उमेश कुमार सिंह/- दीपावली को भारत का सबसे लोकप्रिय त्योहार माना जाता है और इसके आगमन से पहले ही घरों में जोर-शोर से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। यह पावन त्योहार उल्लास, उमंग और खुशियों का प्रतीक है, जो परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ मिल-बैठने और खुशियां बांटने का अवसर प्रदान करता है। बच्चों के लिए यह त्योहार विशेष महत्व रखता है, क्योंकि वे पटाखों, नए कपड़ों और पकवानों का भरपूर आनंद उठाते हैं।
भारत के इतिहास में दीपोत्सव की परंपरा अति प्राचीन है और इसे ज्योति पर्व के रूप में भी जाना जाता है। मान्यता है कि समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी उन्हीं घरों में प्रवेश करती हैं, जो स्वच्छ, पवित्र और रोशनी से जगमगाते होते हैं। इसी कारण दीपावली से पूर्व घरों की साफ-सफाई, रंगाई-पुताई, और सजावट का विशेष ध्यान रखा जाता है।
उत्तर भारत में दीपोत्सव के अनुष्ठानों की विशेष परंपराएं हैं। दीपावली से एक दिन पहले घर के बाहरी हिस्से में ‘यम दीप’ जलाने की प्रथा है। शाम के समय महिलाएं स्नान के बाद गोबर से बने दीयों में सरसों का तेल डालकर उन्हें प्रज्ज्वलित करती हैं और घर के बाहरी हिस्से में रखती हैं, जिससे यम देवता प्रसन्न होते हैं। इसके अतिरिक्त दीपावली की संध्या को घर के आंगन में रंगोली बनाई जाती है और विशेष पूजन कर देवी लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है।
आतिशबाजी और सावधानियां:
दीपावली के जश्न में आतिशबाजी का अपना अलग ही स्थान है, लेकिन इसे सुरक्षित रूप से करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। बच्चों को समझाएं कि पटाखे हमेशा बड़े लोगों की देखरेख में ही जलाएं। माचिस और पटाखों को जेब में न रखें और हमेशा खुले स्थान में ही आतिशबाजी करें। ध्यान रखें कि समूह में पटाखे जलाते समय एक ही व्यक्ति पटाखा जलाए, और अगर कोई पटाखा नहीं फूटता, तो उसे दोबारा जलाने का प्रयास न करें।
स्वास्थ्य का ध्यान रखें:
दिवाली के समय प्रदूषण के कारण वातावरण में सल्फर डाईऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों का स्तर बढ़ जाता है, जिससे अस्थमा और ह्रदय रोग से पीड़ित लोगों को दिक्कत हो सकती है। ऐसे में बच्चों और बुजुर्गों को पटाखों के धुएं और शोर से बचाकर घर के अंदर ही रखें। इनहेलर और मास्क का उपयोग करें, और किसी भी समस्या की स्थिति में डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।
आंखों और कानों की सुरक्षा:
पटाखों के शोर और प्रदूषण से आंखों में जलन और कानों में दर्द की समस्या बढ़ सकती है। बच्चों के कानों में कॉटन या इयरप्लग लगा दें और अधिक तेज पटाखों से दूरी बनाए रखें। यदि आंखों में जलन हो, तो उन्हें साफ पानी से धोएं और समस्या बढ़ने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। दिवाली के दौरान कानों और आंखों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान देना अति आवश्यक है।
इस दीपावली, हम सभी को स्वस्थ और सुरक्षित ढंग से इस त्योहार को मनाने का प्रयास करना चाहिए, ताकि यह पावन पर्व हमारे जीवन में सुख, समृद्धि और खुशियां लाए।
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