
नजफगढ़ मैट्रो न्यूज/नई दिल्ली/शिव कुमार यादव/- बीती एक जनवरी को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत देशभर के किसानों के खातों में 10वीं किस्त का पैसा डाला गया था। लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार इनमें 7 लाख से अधिक किसान अपात्र पाये गये हैं। अब इन किसानों को ये रकम वापिस लौटाने के लिए राज्य सरकारें कह सकती हैं। हालांकि विपक्ष अब इसे मुद्दा बना रहा है और सवाल पूछ रहा है कि केंद्र ने कहीं चुनाव में किसानों को आकर्षित करने के लिए ये पैसा जानबूझकर तो नही डाला है। हालांकि ये पैसे विधानसभा चुनाव के बाद ही लौटाने की बात कही जा रही है। गौरतलब है कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जनवरी को प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 10वीं किस्त जारी की थी। फरवरी 2019 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई पीएम किसान योजना के तहत, पात्र किसानों को न्यूनतम आय सहायता के रूप में तीन किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये तक प्रदान किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में लाभार्थियों की संख्या लगभग 2.50 करोड़ के साथ सबसे अधिक है। रिपोर्ट में नाम न छापने की शर्त पर उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक रूप से संवेदनशील है। लेकिन सरकार को केंद्र के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करना होगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पात्र किसान ही पीएम-किसान के तहत लाभ प्राप्त करें।
वहीं रिपोर्ट के अनुसार, ये किसान उत्तर प्रदेश से हैं। यानी उत्तर प्रदेश में 7 लाख से अधिक किसानों को प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 10वीं किस्त के तहत प्राप्त धन को वापस करना होगा। इस संबंध में जारी रिपोर्ट की मानें तो उत्तर प्रदेश के जिन किसानों को 10वीं किस्त के पैसे वापस लौटाने पड़ सकते हैं, वे या तो अन्य स्रोतों से कमाई के लिए आयकर का भुगतान कर रहे हैं या फिर पीएम किसान योजना के तहत नकद लाभ प्राप्त करने के पात्र नहीं हैं। गौरतलब है कि इस योजना की शर्तों के अनुसार, 6000 रुपये प्रति वर्ष की राशि लाभार्थियों के बैंक खातों में सीधे 2000 रुपये की तीन किस्तों के जरिए जारी होती है। नियमानुसार, जिन किसानों के खाते में इस योजना के तहत राशि पहुंची है और वे अपात्र पाए जाते हैं तो उन्हें पैसा वापस करना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, इन 7 लाख से ज्यादा किसानों के पास पैसे लौटाने का थोड़ा सा समय बाकी है। इस तरह के अपात्र लाभार्थियों राज्य विधानसभा चुनाव खत्म होने तक पैसे वापस करने होंगे। विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद, उन्हें स्वेच्छा से पैसा वापस करने या वसूली के लिए तैयार रहने के लिए नोटिस मिलना शुरू हो जाएगा। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसी भी संभावना है कि अगर अपात्र किसान समय पर पैसा नहीं लौटाते हैं, तो केंद्र सरकार उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकती है।
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