उत्तराखंड/नई दिल्ली/अनीशा चौहान/- उत्तराखंड में हरिद्वार शहर के यातायात को सुगम बनाने के लिए एक नई योजना पर काम किया जा रहा है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने हरिद्वार बाईपास के निर्माण की योजना बनाई है, जिसके तहत राजाजी नेशनल पार्क से होकर एक सुरंग निकाली जाएगी। यह बाईपास लगभग 10 किमी लंबी होगी और इससे हरिद्वार में बढ़ते यातायात के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी।

बाईपास का रूट

यह बाईपास दूसरी अंजनी चौकी से शुरू होकर तिरछा पुल के माध्यम से सर्वानंद घाट तक जाएगी। सुरंग के माध्यम से राजाजी नेशनल पार्क से होकर गुजरने वाली यह सड़क परियोजना हरिद्वार की भीड़भाड़ से बचने का एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। बाईपास बनने से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए हरिद्वार पहुंचना आसान होगा, साथ ही शहर के अंदर के ट्रैफिक में भी काफी सुधार आएगा।

पर्यावरणीय चुनौतियाँ

हालांकि, इस परियोजना को लेकर कुछ पर्यावरणीय चुनौतियाँ भी हैं। राजाजी नेशनल पार्क जैव विविधता से भरपूर एक संरक्षित क्षेत्र है, जो बाघ, हाथी, और कई अन्य वन्यजीवों का निवास स्थान है। ऐसे में सुरंग और बाईपास के निर्माण से पर्यावरण पर संभावित प्रभावों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है। वन्यजीव संरक्षण के नियमों का पालन करते हुए इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा।

परियोजना के लाभ

यह बाईपास न केवल पर्यटकों के लिए लाभकारी होगी, बल्कि स्थानीय निवासियों के लिए भी सुविधा बढ़ाएगी। वर्तमान में हरिद्वार में भारी वाहनों और तीर्थयात्रियों की भीड़ के कारण यातायात में अक्सर जाम की स्थिति बनती है। इस नई सड़क के निर्माण से यातायात का प्रवाह सुगम होगा और शहर के भीतर के यातायात दबाव को कम किया जा सकेगा।

निष्कर्ष

हरिद्वार बाईपास की यह योजना एक दूरगामी परियोजना है, जो यातायात को सुगम बनाएगी और शहर के विकास में मदद करेगी। हालांकि, इस परियोजना के पर्यावरणीय प्रभावों पर भी बारीकी से विचार करना आवश्यक है, ताकि राजाजी नेशनल पार्क और उसके वन्यजीवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस तरह की परियोजनाओं में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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