कोरोना पर बोले मनीष सिसोदिया- दिल्ली में हालात संतोषजनक

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031  
December 27, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

कोरोना पर बोले मनीष सिसोदिया- दिल्ली में हालात संतोषजनक

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- कोराना काल के करीब साढ़े तीन महीने के अंतराल में दिल्ली में लगातार संक्रमण के मामले अभी भी बढ़ रहे हैं। हालांकि पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में कोरोना संक्रमण से कुछ राहत मिली है और दिल्ली में रिकवरी रेट भी बढ़ा है। जिसपर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली में हालात अब संतोषजनक है लेकिन अभी भी हम हाथ पर हाथ रखकर नही बैठ सकते अभी भी ऐसे अनेकों काम है जो जनहित में करने है। हालांकि यह जरूर है कि तैयारियों के लिहाज से कहीं हम पिछड़े हैं तो कही सब कुछ सुनियोजित तरीके से आगे बढ़ा है।
कोरोना महामारी में देश के साथ-साथ दिल्ली भी वायरस के खिलाफ बड़ी लड़ाई लड़ रही है। हालांकि मरीजों की संख्या के मामले में दिल्ली देश में तीसरे नंबर पर है। जिसकारण दिल्ली में कारोबारी गतिविधयां ठप पड़ी हैं और सरकार को राजस्व का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। जिन स्कूलों को लेकर दिल्ली सरकार शिक्षा व्यवस्था के अपने मॉडल को वैश्विक स्तर पर तैयार करने का दावा कर रही थी। वही स्कूल आज बंद पड़े है और बच्चों का भविष्य अंधकार में जाता जा रहा है। हालांकि अभी स्कूलों को खोलने को लेकर एक उम्मीद बनी हुई है और 15 अगस्त तक स्कूल खोले जा सकते है। कोरोना सभी के लिए चुनौती है। हमें स्वीकार करना पड़ेगा कि आज कोरोना एक हकीकत है और यह दिल्ली जैसे शहरों में, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत कनेक्ट हैं तो यहां कोरोना का फैलाव होना स्वाभाविक था हालांकि दिल्ली को इससे कुछ सावधानियां अपना कर बचाया भी जा सकता था लेकिन उस वक्त थोड़ी कमियां भी रहीं। दुनिया का कोई भी हेल्थ सिस्टम इतना तैयार नहीं होगा, जितना कोरोना से लड़ने के लिए होना चाहिए था। तब कुछ चीजें समझ में आई कि यह चीजें और ज्यादा ठीक होनी हैं। वो ठीक भी की गईं। आज हालात संतोषजनक हैं। आज जहां हम खड़े हैं, वहां कोरोना का स्टेटस स्टैटिक है। मतलब, नए मामलों में एक स्थिरता है। जितना बड़ा खतरा है, तैयारियों के लिहाज से हम उसमें आगे खड़े हैं। हम मानकर चल रहे थे कि जून के आखिर तक 15,000 बेड की जरूरत होगी, लेकिन आज 15,243 बेड तैयार हैं। यह हमारे लिए बड़ी चीज हैं कि जो तैयारी होनी चाहिए थीं, सरकार ने उतनी कर ली है। हालांकि, हमें अभी स्थिरता दिख रही है, लेकिन हम हाथ पर हाथ रखकर नहीं बैठे हैं। हम आगे भी तैयारियों को बढ़ा रहे हैं।
अगस्त तक दिल्ली में साढ़े पांच लाख के अपने आकलन पर उन्होने कहा कि दिल्ली के लिए भी उनका जो आकलन था, जून की शुरुआत में उसे मैंने जनता से साझा किया। मुझे ऐसा लगता है कि ऐसा करने से लोग सतर्क हुए। सार्वजनिक स्थलों से लेकर घरों तक सब लोगों ने एहतियात बरती। बहुत सारे संस्थान साथ आगे आए कि अगर इतनी बड़ी महामारी आ रही है तो हमें भी लड़ने में मदद करनी है। केंद्र सरकार साथ में आई। मुख्यमंत्री जी ने सबसे कहा कि सबको साथ आना है। उनका मानना था कि तैयारी इतनी बड़ी करनी है कि चुनौती जितनी बड़ी दिख रही है वह उससे बड़ी भी हो सकती है। हमारी तैयारियों को हमने उतना स्केल दिया। इससे मदद मिली। तो इसे ओवर असस्टमेंट नहीं कहेंगे, वह उस वक्त का भविष्य को लेकर किया गया आकलन था। हम सब सीख रहे हैं। मैं किसी चीज को यह नहीं कह रहा हूं कि वह सुपर सेचुरेशन के स्तर पर आ गई है। नए चैलेंज सामने आएंगे तो नया करना पड़ेगा। जैसे, हम अपने हॉस्पिटल में तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्लाज्मा बैंक नया कांसेप्ट है। तो नई-नई चीजें जरूरत के हिसाब से जुड़ती रहेंगी। क्योंकि बीमारी नई है, इसका स्केल सामने आता रहेगा। इसका नया चरित्र सामने आता रहेगा।
उन्होने राजस्व घाटे पर कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष से तुलना करूं तो पिछले साल के अप्रैल से जून के बीच 7,500 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था, जबकि इस साल हमें 2,500 करोड़ रुपये आया है। यह बेहद चिंताजनक है। उम्मीद करूंगा कि आगे हालात सुधरे। साथ ही केंद्र सरकार से भी 5,000 करोड़ रुपये की मांग की है।
बतौर शिक्षामंत्री उन्होने कहा कि बच्चों का भविष्य अंधकार में है। निजी तौर पर इसकी चिंता मुझे इसलिए भी है कि शिक्षा व्यवस्था को संभालने में पांच साल लगे और एक बार यह पटरी से उतरी तो दुबारा इसे संभालने में पांच साल लग जाएंगे। चिंता तो है, लेकिन मजबूरी भी है कि अभी ज्यादा कुछ किया नहीं जा सकता। ऑन लाइन क्लासेज स्थाई समाधान नहीं है। यह शिक्षा नहीं है। यह क्लासेज केवल वैल्यू एडीशन है। सीखने-सिखाने की प्रकिया स्कूल में, क्लास रूम में चलती है। बच्चा स्कूल जाता है वह भी सीखने की प्रक्रिया है। ऑनलाइन से सब कुछ हो जाता तो दुनिया की सारी यूनिवर्सिटी, कॉलेज बंद कर दिए जाते। क्यों खर्च करना, बच्चे को लैपटाप ही दे दो। इससे काम नहीं चल सकता। सीखना एक लंबी प्रक्रिया है और यह 360 डिग्री पर चलती है। इसलिए मेरा फोकस यह है कि विशेषज्ञों की राय लेकर हम इसको स्टेबलिश कर सकें, पर क्या मॉडल होगा, अभी हमें भी इसका नहीं कुछ नहीं पता। हालात क्या होंगे, अभी किसी को नहीं पता। यह हकीकत है कि एजूकेशन डैमेज हो रही है, हमारी कोशिश यह है कि बच्चों का न्यूनतम नुकसान हो।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox