मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिकी मशीन से ड्रिलिंग शुरू

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

March 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
24252627282930
31  
March 15, 2025

हर ख़बर पर हमारी पकड़

मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिकी मशीन से ड्रिलिंग शुरू

-उत्तरकाशी टनल में 105 घंटे से फंसे है 40 मजदूर, केंद्रीय मंत्री वीके सिंह बोले- रेस्क्यू में 2-3 दिन और लग सकते हैं

देहरादून/शिव कुमार यादव/- उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल में 105 घंटे यानी 4 दिन से 40 मजदूर फंसे हैं। इन्हें निकालने की हर कोशिश अब तक नाकामयाब रही है। गुरुवार सुबह नए सिरे से अमेरिकन ऑगर्स मशीन को इंस्टाल कर रेस्क्यू शुरू किया गया है। हैवी ऑगर मशीन को सेना के हरक्यूलिस विमान से दिल्ली से उत्तराखंड लाया गया है।
         एनएचआईडीसीएल के डायरेक्टर अंशू मनीष खलखो ने बताया, 25 टन की हैवी ऑगर मशीन प्रति घंटे पांच से छह मीटर तक ड्रिल करती है। अगर, ये काम करती है तो अगले 10 से 15 घंटे में इन्हें रेस्क्यू किया जा सकता है। हालांकि, यह अंदर की परिस्थितियों पर भी डिपेंड करेगा। हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था। टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर दूर मिट्टी धंसी। मजदूर अंदर फंस गए। मलबा 70 मीटर तक फैला गया। ये मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।

टनल के अंदर जायजा लेने पहुंचे केंद्रीय मंत्री वीके सिंह
केंद्रीय मंत्री वीके सिंह गुरुवार को टनल के अंदर जायजा लेने पहुंचे। उन्होंने कहा- मजदूर टनल के अंदर 2 किलोमीटर की खाली जगह में फंसे हुए हैं। इस गैप में रोशनी है और हम खाना-पानी भेज रहे हैं। एक नई मशीन काम कर रही है, जिसकी पॉवर और स्पीड पुरानी मशीन से बेहतर है। हमारी कोशिश इस रेस्क्यू ऑपरेशन को 2-3 दिन में पूरा करने की है।

रेस्क्यू में कितने लोग जुटे
200 लोगों की टीम 24 गुणा 7 काम कर रहीः नेशनल हाईवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल), एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, बीआरओ और नेशनल हाईवे की 200 से ज्यादा लोगों की टीम 24 घंटे रेस्क्यू में जुटी है। इसके अलावा थाईलैंड, नार्वे, फिनलैंड समेत कई देशों के एक्सपर्ट से ऑनलाइन सलाह ली जा रही है।

अब तक क्या हुआ?
13 नवंबरः सबसे पहले रेस्क्यू टीम ने टनल का मलबा हटाने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुए। तब से मजदूरों को पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन और खाना-पानी मुहैया कराया जा रहा है।
14 नवंबरः 35 इंच के डायमीटर का स्टील पाइप मलबे के अंदर डालने की प्रोसेस शुरू की। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रोलिक जैक की मदद ली गई मगर सफलता नहीं मिली।
15 नवंबरः टनल के बाहर मजदूरों की पुलिस से झड़प हुई। वे रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से नाराज थे। च्डव् के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से हैवी ऑगर मशीन मंगाई गई। एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान लेकर आया।
16 नवंबरः हैवी अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन का इंस्टालेशन पूरा हुआ, रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की रिव्यू मीटिंग की।

क्यों लानी पड़ी हैवी ड्रिलिंग मशीन
रेस्क्यू के लिए 14 नवंबर को ड्रिल मशीन मंगाई गई थी। मलबा ज्यादा होने से ये मशीन काम नहीं कर पाई। इसके बाद हैवी ऑगर मशीन मंगाई गई।
इंजीनियर और ड्रिलिंग एक्सपर्ट आदेश जैन ने बुधवार देर रात बताया, ’14 नवंबर तक 6 बार मलबा धसक चुका है और इसका दायरा 70 मीटर तक बढ़ चुका है। पहले जो ड्रिलिंग मशीन लगी थी, केवल 45 मीटर तक ही काम कर सकती है, इसलिए बड़ी मशीन लाई गई है। टनल में फंसे सभी लोग 101 फीसदी सुरक्षित हैं। गुरुवार शाम या रात तक सभी को सुरक्षित निकाल लिया जाएगा।’

प्लास्टर नहीं होने की वजह से टनल का 60 मीटर हिस्सा धंसा
एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडर करमवीर सिंह के मुताबिक, ’साढ़े 4 किलोमीटर लंबी और 14 मीटर चौड़ी इस टनल के स्टार्टिंग पॉइंट से 200 मीटर तक प्लास्टर किया गया था। उससे आगे कोई प्लास्टर नहीं था, जिसकी वजह से ये हादसा हुआ।’

थाईलैंड से क्यों ली जा रही मदद
टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए थाईलैंड के एक्सपर्ट की मदद ली जा रही है। इसको लेकर खलखो ने बताया, 2018 में थाईलैंड में एक जूनियर एसोसिएशन फुटबॉल टीम के 12 मेंबर्स और उनके कोच प्रैक्टिस सेशन के बाद थाईलैंड की गुफा लुआंग नांग नॉन घूमने गए थे। तभी अचानक तेज बारिश होने लगी और गुफा में बाढ़ आने से बाहर निकलने का रास्ता बंद हो गया था।
          करीब 18 दिनों तक ये फुटबॉल टीम गुफा के अंदर फंसी रही थी। थाईलैंड के एक्सपर्ट ने उनको सफलतापूर्वक बचा लिया था। ऐसे में टीम उत्तरकाशी घटना में उनसे सलाह ले रही है। हालांकि, खलखो ने कहा- थाईलैंड के एक्सपर्ट भारत नहीं आएंगे। वे ऑनलाइन मदद कर रहे हैं।

घटना की जांच के लिए कमेटी बनाई गई
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर हाईलेवल मीटिंग की। धामी ने बताया- हम रेस्क्यू ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्रालय की ओर से भी घटना की मॉनिटरिंग की जा रही है। उत्तराखंड सरकार ने घटना की जांच के लिए छह सदस्यीय कमेटी बनाई है। कमेटी ने आज जांच शुरू भी कर दी है।

चारधाम प्रोजेक्ट का हिस्सा है यह टनल
यह टनल चार धाम रोड प्रोजेक्ट के तहत बनाया जा रहा है। 853.79 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हो रही यह टनल हर मौसम में खुली रहेगी। यानी बर्फबारी के दौरान भी इसमें से लोग आना-जाना कर सकेंगे। इसके बनने के बाद उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 26 किमी तक कम हो जाएगी।
           दरअसल, सर्दियों में बर्फबारी के दौरान राड़ी टाप क्षेत्र में यमुनोत्री हाईवे बंद हो जाता है। जिससे यमुना घाटी के तीन तहसील मुख्यालयों बड़कोट, पुरोला और मोरी का जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से संपर्क कट जाता है। चारधाम यात्रा को सुगम बनाने और राड़ी टाप में बर्फबारी की समस्या से निजात पाने के लिए यहां ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत डबल लेन सुरंग बनाने की योजना बनी।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox