“नाच नचाती रोटियाँ ”

स्वामी,मुद्रक एवं प्रमुख संपादक

शिव कुमार यादव

वरिष्ठ पत्रकार एवं समाजसेवी

संपादक

भावना शर्मा

पत्रकार एवं समाजसेवी

प्रबन्धक

Birendra Kumar

बिरेन्द्र कुमार

सामाजिक कार्यकर्ता एवं आईटी प्रबंधक

Categories

April 2024
M T W T F S S
1234567
891011121314
15161718192021
22232425262728
2930  
April 19, 2024

हर ख़बर पर हमारी पकड़

“नाच नचाती रोटियाँ ”

नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/भावना शर्मा/- भास्कर का जीवन पता नहीं क्यूँ संघर्षों का सामना करने में ही बिता। बाल्यकाल में पिताजी का दिवाला निकल गया और पिताजी के मित्र के यहाँ दुकान पर नौकरी करनी पड़ी। इज्जत खराब न हो इसलिए पूरे दिन के लिए जरूरत के हिसाब से आटा लेकर आना होता और रोटियाँ बनाई जाती। बस इसी तरह बचपन से जवानी तक का समय निकल गया। अब जवानी के समय पिताजी ने सलाह दी तो गाँव छोड़कर नौकरी के लिए शहर को प्रस्थान किया। विवाह भी करना था इसलिए फेक्ट्री में नौकरी कर ली। गृहस्थी की गाड़ी में रोटी जुगाड़ते-जुगाड़ते कैसे समय बीत रहा था कुछ पता ही न चला।
        किसी तरह भी जीवन यापन हो रहा था की अचानक बीच में फेक्ट्री बंद हो गई और फिर रोटी के लिए अगला नाच करना पड़ा। अब उसे व्यवसाय का रुख करना पड़ा। रोटी की जुगाड़ के लिए सारे पापड़ बेलने पड़ें। खुद की तो कोई पूँजी नहीं थी इसलिए दूसरों का सामान ही घर-घर जाकर बेचना पड़ा। कुछ समय पश्चात दूध, किराना, आर्टिफ़िशियल ज्वेलरी बेचना शुरू किया। सारे प्रयासों के पश्चात भी केवल दिनभर की रोटी की व्यवस्था ही कर सका। वृद्धावस्था आ गई, कई सारी बीमारियों ने शरीर को ठिकाना बना लिया, पर रोटी की व्यवस्था के लिए फिर चौकीदारी की नौकरी करनी पड़ी और इस रोटी के जुगाड़ को करते-करते ईश्वर में लीन हो गया। भास्कर की पूरी जिंदगी रोटी के पीछे नाचते-नाचते खत्म हो गई। जन्म से लेकर मृत्यु का समय कैसे बिता कुछ भी पता न चला।
        इस लघु कथा से यह शिक्षा मिलती है कि भूख की चीख असहनीय होती है इसलिए ईश्वर की दी हुई रोटी का जरूर सम्मान करें। क्या पता कितने लोग इस रोटी के जुगाड़ को पूरा करने के लिए अविराम नाचते रहते है। प्रत्येक क्षण ईश्वर को धन्यवाद दे और रोटी को आनंदित होकर ग्रहण करें। अपनी क्षमता और सामर्थ्य के अनुसार किसी जरूरतमन्द को भी प्रेम पूर्वक रोटी खिलाए।

About Post Author

Subscribe to get news in your inbox