नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/-टोक्यों ओलंपिक की चकाचौंध व जश्न के माहौल में बीएसएफ के दो शहीदों की शहादत ही दब गई जिसे देखते हुए कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन ने शहीदों के सम्मान के लिए आवाज उठाते हुए राज्य सरकारों से दोनो शहीदों को शहीद सम्मान राशि की एक-एक करोड़ रूपये देने की घोषणा करने की मांग की है। एसोसिएशन के महासचिव रणबीर सिंह ने कहा कि शहीदों की शहादत को भुलाना उचित नही बल्कि उनका सम्मान होना चाहिए।
उन्होने बताया कि 3 अगस्त सुबह का वक्त जब लोग नींद से जागे तो एक बुरी खबर मिली कि बीएसएफ के दो जवान सब इंस्पेक्टर भूरू सिंह व कॉन्स्टेबल राजकुमार शहीद हो गए। ये हादशा बांग्लादेश से लगी सीमा धलाई जिले में पेट्रोलिंग पार्टी के साथ घटित हुआ। विद्रोही संगठन नेशनल लिबरेशन फ्रंट ऑफ त्रिपुरा द्वारा घात लगाकर अचानक हमले के कारण बीएसएफ जवानों को बेशकीमती जीवन से हाथ धोना पड़ा।
महासचिव रणबीर सिंह ने प्रैस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि पुरे देश में पिछले पखवाड़े से ओलंपिक खेलों के जश्न का माहौल है। देश के हर कोने, सत्ता के गलियारे या संसद हर जगह खिलाड़ियों का जिक्र है। कहीं गोल्ड से चूकना तो कहीं चांदी तमगा के ना मिलने का मलाल। खिलाड़ियों पर धन वर्षा का होना लाजिमी है। विभिन्न खेल संगठनों, सामाजिक संस्थाओं, राज्य व केंद्रीय सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की राशि का ऐलान करने की होड़ मची है। खिलाड़ियों के साथ सेल्फी पोज की होड़ मची है जिसमें मंत्रियों की फौज सबसे आगे है। गली मुहल्ले, चौंक चौराहे, सोशल मीडिया, टीवी चैनल, समाचार पत्रों में सिर्फ खिलाड़ियों का ही जिक्र हो रहा है कि अच्छा हुआ कि तांबे का तमगा ही सही।
कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन महासचिव रणबीर सिंह ने साथ ही दुःख व्यक्त किया कि हमारे बीएसएफ जवानों द्वारा सुप्रीम शहादत को खेल की आड़ में भूला देना कहां तक उचित है। हम उन वीरों महावीरों की बात कर रहे हैं जिनकी डैड बाडी अभी 3 दिन में उनके गांव पहुंची है अंतिम संस्कार के लिए। ऐसा भी क्या जश्न जिसमें शहादत को भुला दिया गया। सरकारें खिलाड़ीयों को चांदी, कांस्य, सोना तमगा जितने भारी भरकम सम्मान राशि के ऐलान करने की होड़ मची हुई है लेकिन देश की पहली रक्षा पंक्ति बीएसएफ के जांबाजों जिंहोने देश की आन-बान शान के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया उनके लिए इस प्रकार की शहादत सम्मान राशि की घोषणा ना करना शहादत का सरासर अपमान है। जो राष्ट्र अपने शहीद परिवारों को सम्मान देने में कौताही बरतते हैं क्या बीतेगी उन मासूम बच्चों पर, उसके बुढ़े मां बाप पर ओर उसकी घरवाली पर जिसका वो घर आने का बेसब्री से इंतजार किया करती थी। कौन लौटाएगा उसका चांद जिसकी करवॉ चौथ पर राह देखती थी। कौन कराएगा जवान बेटी के पीले हाथ एक गंभीर विचारणीय विषय देश वासियों के लिए सरकारों के लिए। शहीद सिपाही राजकुमार के 3 छोटे बच्चों की शिक्षा स्वास्थ्य का कौन संस्था जिम्मेदारी उठाएं देश वासियों के सामने गंभीर सवाल मुंह बाए खड़ा है।
कॉनफैडरेसन आफ़ एक्स पैरामिलिट्री फोर्स वैलफेयर एसोसिएशन जो कि अर्धसेनिक बलों के जवानों व उनके परिवारों के भलाई संबंधित मुद्दों को लेकर पिछले 7 सालों से संघर्षरत है मांग करते हैं कि दोनों बीएसएफ शहीद जवानों के परिवारों के लिए अविलंब देरी किए बिना राज्य सरकारें 1 करोड़ शहीद सम्मान राशि की घोषणा करें। शहादत का अपमान नहीं सहेगा हिन्दुस्तान।
-टोक्यों ओलंपिक के जश्न में दब गई थी शहीदों की शहादत, 3 दिन में गांव पंहुची थे पार्थिव शरीर
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