‘आंबेडकर के सपनों का भारत’ नामक पुस्तक का हुआ लोकार्पण

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 22, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

‘आंबेडकर के सपनों का भारत’ नामक पुस्तक का हुआ लोकार्पण

-कांस्टिच्युशन क्लब में 'आंबेडकर के सपनों का भारत' नामक पुस्तक का लोकार्पण

नई दिल्ली/-  22 अगस्त 2024 कांस्टिट्यूशन क्लब में भारत सरकार के पूर्व मंत्री, संसदीय बोर्ड के सदस्य डॉ. सत्य नारायण जटिया व भाजपा के राष्ट्रीय संगठक श्री प्रशांत अरोड़ा ने प्रसिद्ध राष्ट्रवादी लेखक बसंत कुमार द्वारा लिखित व प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘आंबेडकर के सपनों का भारत’ का लोकार्पण किया।

डॉ. जटिया ने लेखक बसंत कुमार को बधाई देते हुए कहा कि डॉ.आंबेडकर न केवल भारत के संविधान के शिल्पी थे, बल्कि बहुत बड़े समाजशास्त्री, अर्थशास्त्री व दूरद्रष्टा थे, उनके दर्शाए हुए रास्ते पर चलकर देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी एक आधुनिक और सशक्त भारत का निर्माण करने में सफल हो रहे हैं। डॉ. आंबेडकर की विरासत और देश के विकास में उनके योगदान के दर्शन अनेक क्षेत्रों में किए जा सकते हैं।

इस अवसर पर राष्ट्रवादी चिंतक, विचारक व लेखक बसंत कुमार ने राष्ट्र निर्माण में डॉ.आंबेडकर के योगदान का वर्णन करते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि महात्मा गांधी जब कई अवसरों पर ये कहा था कि जिस दिन इस देश का प्रधानमंत्री एक दलित होगा तो मै समझूँगा कि देश से छुआछूत समाप्त हो जाएगा और जब भारत आजाद हो रहा था तो उस समय प्रधानमंत्री के रूप में डॉ. आंबेडकर के रूप में एक ऐसा विकल्प मौजूद था जो दलित था, कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त था, अर्थशास्त्र में कई शोध किये थे और वायसराय कौंसिल के श्रम सदस्य के रूप में श्रम सुधारों पर अनेक फैसले लिए थे, पर कांग्रेस ने डॉ आंबेडकर को प्रधानमंत्री बनाने के बजाय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को चुना!  

वायसराय परिषद के श्रम सदस्य (श्रम मंत्री) के रूप में 1942 में श्रमिकों के काम के घंटे 12 घंटे से घटा करके 8 घंटे करने में सफलता पाई। बसंत कुमार ने इस बात पर चिंता व्यक्त कि आज के नेता अपने फायदे के लिए आंबेडकर की नाम की माला जरूर जपते है पर आंबेडकर की सोच को न तो अपने जीवन में अपनाते है न लोगों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करते है।

 इस कार्यक्रम में उनके गृह जनपद जौनपुर और संघ के युवा कार्यकर्ताओं ने अच्छी संख्या मे भाग लिया। बसंत कुमार ने इस पुस्तक को लिखने के लिए उन्हें प्रेरित करने के लिए पद्म विभूषण डॉ.बिन्देश्वर पाठक को याद किया। सभागार में उपस्थित सभी गणमान्य अतिथियों ने लेखक बसंत कुमार को एक अच्छी पुस्तक लिखने के लिए बधाई दिया। मंच पर उपस्थित सभी अतिथियों का फूल-मालाओं और पुष्प-गुच्छ द्वारा स्वागत किया गया। अंत में लेखक बसंत कुमार ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य लोगों का आभार जताया।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox