शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन ने पूरे किए 200 दिन: विनेश फोगाट की संभावित भागीदारी और सरकार से नई मांगें

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September 17, 2024

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शंभू बॉर्डर पर किसान आंदोलन ने पूरे किए 200 दिन: विनेश फोगाट की संभावित भागीदारी और सरकार से नई मांगें

नई दिल्ली/अनीशा चौहान/-  शनिवार को शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन ने 200 दिन पूरे कर लिए हैं। इस खास मौके पर किसान एक भव्य प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं। इस प्रदर्शन में ओलंपियन पहलवान विनेश फोगाट की शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। विनेश फोगाट, जो किसान आंदोलन की समर्थक भी हैं, को इस बड़े आयोजन में सम्मानित किया जा सकता है।

आंदोलन की स्थिति और सरकार से मांगें

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने इस अवसर पर बताया कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से जारी है, लेकिन इसकी तीव्रता बरकरार है। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार उनके संकल्प की परीक्षा ले रही है और उनकी मांगें अभी तक पूरी नहीं की गई हैं। पंधेर ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हम एक बार फिर सरकार के सामने अपनी मांगें रखेंगे और नई घोषणाएं भी की जाएंगी।” उन्होंने यह भी कहा कि आंदोलन के 200 दिन पूरे होना एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता।

कंगना रनौत से किसानों की नाराजगी

किसानों ने बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। कंगना की टिप्पणियों ने किसान समुदाय में विवाद और विरोध को जन्म दिया है। किसानों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से अनुरोध किया है कि वह रनौत के खिलाफ ठोस कदम उठाए और उनके विवादित बयानों पर सख्त रुख अपनाए।

आगामी हरियाणा चुनावों के लिए रणनीति

किसानों ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति का संकेत भी दिया है। वे राज्य के राजनीतिक परिदृश्य में सक्रिय भूमिका निभाने के अपने इरादे पर जोर देते हुए, आने वाले दिनों में अपने अगले कदम की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं।

आंदोलन की शुरुआत और मुख्य मांगें

किसान आंदोलन 13 फरवरी को शंभू बॉर्डर पर शुरू हुआ था, जब पुलिस और प्रशासन ने किसानों को दिल्ली कूच करने से रोक दिया था। इस आंदोलन में प्रदर्शनकारी सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

आंदोलन के 200 दिन की उपलब्धि

किसान आंदोलन का 200 दिन पूरा होना उनके संघर्ष और संकल्प की गहराई को दर्शाता है। यह एक महत्वपूर्ण संकेत है कि किसान अपनी मांगों को लेकर गंभीर हैं और उनकी आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

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