
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/द्वारका/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/भावना शर्मा/- जैसे ही गर्मी का आगाज होता है वैसे ही लोग तरबूज के सेवन को काफी तबज्जो देते है। हालांकि फलों का सेवन हर मौसम में किया जा सकता है, लेकिन कुछ फल ऐसे होते हैं जो किसी खास मौसम में ही मिलते हैं जिसे देखते हुए ऐसे फलों का सेवन भी सतर्कता से करना चाहिए। इसी कैटेगिरी में तरबूज का सेवन भी अधिक मात्रा में करना न केवल हानिकारक साबित हो सकता है बल्कि स्वास्थ्य पर भी इसके गंभीर परिणाम पड़ सकते हैं।
मौसमी फल खाने में काफी अच्छे लगते है और तरबूज भी ऐसा ही एक फल है, जो गर्मियों में मिलता है। यह खाने में काफी स्वादिष्ट और रसदार होता है। गर्मियों में लोग तरबूज खाना इसलिए पसंद करते हैं, क्योकि इसमें भरपूर मात्रा में पानी होता है, जो शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है। इसके अलावा भी तरबूज खाने के कई फायदे होते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिक मात्रा में इसका सेवन सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है? तो आईये जानते है इसके नुकसान के बारें मे-
हो सकती है एलर्जी
स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी प्रदान करने वाली वेबसाइट मेडिकल न्यूज टूडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तरबूज के अधिक सेवन से कुछ लोगों में एलर्जी की समस्या हो सकती है, जैसे कि शरीर में हल्के से लेकर गंभीर चकत्ते या फिर चेहरे पर सूजन। इसके अलावा किसी-किसी को सांस लेने में कठिनाई का भी सामना करना पड़ता है।
बढ़ा सकता है ब्लड शुगर लेवल
मेडिकल न्यूज टूडे के मुताबिक, तरबूज एक मीठा फल है, जिसमें प्रकृतिक रूप से चीनी की मात्रा काफी अधिक पाई जाती है, इसलिए डायबिटीज के मरीजों को इसके सेवन से बचना चाहिए। यह शरीर के ब्लड शुगर लेवल यानी रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ा सकता है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को तरबूज के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
दस्त और अपच की हो सकती है समस्या
तरबूज में भरपूर मात्रा में लाइकोपीन पाया जाता है, इसलिए अधिक मात्रा में इसका सेवन नहीं करना चाहिए। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के मुताबिक, प्रतिदिन 30 मिलीग्राम से अधिक लाइकोपीन की खपत से मतली, दस्त, अपच और सूजन की समस्या हो सकती है।
हो सकती हैं हृदय संबंधी समस्याएं
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मुताबिक, तरबूज में पोटैशियम की मात्रा भी अधिक पाई जाती है, ऐसे में इसकी अधिक खपत हृदय संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकती है, जैसे कि अनियमित दिल की धड़कन। इसके साथ ही मांसपेशियों का नियंत्रण भी कम हो सकता है।
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