
सैन फ्रांसिस्को/शिव कुमार यादव/- चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडेन के साथ शिखर सम्मेलन और एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपीईसी) के नेताओं की बैठक में भाग लेने के लिए सैन फ्रांसिस्को पहुंचे हैं। छह सालों में यह पहला मौका है जब चीनी राष्ट्रपति अमेरिका गए हैं जिसपर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई हैं। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक जिनपिंग ने मुलाकात में बाइडेन को स्पष्ट कर दिया है कि चीन को दबाने की या फिर उसे रोकने की कोशिश हरगिज न की जाए।

क्या बोले जिनपिंग
कैलिफोर्निया के वुडसाइड में फिलोली एस्टेट में बाइडन और जिनपिंग की मुलाकात हुई। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक जिनपिंग ने बाइडन से कहा कि चीन, पुराने उपनिवेशवाद के रास्ते पर नहीं चलता है और न ही यह ताकत का टेढ़ा रास्ता अपनाता और उसे फिर सही करता है। जिनपिंग ने बाइडन को स्पष्ट कहा कि चीन किसी भी विचारधारा का निर्यात करता है और न ही किसी देश की विचारधारा के साथ उलझने में यकीन रखता है। चीन की अमेरिका को दबाने की या फिर उसकी जगह लेने की कोई मंशा नहीं है। ऐसे में अमेरिका को भी चीन को दबाने या फिर उसे रोकने की मंशा हरगिज नहीं रखनी चाहिए।
बाइडेन का बड़ा संदेश
वहीं, जिनपिंग के साथ शिखर सम्मेलन से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन से अलग होने की कोशिश नहीं कर रही है, बल्कि अपने मुखर प्रतिद्वंद्वी के साथ बेहतर संबंध बना रही है। योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को बाइडेन की यह टिप्पणी काफी महत्वपूर्ण है। साफ है कि एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग मंच के इतर जिनपिंग से मुलाकात से पहले बाइडेन ने एक सौहार्दपूर्ण माहौल तैयार करने की कोशिश है।

दुनियाभर की नजरें
विशेषज्ञों के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और जिनपिंग की यह मुलाकात काफी अहम है। दोनों नेता 2022 में जी20 के बाद से नहीं मिले हैं और वर्तमान वैश्विक संघर्षों, विशेष रूप से यूक्रेन युद्ध के संबंध में उनके बीच सहमति की कमी है। बाइडेन के शी के साथ रिश्ते पहले से ही तनावपूर्ण हैं। जी20 की बैठक में, बाइडेन ने शी से ताइवान पर चीन की स्थिति (स्वशासित द्वीप के प्रति चीन की सैन्य कार्रवाई से अमेरिका चिंतित है), यूक्रेन पर रूसी आक्रमण (अमेरिका चाहेगा कि चीन रूस पर दबाव बनाए ताकि संघर्ष का अंत हो) और अमेरिका-चीन व्यापार संबंध (जो बेहद खुरदरे रहे हैं)के बारे में बात की। इस बार भी बातचीत में इन सभी मुद्दों के एजेंडे में रहने की उम्मीद है।
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