
नई दिल्ली/- राजस्थान में 100 करोड़ से अधिक की ठगी के एक मामले में वांछित आरोपी को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रान्च टीम ने उसे गिरफ्तार किया है। वह 59 अलग-अलग मामलों में आरोपी है और भगोड़ा था।
आरोपी ने मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी के जरिए धोखाधड़ी की थी। 38 साल के आरोपी का नाम ओमा राम उर्फ राम मारवाड़ी है जो पद्मा राम का बेटा है। वह जोधपुर जिले के पीएस बालेसर के ग्राम गोपालसर 309, हरिओम नगर का निवासी है। वह राजस्थान में दर्ज धोखाधड़ी के कई मामलों में वांछित था। वह शुक्रवार को क्राइम ब्रांच के हत्थे चढ़ा।
पुलिस ने विस्तृत जांच की और गुरुवार को एक विशेष सूचना मिली कि वह अपने किसी करीबी से मिलने के लिए रोहिणी आने वाला है। सूचना के आधार पर टीम गठित की गई। टीम में इंस्पेक्टर सतीश मलिक के नेतृत्व में एसआई जितेंद्र माथुर, एएसआई अनिल, एचसी नवल सिंह, एचसी नितिन, एचसी आजाद सिंह और एचसी रविंदर शामिल थे। टीम एसीपी अनिल शर्मा की कड़ी निगरानी में काम कर रही थी।
पुलिस ने बताया कि आरोपी ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। उसने 2004 से 2006 तक बीएसएफ में रसोइये के रूप में काम किया है। वह राजस्थान से ताल्लुक रखता है और बीएसएफ में नौकरी के बाद, कई व्यवसायों में शामिल रहा। वह धोखाधड़ी के कई मामलों में वांछित था। अमीर बनने के लिए उसने बीएसएफ की नौकरी छोड़ दी थी। 2007 में उसने राजस्थान के जयपुर में एक सुरक्षा एजेंसी खोली। जिसमें 60 लोगों को नौकरी दी। हालांकि बाद में उसने इस सुरक्षा एजेंसी को एक पूर्व सैनिक राकेश मोहन को बेच दिया।
इसके बाद आरोपी ने 2007 में ही एमएलएम कंपनी मिताशी मार्केटिंग एंड कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड में एजेंट के तौर पर काम करना शुरू किया। इस कंपनी में उसने लगभग 1.5 करोड़ रुपए कमाए। 2008 में उसने मिताशी ट्रेड लिंक एंड प्राइवेट नाम से एक नई कंपनी की स्थापना की। 2009 में इसे लिमिटेड कंपनी बना दिया। वह इस कंपनी में मैनेजिंग डायरेक्टर था। इस कंपनी में उसके अलावा विजेंद्र सिंह चेयरमैन, डीसी यादव एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और मदन मोहन मीणा डायरेक्टर थे। नए सदस्यों को कंपनी से जुड़ने पर कमीशन दिया जाता था। प्रत्येक सदस्य को 4,000 रुपये जमा करने होते थे और बदले में उन्हें 400 रुपये का सफारी सूट मिलता था।
प्रत्येक सदस्य को कमीशन प्राप्त करने के लिए कम से कम 10 और सदस्यों को जोड़ना होता था। सदस्यों को उनके निवेश पर सुनिश्चित रिटर्न की गारंटी दी गई थी। 12 महीने तक लगातार दो लाख रुपये का कारोबार देने पर सदस्य को कंपनी की ओर से मोटरसाइकिल मिलती थी। इस तरह हजारों सदस्य जुड़ गए और कंपनी ने जनता से 100 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की। कुछ समय बाद, कंपनी ने सदस्यों का कमीशन और पुनर्भुगतान करना बंद कर दिया। 2011 में, कंपनी के खिलाफ राजस्थान में बड़ी संख्या में आपराधिक और निजी आपराधिक शिकायतें दर्ज की गईं। इसके बाद आरोपी वहां से फरार हो गया और मध्य प्रदेश के इंदौर चला गया और वहां सहकारी समिति का लाइसेंस हासिल किया। वह यहां राम और राम मारवाड़ी नाम बताकर रहने लगा। इसके बाद, उसने कई तरह का बिजनेस किया, जिसमें उसके पैसे डूब गए। 2014 में वह दिल्ली आया और प्रॉपर्टी डीलिंग करने लगा। पुलिस आरोपी से गहनता से पूछताछ कर रही है।
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