न्यूयार्क/शिव कुमार यादव/- 8 अप्रैल को साल का पहला सुर्यग्रहण कई मायनों में खास खगोलिय घटना के रूप में देखा जा रहा है। इस खगोलिय घटना को लेकर वैज्ञानिक ही नही आम आदमी भी काफी उत्सुक दिखाई दे रहे है। इस दौरान उत्तरी अमेरिका के कई देशों में कुछ वक्त के लिए अंधेरा भी छाएगा। हालांकि, 8 अप्रैल को सिर्फ पूर्व सूर्य ग्रहण ही नहीं, बल्कि कई अन्य असामान्य खगोलीय घटनाओं को देखा जा सकता है। इनमें पृथ्वी के वायुमंडल पर चंद्रमा की छाया की उपस्थिति और दिन के दौरान अंधेरा भी शामिल है। वैज्ञानिकों ने बताया है कि ग्रहण की शुरुआत के कुछ समय पहले एक विशिष्ट छाया दिखाई देनी चाहिए, जो आने वाली घटना की नकल होगी। इसकी शुरुआत पश्चिम-दक्षिण-पश्चिम आकाश से होगी। जैसे ही अंधेरा छाएगा, दिन में आसमान में तारे, ग्रह और संभवतः अन्य चमकीली वस्तुएं देखने का मौका मिलेगा।
चैत्र नवरात्रि के शुरू होने से एक दिन पहले चैत्र अमावस्या पर साल का पहला सूर्यग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा जो भारत में नही दिखाई देगा क्योंकि जिस समय सूर्यग्रहण लगेगा उस समय भारत में रात होगी। यह सूर्यग्रहण काफी देर तक चलेगा। माना जा रहा है कि इस तरह का सूर्यग्रहण 50 साल में एक बार लगता है। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण 8 अप्रैल को रात 9 बजकर 12 मिनट से शुरू होगा और रात के करीब 2 बजकर 22 मिनट पर खत्म हो जाएगा। यह ग्रहण कनाडा, मेक्सिको, आयरलैंड, आइसलैंड, जमाइका, नार्वे, पनामा, निकारगुआ, रूस, पोर्तोरिको, सैंट मार्टिन, स्पेन, द बहामास, यूनाइटेड किंग्डम और वेनेजुएला समेत दुनिया के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा।
आसमान में दिखेगी सतरंगी रोशनी
स्पेस साइंटिस्ट और हडसन वैली में न्यूज 12 वेस्टचेस्टर के टेलिविजन मौसम विज्ञानी जो राव ने कहा कि मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि ग्रहण के समय क्या दिखेगा? मेरा उत्तर हमेशा एक ही होता हैः “आपको स्वयं इसे देखना होगा, और फिर आप समझ जाएंगे।“ उन्होंने कहा कि पूरे ग्रहण को देखने वालों के लिए चंद्रमा की छाया के ऊपर की ओर एक धुंधला नीला रंग दिखाई देगा। इसके किनारे के बाहर से प्रकाश क्षितिज के चारों ओर एक उज्ज्वल सीमा बनाता है। ग्रहण की छाया के बाहर हवा का केसरिया रंग विशेष रूप से प्रभावशाली हो सकता है। चूंकि हवा छोटी तरंग दैर्ध्य की तुलना में लंबी तरंग दैर्ध्य के प्रकाश को बिखेरती है, ऐसे में छाया के बाहर से प्रकाश पीला या लाल हो जाता है। हालांकि यह रंग छाया के किनारे से उसे देखने वाले व्यक्ति की दूरी पर निर्भर करता है।
शुक्र दिखेगा सबसे चमकीला
पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान आकाश में चांदनी रात जितना अंधेरा नहीं दिखता है। बल्कि, यह लगभग उतना ही अंधेरा हो जाता है जितना सूर्योदय से लगभग 20 से 40 मिनट पहले या सूर्यास्त के 20 से 40 मिनट बाद होता है। ऐसे आकाश में, शुक्र आमतौर पर बहुत साफ दिखाई देता है। इसके अलावा सूर्य के निकट अन्य चमकीले तासे भी दिखाई देते हैं। ग्रहण के समय शुक्र सबसे चमकीला दिखाई देगा। ग्रहण के दिन शुक्र, सूर्य से लगभग 15 डिग्री पश्चिम (निचले दाएं) पर स्थित होगा। हाथ की लंबाई पर पकड़ी गई आपकी बंद मुट्ठी का माप लगभग 10 डिग्री है, इसलिए शुक्र सूर्य से लगभग “डेढ़ मुट्ठी“ की दूरी पर स्थित होगा।
बृहस्पति भी रंग बिखेरता आएगा नजर
शुक्र के बाद दूसरा सबसे चमकीला ग्रह बृहस्पति नजर आएगा। यह सूर्य से लगभग 30 डिग्री पूर्व( ऊपर बांए) स्थित होगा। आसपास अन्य ग्रह भी होंगे, लेकिन यह बहस का विषय है कि क्या वे आसानी से दिखाई देंगे। शनि (परिमाण $1.1) और मंगल (परिमाण $1.2) क्रमशः सूर्य से 35 और 36-डिग्री पश्चिम में होंगे। छोटा बुध सूर्य से 6 डिग्री पूर्व में होगा, लेकिन बहुत कम तीव्रता होने के कारण पृथ्वी के लोगों के लिए यह अदृश्य होगा। जहां तक सितारों का सवाल है, यह ग्रहण आपको आकाश की चमक को मापने का एक अच्छा अवसर देगा क्योंकि सर्दियों के मौसम के चमकीले तारे आकाश के अधिकांश पूर्वी हिस्से में अच्छी तरह से स्थित होंगे।
दिन में नजर आएंगे ये तारे
पूर्व-दक्षिणपूर्व की ओर निचले स्तर पर सीरियस है, जो -1.5 परिमाण में सभी तारों में सबसे चमकीला है। हालांकि, अमेरिका के टेक्सास या मैक्सिको में इसे नहीं देखा जा सकता है, क्योंकि ग्रहण के समय यह क्षितिज से नीचे होगा। कैपेला (परिमाण $0.1) पूर्व-उत्तर-पूर्व में दिखाई देगा। जबकि रिगेल (परिमाण $0.2) दक्षिण-पूर्व में बहुत कम होगा।
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