नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- महाराष्ट्र में पुरानी पेंशन योजना बहाल हो सकती है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के बयान से राज्य में हलचल बढ़ गई है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान जब उनसे पुरानी पेंशन योजना को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि योजना के खिलाफ उनका पहले का रुख बदल गया है। साथ ही उन्होंने कहा इस मामले पर वह सकारात्मक रूप से पुनर्विचार करेंगे। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र भी इस पर विचार कर रहा है।
नागपुर में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वेतन, पेंशन राशि के बीच संतुलन बनाना चाहती है। राज्य सरकार पर वित्त पर बोझ न पड़े इसका ध्यान रखा जाएगा। साथ ही उन्होंने कहा कि सीएम शिंदे, उपमुख्यमंत्री फडणवीस और मेरे बीच पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) के मुद्दे को लेकर चर्चा हुई थी। साथ ही कहा कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ओपीएस के प्रति अपना विरोध जताया था, जब मैं अतीत में राज्य का वित्त मंत्री था तब मैंने भी एक सत्र के दौरान ऐसी ही बातें कही थीं। हालांकि मेरी जानकारी के मुताबिक, केंद्र इस लंबित मामले पर विचार करने के बारे में सोच रहा है।
क्या थी पुरानी पेंशन योजना?
महाराष्ट्र में कई सरकारी और अर्ध-सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग कर रहे हैं, जिसे 2005 में राज्य में बंद कर दिया गया था। बता दें कि ओपीएस के तहत एक सरकारी कर्मचारी को उसके अंतिम आहरित वेतन के 50 प्रतिशत के बराबर मासिक पेंशन मिलती है। कर्मचारियों द्वारा अंशदान की कोई आवश्यकता नहीं थी। केंद्र सरकार लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे पर गंभीरता से काम कर रही है। उन्होंने कहा कि पात्र लोगों को वर्ष 2021 से वित्तीय लाभ मिलेगा।
क्या है नई पेंशन योजना?
नई पेंशन योजना के मुताबिक, एक राज्य सरकार का कर्मचारी अपने मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत योगदान देता है और राज्य भी उतना ही योगदान देता है। फिर पैसा पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) द्वारा अनुमोदित कई पेंशन फंडों में से एक में निवेश किया जाता है और रिटर्न बाजार से जुड़ा होता है।
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