दुश्मन से लड़ने की क्षमता रखते हैं।स्कूबा डाइविंग उनके प्रशिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमास के नुक्भा विंग के लड़ाके एक बार युद्ध में उतरने के बाद अपने ही नेताओं की बात नहीं सुनते।
चुन-चुन कर मार रहा है इजराइल
इस बार इजराइल ने इन नुक्भा लड़ाकों और उनके शासकों को 2014 से भी ज्यादा घातक तरीके से निशाना बनाया है। उनके मुख्यालय और तोपखाने पर बम बरसाए गए हैं।इजरायली वायुसेना ने कहा है कि जब तक नुकाभा का आखिरी आतंकवादी नहीं मारा जाता तब तक वे अपना ऑपरेशन जारी रखेंगे। साल 2014 में भी इन्हीं लड़ाकों ने इजराइल के साथ युद्ध को लंबा खींचा था और 2023 के हमले के बाद ये सबसे पहले इजराइली सेना के निशाने पर हैं। साल 2014 में ये पूरा विंग लगभग ढह गया था, लेकिन अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि ये संगठन फिर से खड़ा हो गया है। ये लड़ाके हमास के नेतृत्व की भी रक्षा करते हैं।
इज़ अल-दीन अल-क़सम ब्रिगेड का नाम कैसे पड़ा?
इज़ अल-दीन अल-क़सम ब्रिगेड, हमास की सैन्य शाखा, का नाम 1935 में ब्रिटिश सेना द्वारा मारे गए एक सीरियाई सेनानी के नाम पर रखा गया है। इस ब्रिगेड का औपचारिक रूप से वर्ष 1992 में गठन किया गया था। हमास की संगठनात्मक संरचना दो भागों में है। राजनीतिक ब्यूरो और सुरा परिषद। पोलित ब्यूरो इसकी सर्वोच्च शाखा है। इसका मुख्यालय कतर में बताया जाता है।
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